बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन ऋभु को मेडल ऑफ ऑनर पुरस्कार
दुनिया की सबसे पुरानी वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन ने डोमिनिकन रिपब्लिक में वर्ल्ड लॉ कांग्रेस के दौरान बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन ऋभु को 'मेडल ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया। वे इस पुरस्कार को प्राप्त करने...

नई दिल्ली। वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन ने डोमिनिकन रिपब्लिक में 4 से 6 मई के बीच आयोजित वर्ल्ड लॉ कांग्रेस में प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता भुवन ऋभु को प्रतिष्ठित ‘मेडल ऑफ ऑनर’ पुरस्कार से सम्मानित किया है। ऋभु यह अंतरराष्ट्रीय सम्मान पाने वाले पहले भारतीय अधिवक्ता हैं।
संस्था की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दुनिया की सबसे पुरानी ज्यूरिस्ट एसोसिएशन ने कानूनी हस्तक्षेपों और जमीनी लामबंदियों के जरिए बच्चों और उनके अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में दो दशक से जारी संघर्षों और उपलब्धियों के लिए भुवन ऋभु को सम्मानित किया। इस वर्ल्ड लॉ कांग्रेस में 70 देशों के 1500 से ज्यादा विधिक क्षेत्र के दिग्गजों व 300 वक्ताओं ने हिस्सा लिया। डोमिनिकन रिपब्लिक के श्रम मंत्री एडी ओलिवारेज ऑर्तेगा और वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष जेवियर क्रेमाडेस ने उन्हें 'मेडल ऑफ ऑनर' प्रदान किया। इस अवसर पर डोमिनिकन रिपब्लिक की महिला मंत्री मायरा जिमेनेज भी उपस्थित थीं।
विज्ञप्ति के अनुसार, भुवन ऋभु के सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में दायर 60 से ज्यादा जनहित याचिकाओं के कारण कई ऐतिहासिक फैसले आए हैं, जिसने देश में बाल अधिकार व बच्चों की सुरक्षा का पूरा परिदृश्य बदल दिया है। भुवन ऋभु ने बाल विवाह, बच्चों की तस्करी, बाल श्रम और बाल यौन शोषण के विरुद्ध कानूनी मुहिमों और आंदोलनों के माध्यम से भारत की बाल संरक्षण व्यवस्था में बदलाव में बड़ी भूमिका निभाई है। उनके सतत प्रयासों का ही परिणाम है कि भारत में बाल विवाह के खात्मे की दिशा में प्रणालीगत सुधार करके 2030 तक देश से इस कुप्रथा को खत्म करने की मुहिम तेजी से चल रही है। वे इस मुद्दे पर वैश्विक आंदोलन में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
भुवन ऋभु का दृढ़ता से मानना है कि न्याय लोकतंत्र का सबसे मजबूत खंभा है। उन्होंने बाल बलात्कार के मामलों में अपराधियों की सजा सुनिश्चित करने के लिए कानूनी बदलावों और देश से बाल विवाह की समाप्ति के लिए कानूनी रूपरेखा तैयार करने में भी अहम भूमिका निभाई है।
राष्ट्रीय अभियान का वैश्विक असर
- 2011 में उनकी जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बाल तस्करी को संयुक्त राष्ट्र के प्रोटोकाल के अनुरूप परिभाषित किया।
- 2013 में गुमशुदा बच्चों के मुद्दे पर ऐतिहासिक फैसला आया।
- उनकी एक याचिका पर बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार संबंधी सामग्री (सी-सीम) को डाउनलोड करने, देखने को अपराध घोषित किया गया।
उपलब्धि
ऋभु ने अपनी किताब ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज’ में बाल विवाह के खात्मे के लिए पिकेट रणनीति के रूप में एक समग्र खाका पेश किया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में जारी दिशा-निर्देशों में एक व्यापक मार्गदर्शिका के तौर पर मान्यता दी।
भुवन ऋभु दुनिया भर में नागरिक समाज संगठनों के सबसे बड़े कानूनी हस्तक्षेप नेटवर्क ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी)’ के संस्थापक हैं।
वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन
वर्ष 1963 में स्थापित वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन दुनिया के विधिवेत्ताओं की सबसे पुरानी संस्था है जिसने न्याय के शासन की स्थापना में योगदान के लिए विंस्टन चर्चिल, नेल्सन मंडेला, रूथ बेडर गिन्सबर्ग, स्पेन के राजा फेलिप षष्टम्, रेने कैसिन और कैरी कैनेडी जैसी ऐतिहासिक हस्तियों को सम्मानित किया है।
न्याय की लड़ाई में बच्चों को कभी भी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। कानून उनकी ढाल और न्याय उनका अधिकार होना चाहिए।
- भुवन ऋभु, पुरस्कार ग्रहण समारोह में संबोधन
भुवन ऋभु के प्रयासों से लाखों महिलाओं और बच्चों को बचाने के साथ ही एक ऐसा कानूनी ढांचा तैयार हुआ है, जिससे आने वाली पीढ़ियां भी सुरक्षित रहेंगी। यह पुरस्कार बच्चों के लिए एक निरापद और बेहतर दुनिया बनाने के उनके प्रयासों का सम्मान है।
- जेवियर क्रेमाडेस, डब्ल्यूजेए के अध्यक्ष
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।