Supreme Court directs Centre n MCD to remove encroachments of Gumti of Shaikh Ali दिल्ली के इस इलाके से हटाओ अतिक्रमण; सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार व MCD को सख्त निर्देश, Ncr Hindi News - Hindustan
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दिल्ली के इस इलाके से हटाओ अतिक्रमण; सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार व MCD को सख्त निर्देश

  • शीर्ष अदालत ने इस साल की शुरुआत में सीबीआई को उन परिस्थितियों की जांच करने को कहा था, जिसके तहत इस इमारत पर RWA ने अपना कार्यालय बना लिया था। कोर्ट ने जांच एजेंसी से इस पर रिपोर्ट पेश करने को भी कहा था।

Sourabh Jain पीटीआई, नई दिल्लीTue, 8 April 2025 06:26 PM
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दिल्ली के इस इलाके से हटाओ अतिक्रमण; सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार व MCD को सख्त निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार और MCD (दिल्ली नगर निगम) को लोधी कालीन स्मारक 'शेख अली की गुमटी' के आसपास के सभी अतिक्रमणों को हटाने का निर्देश दिया। इसके साथ ही जस्टिस सुधांशु धुलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने MCD को स्मारक परिसर के अंदर स्थित अपने इंजीनियरिंग विभाग के कार्यालय को भी खाली करने और दो सप्ताह के अंदर भूमि एवं विकास कार्यालय को सौंपने का निर्देश भी दिया। शीर्ष अदालत ने संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) और डीसीपी (यातायात) को इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र की दैनिक निगरानी करने के लिए भी कहा।

इसके साथ ही अदालत ने पाया कि स्मारक पर 60 साल से ज्यादा के अनाधिकृत कब्जे के लिए उसने डिफेंस कॉलोनी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) पर जो 40 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था, उसका भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। जिसके बाद अदालत ने इस राशि को जमा करने के लिए RWA को 14 मई तक का और समय दे दिया।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च को इस बारे में आदेश जारी करते हुए RWA से आवासीय संघ को यह मुआवजा देने के लिए कहा था। इसके साथ ही पीठ ने दिल्ली के पुरातत्व विभाग को स्मारक के जीर्णोद्धार के लिए एक समिति गठित करने और साथ ही भूमि एवं विकास कार्यालय को स्थल का कब्जा शांतिपूर्ण तरीके से सौंपने का निर्देश दिया था।

इसके बाद कोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास के दिल्ली चैप्टर की पूर्व संयोजक स्वप्ना लिडल द्वारा दायर रिपोर्ट को देखा था और फिर भवन का सर्वेक्षण एवं निरीक्षण करने तथा स्मारक को हुए नुकसान और इसके जीर्णोद्धार की सीमा का पता लगाने की जिम्मेदारी भी लिडल को ही दे दी थी।

पीठ ने नवंबर 2024 में रक्षा कॉलोनी में स्थित इस स्मारक की सुरक्षा में विफल रहने के लिए एएसआई की खिंचाई की थी, जबकि सीबीआई ने संकेत दिया कि एक RWA 15वीं सदी की संरचना का अपने कार्यालय के रूप में उपयोग कर रहा है।

स्मारक पर 60 साल से ज्यादा वक्त से चले आ रहे कब्जे के बारे में जानने और इस मामले में ASI की निष्क्रियता से नाराज होकर पीठ ने कहा, आप किस तरह की संस्था हैं, आप प्राचीन संरचनाओं की रक्षा से पीछे कैसे हट गए हैं। हम आपकी निष्क्रियता से परेशान हैं।' साथ ही RWA को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा था कि अपने 60 साल से ज्यादा पुराने कब्जे को यह कहकर उचित नहीं ठहरा सकते कि असामाजिक तत्व इसे नुकसान पहुंचा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट डिफेंस कॉलोनी के निवासी राजीव सूरी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के तहत संरचना को संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए अदालत के निर्देश की मांग की गई थी। उन्होंने 2019 के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उसने निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया था।