दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई बंद
सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त करने के खिलाफ याचिका को निराधार बताया। न्यायालय ने कहा कि अस्थाना अब सेवानिवृत हो चुके हैं, इसलिए...

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 2021 में आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्ति किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई को बंद कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि चूंकि अस्थाना अब पद से सेवानिवृत हो चुके हैं, ऐसे में उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली यह याचिका निरर्थक हो गई है।
जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि ‘हालांकि यह स्पष्ट कर दिया है कि मामले में उठे व्यापक कानूनी सवाल पर अभी फैसला नहीं किया है। दूसरे शब्दों में, पीठ ने कहा है कि क्या प्रकाश सिंह और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में पुलिस प्रमुख के पदों पर नियुक्तियों को लेकर शीर्ष अदालत द्वारा पहले जारी किए गए दिशा-निर्देश दिल्ली के पुलिस आयुक्त की नियुक्ति के मामले में बाध्यकारी है या नहीं। सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की याचिका का निपटारा करते हुए, जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ‘यदि भविष्य में उसे ऐसे किसी मामले का पता चलता है, जिसमें ऐसी नियुक्तियों में अनियमितता पाई जाती है, तो वह इसका न्यायिक संज्ञान लेगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल इस मुद्दे पर हम किसी तरह का कोई आदेश पारित नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ‘हमें उम्मीद है कि भविष्य में पुलिस आयुक्त की नियुक्ति में नियमों और शीर्ष अदालत द्वारा तय मानदंडों की अनदेखी नहीं की जाएगी। सात ही कहा कि यदि ऐसा होता है, तो हम इसका संज्ञान लेंगे। अगर हम अभी ऐसा करते हैं, तो यह कई सम्मानित अधिकारियों के लिए अनावश्यक रूप से समस्याएं पैदा करेगा।
सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने 2021 में दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। यह नियुक्ति गुजरात से दिल्ली में अंतर-कैडर स्थानांतरण के बाद उनकी सेवानिवृति से चार दिन पहले की गई थी। भूषण ने शीर्ष अदालत से कहा था कि पुलिस आयुक्त के पद पर अस्थाना की नियुक्ति में प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में, अपने 2006 के एक फैसले को संशोधित करते हुए कहा था ‘कि पुलिस प्रमुख (राज्यों में पुलिस महानिदेशक) के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए अनुशंसित व्यक्तियों के पास अपनी सेवानिवृति से पहले कम से कम छह माह का शेष कार्यकाल बचे होने चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने कहा कि अब जब अस्थाना अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, तो यह याचिका निरर्थक हो गई। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि याचिका में पुलिस नियुक्तियों में कार्यकारी अतिक्रमण के बारे में अभी भी महत्वपूर्ण चिंताएं जताई गई हैं। उन्होंने कहा कि प्रकाश सिंह का पूरा उद्देश्य पुलिस को राजनेताओं से स्वतंत्र रखना था। उन्होंने कहा कि इस निर्धारित सिद्धांत को दिल्ली पुलिस आयुक्त की नियुक्ति पर भी लागू होने चाहिए। दूसरी तरफ केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पीठ को बताया कि प्रकाश सिंह मामले में शीर्ष अदालत द्वारा पारित फैसला दिल्ली पुलिस आयुक्त की नियुक्ति पर लागू नहीं होते हैं। उन्होंने पीठ से कहा कि पुलिस आयुक्त के पद पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति जनहित में और कानूनी ढांचे के भीतर की गई थी।
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