ओआरओपी की तर्ज पर हाईकोर्ट के सभी जज को पूर्ण पेंशन देने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त जजों के लिए वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) का आदेश दिया है। सभी जजों को समान पेंशन मिलेगी, चाहे वे किस प्रकार से नियुक्त हुए हों। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि...

प्रभात कुमार नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने ऐतिहासिक फैसले में उच्च न्यायालयों के जज के लिए वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) के सिद्धांतों को लागू करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालयों से सेवानिवृत्त होने वाले सभी जज को एक समान पेंशन मिलनी चाहिए, भले ही उनकी नियुक्ति स्रोत वकील कोटे से हो या जिला अदालत से पदोन्नति के जरिए और तारीख कुछ भी हो। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और के. विनोद चंद्रन की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि संवैधानिक पद के संबंध में वन रैंक, वन पेंशन आदर्श होना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने 63 पन्नों के अपने फैसले में कहा कि पेंशन लाभों में इस आधार पर वर्गीकरण करना कि जज बार या जिला न्यायपालिका से हाईकोर्ट में आए हैं या वे स्थायी या अतिरिक्त जज हैं, न सिर्फ भेदभावपूर्ण है बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन है। इसके साथ ही, शीर्ष अदालत ने सेवानिवृत्त जजों को पूर्ण पेंशन देने का आदेश दिया है। कोई भी वर्गीकरण स्वीकार नहीं सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन विसंगतियों से जुड़े मुद्दे पर यह ऐतिहासिक फैसला दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘ओआरओपी के सिद्धांत के अनुसार उच्च न्यायालयों के सभी सेवानिवृत्त जजों को एक समान और पूर्ण पेंशन का भुगतान किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि एक बार जब कोई हाईकोर्ट का जज बन जाता है तो नियुक्ति की तिथि के आधार पर कोई भी वर्गीकरण स्वीकार्य नहीं होगा। पूर्व जजों को अब कितनी मिलेगी पेंशन सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होने वाले जज को 15 लाख रुपये सालाना पेंशन देने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, उच्च न्यायालयों से सेवानिवृत्त होने वाले जज को 13 लाख 50 हजार रुपये की मूल वार्षिक राशि के आधार पर पेंशन देने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि हाईकोर्ट से अतिरिक्त जज के पद से सेवानिवृत होने वाले जजों को भी स्थाई जज के समान पेंशन देने को कहा है। इन्हें भी पूर्ण पेंशन का लाभ मिलेगा सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त होने वाले ऐसे जज जो पहले जिला जज के रूप में कार्य कर चुके हैं, केंद्र सरकार उन्हें जिला अदालत में अंतिम कार्य दिवस की तिथि से लेकर हाईकोर्ट के जज के रूप में कार्यभार ग्रहण करने की तिथि के बीच पूर्ण पेंशन का भुगतान करेगी। यह लाभ उनके लिए भी जो पहले जिला जज के रूप में कार्य कर चुके हैं और अंशदायी पेंशन योजना या नई पेंशन योजना के लागू होने के बाद जिला अदालत में शामिल हुए हैं, उन्हें भी पूर्ण लाभ मिलेगा। योगदान की गई राशि लाभांश के साथ वापस करें राज्य पीठ ने कहा कि जहां तक नई पेंशन योजना (एनपीएस) में उनके योगदान का सवाल है, हम राज्यों को निर्देश देते हैं कि वे हाईकोर्ट के ऐसे सेवानिवृत्त जज द्वारा योगदान की गई पूरी राशि, उस पर अर्जित लाभांश के साथ, यदि कोई हो, वापस करें। पीठ ने कहा कि जहां तक राज्य द्वारा किए गए योगदान और उस पर अर्जित लाभांश का संबंध है, तो इसे राज्य के खाते में जमा किया जाना चाहिए। पारिवारिक पेंशन और ग्रेच्युटी से वंचित करना मनमाना सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के जज की विधवाओं और परिवार के सदस्यों को पारिवारिक पेंशन और ग्रेच्युटी से वंचित किए जाने के मुद्दे को स्पष्ट रूप से मनमाना बताया। पीठ ने कहा कि सेवा के दौरान मरने वाले जज की विधवा और परिवार के सदस्यों को ग्रेच्युटी से वंचित करना पूरी तरह से असहयोगात्मक है। 15 हजार तक ही मिलती है पेंशन सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान इस बात पर चिंता जताई थी कि हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त होने के बाद कुछ जजों को महज 12 से 15 हजार रुपये तक ही पेंशन मिल पाती है।
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