क्या है अमृत सरोवर मिशन? जिसके तहत यमुना किनारे बसे गांवों में बनाए जाएंगे तालाब
अधिकारियों के अनुसार,इस योजना के लिए जल्द ही जमीन चिन्हित करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। शुरुआत में उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जहां पानी की सबसे ज्यादा कमी दर्ज की गई है और जहां जल संचयन की बेहतर संभावनाएं हैं।

अमृत सरोवर मिशन के अंतर्गत यमुना किनारे बसे गांवों में बड़े पैमाने पर तालाब बनाए जाएंगे। इसका मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण को बढ़ावा देना, भूजल स्तर सुधारना और ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई व शहरी इलाकों में पेयजल की समस्या को दूर करना है।शहर में लगातार गिरते भूजल स्तर और बढ़ते जल संकट से निपटने के लिए फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण (FMDA) की ओर से योजना तैयार की गई है।
स्मार्ट सिटी में पेयजल आपूर्ति यमुना के पानी पर निर्भर है। यमुना किनारे लगे 22 रेनीवेल और शहर के अलग-अलग इलाकों में लगे 1750 ट्यूबवेलों से जल आपूर्ति की जाती है। रोजाना पानी की मांग लगभग 450 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) है, जबकि आपूर्ति लगभग 330 एमएलडी है। इससे गौंछी, सेक्टर-55, जवाहर कॉलोनी, डबुआ, सेक्टर-23, संजय कॉलोनी सहित अनेक इलाकों में पेयजल की भारी किल्लत बनी हुई है। तीन-तीन दिन में सप्लाई का पानी आता है। ऐसे में लोगों को मजबूरीवश प्राइवेट टैंकरों से पानी खरीद कर काम चलाना पड़ता है।
दूसरी तरफ पिछले कुछ वर्षों में यमुना नदी के जलस्तर में भारी गिरावट देखने को मिली है, जिससे बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में भी जल की उपलब्धता कम हो गई है। हाल ही में एफएमडीए द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में यह सामने आया कि यमुना से सटे कई गांवों में जलस्तर सामान्य से चार फीट नीचे चला गया है। यह स्थिति न केवल किसानों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि पूरे जिले के लिए खतरे की घंटी है। एफएमडीए ने एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार के समक्ष भेजा है। प्रस्ताव में बताया गया है कि यमुना किनारे बसे गांवों में तालाब बनाए जाएंगे, जिससे वर्षा जल का संचयन किया जा सकेगा और भूजल को रिचार्ज करने में सहायता मिलेगी।
अधिकारियों के अनुसार,इस योजना के लिए जल्द ही जमीन चिन्हित करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। शुरुआत में उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जहां पानी की सबसे ज्यादा कमी दर्ज की गई है और जहां जल संचयन की बेहतर संभावनाएं हैं।
जलस्तर 3 से 15 मीटर तक नीचे गया
मास्टर डेवलपमेंट प्लान-2031 के अनुसार, पेजजल की मांग को 300 एमएलडी से बढ़ाकर 760 एमएलडी तक ले जाने की जरूरत होगा। लेकिन बीते दो दशकों में यमुना के बाढ़ मैदानों में जल स्तर 3 से 15 मीटर तक नीचे चला गया है, जबकि शहर के पश्चिमी हिस्सों में यह गिरावट 25 से 40 मीटर तक दर्ज की गई है। साथ ही, जल गुणवत्ता भी गंभीर रूप से प्रभावित हुई है।
10 हजार लीटर इसकी क्षमता होगी
अमृत सरोवर मिशन के तहत यमुना किनारे बाढ़ ग्रसित गांवों में जल संसाधनों का बढ़ावा देने के लिए तालाब बनाए जाएंगे। प्रत्येक अमृत सरोवर लगभग एक एकड़ में फैला होगा और 10 हजार क्यूबिक मीटर इसकी क्षमता होगी। अधिकारियों का कहना है कि ये तालाब सिर्फ जल संचयन का जरिया नहीं होंगे, बल्कि ये गांवों के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी योगदान देंगे। तालाबों के किनारे वृक्षारोपण, मत्स्य पालन और जैव विविधता संरक्षण जैसे कार्यों को भी बढ़ावा दिया जाएगा। स्थानीय निवासियों और पंचायतों को भी इस योजना में सहभागी बनाया जाएगा, जिससे तालाबों का संरक्षण और रखरखाव सुनिश्चित हो सके। इससे ग्रामीणों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
यमुना के किनारे 40 एकड़ में बने दो विशाल तालाब
इसके अलावा एफएमडीए की ओर से यमुना किनारे 40 एकड़ भूमि पर दो विशाल तालाबों का निर्माण किया जाएगा। इस परियोजना के लिए अब तक 30 एकड़ भूमि एफएमडीए को मिल चुकी है,जबकि शेष 10 एकड़ भूमि का अधिग्रहण प्रक्रिया में है। इसे प्रति एकड़ 16 लाख रुपये की दर से मंजूरी मिली। सरकार की ओर से इसके लिए 6.40 करोड़ रुपये भूमि लागत और 17.36 करोड़ रुपये की कार्य योजना स्वीकृत की गई। इस भूमि पर तालाबों का निर्माण और ट्यूबवेल लगाए जाएंगे, जिससे भविष्य की पेयजल की कमी को दूर किया जा सके।