No anticipatory bail on the basis of profession; Delhi High Court gives setback to lawyer in road rage case ‘पेशे के आधार पर अग्रिम जमानत नहीं’; दिल्ली हाईकोर्ट ने रोडरेज केस में वकील को दिया झटका, Ncr Hindi News - Hindustan
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‘पेशे के आधार पर अग्रिम जमानत नहीं’; दिल्ली हाईकोर्ट ने रोडरेज केस में वकील को दिया झटका

दिल्ली हाईकोर्ट ने रोडरेज के एक मामले में बेहद सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने कहा कि कानून सबके लिए एक समान है। एक वकील को सिर्फ इसलिए अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती कि वह वकालत के पेशे से जुड़ा है। इससे समाज में गलत संदेश जाएगा।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। हिन्दुस्तानSat, 17 May 2025 06:32 AM
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‘पेशे के आधार पर अग्रिम जमानत नहीं’; दिल्ली हाईकोर्ट ने रोडरेज केस में वकील को दिया झटका

दिल्ली हाईकोर्ट ने रोडरेज के एक मामले में बेहद सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने आरोपी वकील की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि कानून सबके लिए एक समान है। एक वकील को सिर्फ इसलिए अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती कि वह वकालत के पेशे से जुड़ा है। इससे समाज में गलत संदेश जाएगा।

जस्टिस गिरीश कठपालिया की बेंच ने वकील की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि दिनदहाड़े सड़क पर हिंसा के लिए कथिततौर पर जिम्मेदार व्यक्ति को पेशे के कारण आजाद घूमने की अनुमति नहीं दी जा सकती। कानून की नजर में सभी समान हैं। गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से वकालत के नेक पेशे की छवि खराब होगी। बेंच ने कहा कि आरोपी को यदि अग्रिम जमानत दी जाती है तो इससे वकालत के पेशे की भी बदनामी होगी। आरोपी वकील और पीड़ित पक्ष राजनीतिक संगठन का अध्यक्ष है।

कोर्ट ने कहा, ऐसी घटनाओं में लोगों की जान जा चुकी

आरोपी और उसके भाई ने फरवरी में दोपहिया वाहन से देवली रोड पर जा रहे एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर पर हमला किया था। इस हमले में पीड़ित को चोटें आई थीं। जांच में पता चला कि यह मामूली कहासुनी का मामला था। जांच एजेंसी की तरफ से इस घटना की सीसीटीवी फुटेज भी पेश की गई। बेंच ने कहा कि पीड़ित को सिर में भी चोट लगी थी, जो घातक हो सकती थी। बेंच ने कहा कि रोडरेज सिर्फ कहासुनी का मामला नहीं होता, बल्कि कई बार बेहद इसके गंभीर परिणाम भी सामने आते हैं। इससे पहले भी इस तरह की घटनाओं में कई लोगों की जानें जा चुकी हैं।

अदालत ने जांच अधिकारी द्वारा हमले में इस्तेमाल हथियार को बरामद करने और मामले की जांच के लिए आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की आवश्यकता पर गौर करते हुए कहा कि यह अग्रिम जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है।