Manipur Ethnic Violence Central Government s Six-Point Plan Sparks Hope for Peace Between Meitei and Kuki Communities मणिपुर में बर्फ पिघलने के संकेत?, India Hindi News - Hindustan
Hindi Newsदेश न्यूज़Manipur Ethnic Violence Central Government s Six-Point Plan Sparks Hope for Peace Between Meitei and Kuki Communities

मणिपुर में बर्फ पिघलने के संकेत?

मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहल से उम्मीद जगी है। दिल्ली में हुई बैठक में मैतेई और कुकी समुदायों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। केंद्र ने शांति बहाली के लिए छह-सूत्री प्रस्ताव...

डॉयचे वेले दिल्लीTue, 8 April 2025 07:47 PM
share Share
Follow Us on
मणिपुर में बर्फ पिघलने के संकेत?

दो साल से जातीय हिंसा की आग में जलने वाले मणिपुर में क्या मैतेई और कुकी जनजातियों के बीच बर्फ पिघलेगी? दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहल पर बीते शनिवार को दोनों समुदायों के साथ हुई बैठक से तो यही संकेत मिल रहा है.भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में जातीय हिंसा शुरू होने के बाद दोनों समुदाय के नेताओं के किसी बैठक में शामिल होने का यह पहला मौका था.केंद्र ने राज्य में हिंसा खत्म कर शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए एक छह-सूत्री रोडमैप पेश किया है.तीन मई, 2023 से शुरू हुई हिंसा ने राज्य के इन दोनों प्रमुख समुदायों के बीच विभाजन की खाई काफी चौड़ी कर दी है.हिंसा और एक-दूसरे के प्रति भारी अविश्वास की वजह से राज्य के घाटी और पर्वतीय इलाके एक-दूसरे के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र बने हुए हैं.इस दौरान इन समुदाय के लोग एक-दूसरे के इलाके में नहीं जा रहे.दो साल से जारी हिंसा में ढाई सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 50 हजार से ज्यादा लोग राहत शिविरों में शरणार्थियों की तरह जीवन गुजार रहे हैं.इसके अलावा मिजोरम, नागालैंड और असम जैसे राज्यों में भी हजारों लोगों ने शरण ले रखी है.हिंसा की शुरुआत के बाद दोनों समुदायों के उग्रवादी संगठन ने भारी तादाद में सरकारी हथियार लूटहिंसा लिए थे.उनका दावा था कि ऐसा आत्मरक्षा के लिए किया गया है.हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि कुकी विधायक आतंक के कारण राजधानी इंफाल में विधानसभा के अधिवेशन में भी हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं.इंफाल को मैतेई समुदाय का गढ़ माना जाता है.लंबे अरसे से जारी हिंसा के बावजूद समस्या का कोई समाधान नहीं मिलने और इसके कारण पार्टी में उठने वाली बगावत की आवाजों की वजह से मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह ने बीती फरवरी में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.उसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था.

राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने उग्रवादी संगठनों ने लूटे गए सरकारी हत्यारों को वापस करने की अपील करते हुए इसके लिए समय सीमा तय कर दी थी.इस दौरान काफी हथियार लौटाए भी गए.अब बीते करीब महीने भर से यह राज्य काफी हद तक शांत है.बीते सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की एक टीम भी परिस्थिति का जायजा लेने मौके पर पहुंची थी.राज्य में हिंसा थमने के बाद केंद्र सरकार ने अब यहां सामान्य स्थिति बहाल करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं.इसके तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बीते महीने राज्य का दौरा कर कुकी संगठनों से मुलाकात कर राज्य में शांति बहाली के उपायों पर बातचीत के जरिए उनके मन की थाह ली थी.केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीती पहली मार्च को दिल्ली में आयोजित एक उच्च-स्तरीय बैठक में राज्य की जमीनी परिस्थिति की समीक्षा की थी और आठ मार्च से नेशनल हाइवे को मुक्त आवाजाही के लिए खोलने का निर्देश दिया था.हिंसा शुरू होने के बाद से ही दोनों समुदायों के उग्रवादी और नागरिक संगठनों ने अपने-अपने इलाकों में हाइवे की नाकाबंदी कर वाहनों की आवाजाही रोक दी थी.हाइवे को खोलने के सवाल पर मैतेई समुदाय तो सहमत था.लेकिन कुकी-बहुल इलाके में कुछ जगहों पर हिंसा हुई.कुकी संगठनों का कहना था कि अलग प्रशासन समेत उनकी दूसरी मांगें पूरी नहीं होने तक हाइवे पर मुक्त आवाजाही की अनुमति नहीं दी जाएगी.लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होने लगी.हालांकि दोनों समुदायों के बीच की खाई अब भी जस की तस ही है.अब बीते शनिवार को दिल्ली में दोनों समुदाय के प्रमुख संगठनों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया गया था.इस बैठक में मैतेई समुदाय की ओर से आल मणिपुर यूनाइटेड क्लब्स ऑर्गेनाइजेशन (एएमयूसीओ) और फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी (एफओसीएस) के साथ ही कुकी समुदाय की ओर से कुकी-जो कौंसिल (केजेडसी) औऱ कमिटी आन ट्राइबल यूनिटी (सीओटीयू) के अलावा कुछ अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था.

बैठक की अध्यक्षता इस मामले में वार्ताकार और इंटेलिजेंस ब्यूरो के वरिष्ठ अधिकारी ए.के.मिश्र ने की थी.छह-सूत्री प्रस्तावइसी बैठक में केंद्र ने मणिपुर में शांति हाल करने के रोडमैप के तहत एक छह-सूत्री प्रस्ताव पेश किया था.मैतेई प्रतिनिधिमंडल ने तो उसी समय पर आपस में विचार करने के बाद इस पर सहमति जता दी.लेकिन कुकी प्रतिनिधियों का कहना था कि वो राज्य में लौटने के बाद आपस में विचार-विमर्श करने के बाद इस पर हस्ताक्षर करेंगे.एएमयूसीओ के अध्यक्ष नांदो लुवांग डीडब्ल्यू को बताते हैं, "बैठक में मुख्य रूप से राज्य की समस्या के समाधान पर चर्चा की गई.केंद्र सरकार का कहना था कि दोनों समुदाय के लोगों को आपसी बहस में उलझने की बजाय समाधान पर विचार करना चाहिए.पांच अप्रैल की उस बैठक से राज्य में शांति बहाल करने की कवायद शुरू हो गई है.उम्मीद है कि कुकी संगठन भी इस पर सहमत होंगे""मणिपुर की अखंडता पर कोई समझौता नहीं"केंद्र के छह-सूत्री प्रस्ताव में क्या कहा गया है? इस सवाल पर लुवांग बताते हैं कि गृह मंत्रालय ने सिविल सोसाइटीज और गैर-सरकारी संगठनों से दोनों समुदाय के लोगों से हिंसा से दूर रहने की अपील करने को कहा है.इसमें कहा गया है कि लंबे अरसे से जारी तमाम विवादास्पद मुद्दों को बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है.उनका कहना था कि मणिपुर की अखंडता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता.यहां इस बात का जिक्र प्रासंगिक है कि कुकी संगठन मणिपुर की सीमा के भीतर स्वायत्तता यानी अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं.उनका कहना है कि अब मैतेई समुदाय के साथ रहना संभव नहीं है.लेकिन मैतेई संगठनों का कहना है कि राज्य में दोनों समुदाय सदियों से साथ रहते आए हैं.

इसलिए एक बार फिर नए सिरे से इसकी शुरुआत की जा सकती है.एफओसीएस के प्रवक्ता गंगबाम चमचम ने बैठक के बाद पत्रकारों को बताया था, "शांति बहाली के प्रसातवो में लूटे गए हथियारों को लौटाने के अलावा राज्य की तमाम सड़कों को मुक्त आवाजाही के लिए खोलना औऱ हथियारबंद गुटों की गतिविधियों पर अंकुश लगाना शामिल है.इसके साथ ही विस्थापित लोगों की सुरक्षित घर वापसी की प्रक्रिया शुरू करने की भी बात कही गई है"दूसरी ओर, कुकी संगठन इंडीजीनस ट्राइबल लीडर्स फोरम के सचिव मुआन तोम्बिंग डीडब्ल्यू से कहते हैं, "हम केंद्र के छह-सूत्री प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं.उसके बाद ही इस पर कोई फैसला किया जाएगा"सकारात्मक संकेतकेंद्र की यह पहल कितनी कामयाबी होगी, यह तो बाद में पता चलेगा.लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एक-दूसरे को फूटी आंखों नहीं सुहाने वाले दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों का किसी बैठक में शामिल होना एक सकारात्मक संकेत है.राजनीतिक विश्लेषक सरोज के.सिंह डीडब्ल्यू से कहते हैं, "अभी तो यह शुरुआत है.इतने लंबे समय से जारी हिंसा और आपसी वैमनस्य को रातों-रात खत्म नहीं किया जा सकता.लेकिन दोनों समुदाय के लोगों को एक मंच पर लाना ही केंद्र की कामयाबी मानी जा सकती है"राज्य की वरिष्ठ महिला पत्रकार एम.ज्ञानेश्वरी (बदला हुआ नाम) डीडब्ल्यू से कहती हैं, "सबसे बड़ी बात यह है कि तमाम संबंधित पक्षों के बीच लगातार बातचीत के जरिए राज्य में शांति बहाल की जानी चाहिए.इसे थोपा नहीं जाना चाहिए.जबरन शांति थोपने से यह समस्या और जटिल हो सकती है"राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दो साल से हिंसा की चपेट में रहे मणिपुर में शांति बहाल करने में काफी समय लग सकता है.लेकिन दोनों पक्षों के साथ बातचीत शुरू होने पर इस दिशा में एक पहल तो हो ही गई है.अब अगली त्रिपक्षीय बैठक इस महीने के आखिर तक होने की संभावना है.शायद उसके बाद ही तस्वीर कुछ साफ हो सकेगी.