2 बिल्डरों ने 80 करोड़ की सरकारी जमीन पर पास करा लिया नक्शा, रेरा की जांच में खुलासा
- करीब 80 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन पर नक्शा पास कराने की बात सामने आयी है। ताजा मामला हसनपुर खेवली और अहमामऊ गांव में सरकारी जमीन पर नक्शा पास कराने का है। यहां बिल्डरों ने जिस जमीन पर नक्शा पास कराया है। वह भूमि सरकारी मिली है।

लखनऊ के दो बिल्डरों ने ग्राम समाज और ऊसर भूमि को अपनी दिखाकर उस पर नक्शा पास करा लिया है। करीब 80 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन पर नक्शा पास कराने की बात सामने आयी है। ताजा मामला हसनपुर खेवली तथा अहमामऊ गांव में सरकारी जमीन पर नक्शा पास कराने का है। यहां बिल्डरों ने जिस जमीन पर नक्शा पास कराया है वह भूमि सरकारी मिली है।
यूपी रेरा की जांच में हुआ खुलासा, अब एलडीए से मांगी रिपोर्ट
यूपी रेरा (उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) ने जब इन बिल्डर्स के प्रोजेक्ट की जांच शुरू की तो सरकारी जमीन पर नक्शा पास कराने की जानकारी हुई। तहसील से दस्तावेज मंगाया तो पता चला कि अहमामऊ गांव की जिस तीन खसरे की भूमि को बिल्डर ने अपनी बता कर नक्शा पास कराया है उसमें से एक नंबर ऊसर के रूप में दर्ज है। जिस पर किसी भी प्रकार का निजी निर्माण अवैध है।
यूपी रेरा के सचिव प्रमोद कुमार उपाध्याय ने सात अप्रैल को एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार भी पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने नक्शा पास करने के बाद रिपोर्ट मांगी है। अपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि सर्वे में नगर निगम की जमीन मिली है। आगे जो जरूरी कार्रवाई नगर निगम के स्तर से होगी की जाएगी।
प्लाट पर 8 साल बाद भी नहीं दिया कब्जा
लखनऊ के मोहनलालगंज में प्लाट बेचने के आठ साल बाद भी कब्जा न देने पर एचके इन्फ्रा विजन के मालिक के खिलाफ मोहनलालगंज कोतवाली में प्लाट खरीदने वाले ने मुकदमा दर्ज कराया है। निलमथा के देव बिहार कालोनी में रहने वाले चन्द्रसेन चौबे ने एचके इन्फ्रा विजन प्रालि.के मालिक विनोद कुमार उपाध्याय से प्लाट मऊ कस्बे में खरीदा था। बैनामें के आठ साल बीत जाने के बावजूद उन्हें कब्जा नही मिला। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है।
हसनपुर खेवली में भी हुई ऐसी ही गड़बड़ी
लखनऊ के हसनपुर खेवली गांव में भी इसी तरह का मामला सामने आया है। यहां एक अन्य बिल्डर ने प्रोजेक्ट के लिए सरकारी जमीन को निजी दिखाकर नक्शा पास कराया। प्रशासनिक दस्तावेजों की जांच में यह जमीन भी सरकारी निकली, लेकिन तब तक नक्शा पास हो चुका था। अब इस मामले में भी यूपी रेरा ने एलडीए से उन दस्तावेजों को मांगा है जिसके आधार पर बिल्डर ने नक्शा पास कराया है।