India Suspends Indus Water Treaty with Pakistan Economic Impact on Agriculture and Industry पहलगाम:: ब्यूरो::तबाह हो सकता है पाकिस्तान का कृषि क्षेत्र, Delhi Hindi News - Hindustan
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पहलगाम:: ब्यूरो::तबाह हो सकता है पाकिस्तान का कृषि क्षेत्र

- 23 फीसदी जीडीपी को योगदान कृषि क्षेत्र से नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। जम्मू-

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 24 April 2025 07:52 PM
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पहलगाम:: ब्यूरो::तबाह हो सकता है पाकिस्तान का कृषि क्षेत्र

- 23 फीसदी जीडीपी को योगदान कृषि क्षेत्र से नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। जम्मू- कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार करते हुए सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है। भारत के इस फैसले से पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था तबाब हो सकती है। भारतीय बिजनेस स्कूल में सतत विकास के प्रोफेसर, आईपीसीसी की रिपोर्ट के लेखक और जल विशेषज्ञ अंजल प्रकाश से जानते हैं कि भारत के फैसले से पाकिस्तान पर इसका क्या व्यापक असर पड़ेगा।

संधि का ऐतिहासिक संदर्भ और इसका महत्व क्या है?

संधि पर 1960 में व्यापक वार्ताओं के बाद हस्ताक्षर किए गए थे। यह भारत और पाकिस्तान के बीच स्थिरता का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह सिंधु और उसकी सहायक नदियों से जल आवंटन को रेखांकित करती है, भारत को तीन पूर्वी नदियों रावी, सतलज, व्यास और पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब के अधिकार देती है। कई राजनीतिक तनावों के बावजूद संधि आज तक जीवित रही है।

निलंबन से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण खतरा पैदा होगा। कृषि, जो सिंधु नदी प्रणाली पर बहुत अधिक निर्भर है, विनाशकारी परिणाम भुगत सकती है। पानी की कमी से फसल उत्पादन में कमी, खाद्य संकट, और कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जिससे पहले से ही गरीबी और खाद्य असुरक्षा से जूझ रही जनसंख्या पर और अधिक बोझ बढ़ेगा।

कृषि पाकिस्तान की समग्र अर्थव्यवस्था के लिए कितनी अहम है?

कृषि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का केंद्र है, जो लगभग 23 फीसदी जीडीपी में योगदान करती है और लगभग 37.4% श्रमबल को रोजगार देती है। सिंधु बेसिन प्रणाली, जो सिंधु नदी पर निर्भर करती है, इस महत्वपूर्ण क्षेत्र का समर्थन करती है। पानी की किसी भी कमी से न केवल फसल उत्पादन पर बल्कि लाखों किसानों की आजीविका पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

पाक अभी पानी की किन चुनौतियों का सामना कर रहा?

पाकिस्तान को एक जल संकटग्रस्त देश के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 1951 में लगभग 5,260 घन मीटर से घटकर 2020 में लगभग 877 घन मीटर तक रह गई। यह आंकड़ा 2025 तक और घटकर 800 घन मीटर होने की संभावना है, जिससे जल संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और सामाजिक अशांति तथा राजनीतिक अस्थिरता का कारण बन सकती है।

कृषि के अलावा और कौन से क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं?

कृषि के अलावा, पाकिस्तान का ऊर्जा क्षेत्र भी जोखिम में है। हाइड्रोपावर वर्तमान में देश की कुल बिजली उत्पादन का लगभग 25% है। सिंधु नदी से कम पानी की धारा बिजली संकट का कारण बन सकती है, जिससे देश महंगे जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर होने को मजबूर हो जाएगा, जो ऊर्जा लागत बढ़ाएगा और आर्थिक विकास को प्रभावित करेगा।

फैसले का औद्योगिक क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

औद्योगिक क्षेत्र, विशेष रूप से वस्त्र और खाद्य प्रसंस्करण, पानी पर बहुत निर्भर है। पानी की उपलब्धता में कमी से उत्पादन क्षमताओं में कटौती हो सकती है, जिससे निर्यात में कमी और रोजगार को नुकसान हो सकता है। उद्योगों को वैकल्पिक जल स्रोतों और संरक्षण तकनीकों में निवेश करना पड़ सकता है, जिससे उनके संचालन की लागत बढ़ेगी।

क्या भारत सिंधु जल का पूरी तरह से उपयोग कर सकता है?

हालांकि भारत के पास पर्याप्त जल प्रबंधन अवसंरचना है, लेकिन वह संधि के कारण पाकिस्तान को पानी की धारा पूरी तरह से बंद नहीं कर सकता। हालांकि, वर्तमान निलंबन भारत को सिंधु जल संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए अपनी अवसंरचना विकसित करने का अवसर प्रदान करता है। इस विकास के लिए सावधानीपूर्वक योजना, भंडारण क्षमताओं में वृद्धि और भविष्य में विवादों से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं की आवश्यकता होगी।

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