Supreme Court Condemns BJP MP Nishikant Dubey s Irresponsible Comments on Judiciary अदालतें फूल नहीं जो बेतुके बयानों से मुरझा जाए : सुप्रीम कोर्ट, Delhi Hindi News - Hindustan
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अदालतें फूल नहीं जो बेतुके बयानों से मुरझा जाए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की अदालत और मुख्य न्यायाधीश पर की गई टिप्पणियों की निंदा की। न्यायालय ने कहा कि ऐसी टिप्पणियां गैरजिम्मेदाराना हैं और न्यायपालिका के अधिकार को कम करती हैं।...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 8 May 2025 07:17 PM
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अदालतें फूल नहीं जो बेतुके बयानों से मुरझा जाए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अदालतें फूलों की तरह नाजुक नहीं है जो बेतुके बयानों से मुरझा जाए। अदालत भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा अदालत और मुख्य न्यायाधीश पर की गई टिप्पणियों की निंदा करते हुए यह कड़ी टिप्पणी की। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा भाजपा सांसद की टिप्पणियां दुर्भावनापूर्ण हैं और सुप्रीम कोर्ट के अधिकार को कम करती हैं। पीठ ने कहा कि हमारा यह दृढ़ मत है कि अदालतें फूलों की तरह नाजुक नहीं हैं जो ऐसे बेतुके बयानों से मुरझा जाएं। पीठ ने पांच मई को दुबे के खिलाफ उनकी टिप्पणी को लेकर अवमानना कार्रवाई संबंधी याचिका पर सुनवाई की थी और कहा था कि संशोधित वक्फ कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई उसने ही की थी।

हालांकि पीठ ने याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन गुरुवार को उपलब्ध कराए गए अपने आदेश में उसने भाजपा सांसद के खिलाफ तीखी टिप्पणियां कीं। टिप्पणियां बेहत गैरजिम्मेदाराना पीठ ने कहा कि हमारी राय में, टिप्पणियां बेहद गैरजिम्मेदाराना थीं और सुप्रीम कोर्ट और उसके जज पर आक्षेप लगाकर ध्यान आकर्षित करने की प्रवृत्ति को दर्शाती हैं। पीठ ने कहा कि इसने कहा कि इन टिप्पणियों के जरिये न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने और बाधा डालने की प्रवृत्ति नजर आती है। टिप्पणी सांसद की अज्ञानता को दर्शाती है अदालत ने कहा कि सांसद की टिप्पणी संवैधानिक अदालतों की भूमिका तथा संविधान के तहत उन्हें सौंपे गए कर्तव्यों और दायित्वों के बारे में उनकी अज्ञानता को दर्शाती है। अदालतों के प्रति लोगों का भरोसा कम नहीं होगा आदेश में कहा गया कि इस तरह के बेतुके बयानों से जनता की नजरों में अदालतों के प्रति भरोसे और विश्वसनीयता कम नहीं हो सकती और बिना किसी संदेह के कहा जा सकता है कि ऐसा प्रयास जानबूझकर किया जा रहा है। घृणास्पद भाषण से सख्ती से निपटा जाना चाहिए पीठ के लिए फैसला लिख रहे मुख्य न्यायाधीश ने याचिका पर सुनवाई नहीं की लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि ‘सांप्रदायिक घृणा फैलाने या घृणास्पद भाषण देने के किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटा जाना चाहिए। भाजपा सांसद की टिप्पणी दुबे ने वक्फ अधिनियम के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई करने के लिए शीर्ष अदालत पर निशाना साधते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट देश को अराजकता की ओर ले जा रहा है और देश में हो रहे गृहयुद्धों के लिए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं।

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