अंतरिक्ष के क्षेत्र में कस्तूरीरंगन ने देश को दिलाई अंतरराष्ट्रीय पहचान
नोट--इसरो प्रमुख का बॉक्स जोड़ा गया है पीएसएलवी और जीएसएलवी के सफल प्रक्षेपण में

नई दिल्ली, एजेंसी। अंतरिक्ष के क्षेत्र में देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले डॉ. के. कस्तूरीरंगन हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य हम सभी के लिए अनुकरणीय रहेंगे। जब भी अंतरिक्ष जगत की चर्चा होगी तो उनका नाम सबसे पहले लिया जाएगा। कस्तूरीरंगन ने 27 अगस्त, 2003 को अपना पद त्यागने से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख, अंतरिक्ष आयोग के प्रमुख और अंतरिक्ष विभाग में भारत सरकार के सचिव के रूप में नौ साल से अधिक समय तक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को शानदार तरीके से आगे बढ़ाया। वे भारत के पहले दो प्रायोगिक उपग्रहों भास्कर-I और II के परियोजना निदेशक थे। उन्होंने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का सफल प्रक्षेपण और संचालन कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को पहचान दिलाई। इसके अलावा जीएसएलवी की पहली सफल उड़ान परीक्षण का भी श्रेय उन्हें ही जाता है। कस्तूरीरंगन ने ब्रह्मांडीय एक्स-रे और गामा-रे स्रोतों के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
शिक्षा और करियर
- डॉ. कस्तूरीरंगन ने बॉम्बे विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक और भौतिक विज्ञान में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की
-1971 में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद से प्रायोगिक उच्च ऊर्जा खगोल विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की
-उन्होंने इसरो में विभिन्न पदों पर काम किया, जिसमें अध्यक्ष और सचिव के रूप में नौ वर्षों से अधिक समय तक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का नेतृत्व किया
उपलब्धि और पुरस्कार
-भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए, जिनमें ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान (पीएसएलवी) और भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रमोचन यान (जीएसएलवी) के सफल प्रक्षेपण शामिल हैं
-पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया
-विभिन्न वैज्ञानिक अकादमियों और संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया, जिनमें भारतीय विज्ञान अकादमी, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और तीसरी दुनिया विज्ञान अकादमी शामिल हैं
हमारे लिए परिवार की तरह थे: इसरो प्रमुख
अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष वी नारायणन ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन इसरो के 20,000 से अधिक कर्मचारियों के लिए परिवार की तरह थे। उन्होंने कहा कि आर राव सेटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) को कई लोगों ने विश्व स्तरीय संगठन बनाने के लिए काम किया, लेकिन 1990 से 1994 के बीच इसके निदेशक रहे कस्तूरीरंगन ने इसके विकास में एक अनूठी भूमिका निभाई।
कोट...
ज्ञान के प्रति अपने जुनून के साथ उन्होंने विविध क्षेत्रों में काफी योगदान दिया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने में सहायता की जो अगली पीढ़ी को आकार देने का काम कर रही है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।
द्रौपदी मुर्मु, राष्ट्रपति
भारत की वैज्ञानिक और शैक्षिक यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले डॉ. के. कस्तूरीरंगन के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। उनके दूरदर्शी नेतृत्व और राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। कस्तूरीरंगन ने इसरो में बहुत लगन से काम किया और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनकी वजह से अंतरिक्ष के क्षेत्र में देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली।
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
कस्तूरीरंगन ने संगठन को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनका निधन वैज्ञानिक समुदाय के साथ-साथ देश के लिए भी एक बड़ी क्षति है।
मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस अध्यक्ष
डॉ. के. कस्तूरीरंगन के परिवार और सहकर्मियों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। एक दूरदर्शी व्यक्ति जिन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाया। विज्ञान और नीति में उनका योगदान अमूल्य है।
प्रियंका गांधी, कांग्रेस महासचिव
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