Gluten-Free and Casein-Free Diet Improves Autism Symptoms in Children AIIMS Study अध्ययन : ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के लिए मददगार है ग्लूटन मुक्त भोजन, Delhi Hindi News - Hindustan
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अध्ययन : ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के लिए मददगार है ग्लूटन मुक्त भोजन

एम्स में हुए एक शोध में पता चला है कि ग्लूटेन-फ्री और केसिन-फ्री डाइट ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की स्थिति में सुधार कर सकती है। 104 बच्चों में से 54 को विशेष डाइट दी गई, जिससे हाइपरएक्टिविटी और नींद की...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 8 April 2025 08:58 PM
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अध्ययन : ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के लिए मददगार है ग्लूटन मुक्त भोजन

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। एम्स में हुए एक शोध में खुलासा हुआ कि ग्लूटेन-फ्री और केसिन-फ्री डाइट (यानि गेहूं और कुछ दूध से बनी चीजें हटाकर) ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की हालत में सुधार ला सकती है। अध्ययन में 104 बच्चों को शामिल किया गया, जिसमें से 54 बच्चों को यह विशेष डाइट दी गई और बाकी 50 बच्चों को सामान्य डाइट पर रखा गया। 24 हफ्तों के बाद जिन बच्चों को यह खास डाइट दी गई, उनमें हाइपरएक्टिविटी, नींद की समस्याएं और ध्यान केंद्रित करने की दिक्कतों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। कई वैज्ञानिक आंकड़ों में भी इस बदलाव को ‘सिग्निफिकेंट यानी बेहद असरदार माना गया है।

एम्स की न्यूरो पीडियाट्रिक विभाग की प्रमुख प्रोफेसर डॉ. शेफाली गुलाटी ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि हमारे अध्ययन से साफ है कि डाइट में बदलाव से ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में कुछ लक्षणों में सुधार हो सकता है, लेकिन यह हर बच्चे के लिए अलग-अलग हो सकता है, इसलिए डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने से पहले एक विशेषज्ञ आहारविद (डायटिशियन) की सलाह जरूर लें। डॉ. गुलाटी ने कहा कि यह रिसर्च भारत में इस विषय पर अपनी तरह का पहला रैंडमाइज्ड कंट्रोल परीक्षण है और यह बताता है कि सही पोषण भी ऑटिज्म प्रबंधन में अहम भूमिका निभा सकता है।

भारी धातुएं बढ़ा सकती हैं खतरा

ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में भारी धातुओं की अधिकता और विशिष्ट आनुवंशिक बदलावों के बीच सीधा संबंध पाया गया है। एम्स दिल्ली के हालिया अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। इसके अनुसार, ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चों के खून और मूत्र में सीसा (लेड), कैडमियम , मैगनीज, आर्सेनिक (और क्रोमियम जैसे भारी धातुओं का स्तर सामान्य बच्चों की तुलना में काफी अधिक पाया गया। एम्स की डॉ. शेफाली गुलाटी ने कहा कि यह अध्ययन इस बात की ओर इशारा करता है कि पर्यावरणीय कारण, विशेष रूप से भारी धातुओं की उपस्थिति, ऑटिज्म के विकास में योगदान कर सकते हैं।

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