SDM पर पिस्तौल तानने वाले भाजपा विधायक की सदस्यता बर्खास्त, राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष ने लिया एक्शन!
राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। पिस्टल तानने और सरकारी संपत्ति को क्षतिग्रस्त करने के मामले में दोषी ठहराए गए बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है।

राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। पिस्टल तानने और सरकारी संपत्ति को क्षतिग्रस्त करने के मामले में दोषी ठहराए गए बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। विधानसभा सचिवालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि उनकी विधायकी 1 मई 2025 से प्रभावी रूप से समाप्त मानी जाएगी।
इस निर्णय से पहले विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने राज्य के महाधिवक्ता (एजी) और वरिष्ठ वकीलों से इस मामले में कानूनी राय मांगी थी। शुक्रवार को एजी ने अपनी राय सौंपते हुए सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला दिया और स्पष्ट किया कि जब तक सजा पर उच्चतम न्यायालय से स्थगन नहीं मिलता, तब तक सदस्यता समाप्त करना ही एकमात्र विकल्प है।
विधानसभा सचिवालय ने कंवरलाल मीणा को नोटिस जारी कर 7 मई तक जवाब देने को कहा था। उनसे पूछा गया था कि क्या उन्हें सुप्रीम कोर्ट से सजा पर कोई राहत मिली है? चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर कोई रोक नहीं लगाई, ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष के पास उनकी सदस्यता समाप्त करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने बताया कि शुक्रवार सुबह 10:30 बजे राज्य के महाधिवक्ता से विधिक राय प्राप्त होते ही यह निर्णय लिया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी विषय पर फैसला लेने से पहले सभी कानूनी पहलुओं का गंभीरता से अध्ययन किया जाता है और किसी प्रकार के दबाव में कार्य नहीं किया जाता।
देवनानी ने कहा कि इस मामले में राजनीति नहीं की जानी चाहिए और आवश्यक विधिक प्रक्रिया का पालन किया गया है। न्यायालय के फैसले के दिन ही महाधिवक्ता से विधिक राय मांगी गई थी। उन्होंने कहा कि दोष सिद्धि की तिथि से ही सदस्यता स्वत: समाप्त मानी जाती है और रिक्ति की सूचना विधानसभा द्वारा जारी की जाती है।
संविधान के अनुच्छेद 177 के अनुसार, राज्य का महाधिवक्ता विधानसभा की कार्यवाही में भाग ले सकता है और विधिक राय दे सकता है। देवनानी ने कहा कि पूर्व में भी विधानसभा से जुड़े मामलों में निर्णय लेने में समय लगा है, लेकिन इस मामले में विधिक राय मिलते ही तत्काल कार्रवाई की गई।
यह घटना विधानसभा के इतिहास में कोई पहली नहीं है। इससे पहले वर्ष 2017 में बसपा विधायक बीएल कुशवाह की सदस्यता हत्या के एक मामले में उम्रकैद की सजा मिलने के बाद खत्म कर दी गई थी। उस समय धौलपुर सीट पर उपचुनाव कराए गए थे, जिसमें बीएल कुशवाह की पत्नी शोभारानी कुशवाह ने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की थी।
कंवरलाल मीणा की सदस्यता समाप्त होने के बाद राजस्थान की सियासत में एक बार फिर राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस फैसले से विधानसभा में बीजेपी की स्थिति पर आंशिक असर पड़ सकता है, वहीं विपक्ष इस निर्णय को लोकतंत्र की मजबूती के तौर पर देख रहा है।
विधानसभा सचिवालय के अनुसार, यदि कोई विधायक दो वर्ष या उससे अधिक की सजा पाता है और उस पर कोई स्थगन नहीं मिलता, तो जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त मानी जाती है। ऐसे में यह फैसला तकनीकी रूप से भी पूरी तरह वैध माना जा रहा है।
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