विरोध की हर आवाज से डरती है भाजपा, प्रोफेसर की गिरफ्तारी पर भड़के खरगे
खरगे ने प्रोफेसर महमूदाबाद की गिरफ्तारी की निंदा की, इसे बीजेपी की असहमति दबाने की रणनीति बताया। उन्होंने सशस्त्र बलों, नौकरशाहों और बुद्धिजीवियों के समर्थन में लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जोर दिया।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला है। खरगे ने इसे बीजेपी की "असहिष्णुता और तानाशाही प्रवृत्ति" का प्रतीक बताया और कहा कि सरकार असहमति की हर आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। एक्स पर एक पोस्ट में, खरगे ने भारतीय सशस्त्र बलों, नौकरशाहों, शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों के प्रति कांग्रेस का समर्थन दोहराया, साथ ही किसी भी व्यक्ति के खिलाफ चरित्र हनन, उत्पीड़न, ट्रोलिंग, गैरकानूनी गिरफ्तारी या व्यवसायों के साथ तोड़फोड़ की कड़े शब्दों में निंदा की।
प्रोफेसर अली खान की गिरफ्तारी और विवाद
हरियाणा पुलिस ने 18 मई को अशोका यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को दिल्ली में उनके आवास से गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित उनके सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर की गई, जिसमें उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह द्वारा दी गई प्रेस ब्रीफिंग को "दिखावटी" करार दिया था। प्रोफेसर ने अपने पोस्ट में कहा था कि दक्षिणपंथी टिप्पणीकारों द्वारा कर्नल कुरैशी की प्रशंसा स्वागत योग्य है, लेकिन उन्हें भीड़ द्वारा हत्या और संपत्तियों के "मनमाने" विध्वंस के पीड़ितों के लिए भी उतनी ही जोरदार आवाज उठानी चाहिए।
इस पोस्ट के बाद हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया और बीजेपी युवा मोर्चा के महासचिव योगेश जठेरी ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की, जिसके आधार पर दो प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गईं। उन पर भारतीय दंड संहिता (BNS) की धाराओं के तहत देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने, सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
कांग्रेस का बीजेपी पर पलटवार
खरगे ने अपने बयान में इस गिरफ्तारी को बीजेपी की उस रणनीति का हिस्सा बताया, जो सरकार से सवाल उठाने वालों को चुप कराने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, "प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी यह दिखाती है कि बीजेपी किसी भी ऐसी राय से कितना डरती है, जो उन्हें पसंद नहीं।" खरगे ने एक लंबी पोस्ट में लिखा, "कांग्रेस हमारे सशस्त्र बलों, नौकरशाहों, शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों और उनके परिवारों के साथ खड़ी है। मैं किसी भी व्यक्ति के चरित्र हनन, बदनामी, ट्रोलिंग, उत्पीड़न, गैरकानूनी गिरफ्तारी और किसी भी व्यावसायिक इकाई पर बर्बरता की निंदा करता हूं, चाहे वह किसी भी तरह के तत्वों द्वारा या आधिकारिक राज्य मशीनरी के माध्यम से हो। अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी से पता चलता है कि भाजपा किसी भी राय से कितनी डरती है, जो उन्हें पसंद नहीं है। यह एक चैन रिएक्शन का नतीजा है जो हमारे शहीद नौसेना अधिकारी की शोक संतप्त विधवा, हमारे विदेश सचिव और उनकी बेटी को निशाना बनाने और भारतीय सेना में सेवारत कर्नल के लिए भाजपा के एक मंत्री द्वारा की गई निंदनीय अपमानजनक टिप्पणियों से शुरू हुई।"
खरगे ने मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और मंत्री विजय शाह पर भी निशाना साधा, जिन्होंने कथित तौर पर सशस्त्र बलों के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए थे। कांग्रेस ने दावा किया कि देवड़ा ने कहा था कि पूरी भारतीय सेना और बहादुर सैनिक प्रधानमंत्री मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं, जबकि शाह को पहलगाम हमले के आतंकवादियों की धर्म से जोड़कर कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी करने के लिए माफी मांगनी पड़ी थी। खरगे ने कहा कि बीजेपी ने अपने नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, उन लोगों को निशाना बनाया जो बहुलवाद का प्रतिनिधित्व करते हैं या सरकार से सवाल करते हैं।
खरगे ने आगे लिखा, "हमारे बहादुर सशस्त्र बलों के खिलाफ नफरती बयान देने वाले अपने ही मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और मंत्री को बर्खास्त करने के बजाय, भाजपा-आरएसएस यह कहानी गढ़ने में लगी हुई है कि जो कोई भी बहुलवाद का प्रतिनिधित्व करता है, सरकार से सवाल करता है या राष्ट्र की सेवा में अपने पेशेवर कर्तव्य का पालन करता है, वह इसके अस्तित्व के लिए खतरा है। जब राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हो तो सशस्त्र बलों और सरकार का समर्थन करने का मतलब यह नहीं है कि हम सरकार से सवाल नहीं कर सकते। कांग्रेस पार्टी के लिए राष्ट्रीय एकता सर्वोपरि है, लेकिन भाजपा को यह नहीं सोचना चाहिए कि वह मौजूदा घटनाक्रम की आड़ में तानाशाही को बढ़ावा दे सकती है। लोकतंत्र को मजबूती से खड़ा होना चाहिए।"
बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमति जताई। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष तर्क दिया कि प्रोफेसर के बयान पूरी तरह से देशभक्ति से प्रेरित थे। कोर्ट ने मामले को जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आश्वासन दिया, हालांकि तारीख की पुष्टि अभी नहीं हुई है।
इसके अलावा, अशोका यूनिवर्सिटी के फैकल्टी एसोसिएशन ने गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की और इसे "निराधार" बताया। एसोसिएशन ने प्रोफेसर की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की, साथ ही कहा कि उन्हें उनके दिल्ली स्थित घर से सुबह जल्दी गिरफ्तार किया गया, आवश्यक दवाओं तक पहुंच से वंचित रखा गया और घंटों तक उनके ठिकाने की जानकारी नहीं दी गई। 1,000 से अधिक शिक्षाविदों, पत्रकारों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर कर प्रोफेसर के समर्थन में हरियाणा महिला आयोग से नोटिस वापस लेने और माफी मांगने की मांग की है।