Agra s Heritage Day Taj Mahal Overshadows Other Monuments Amid Neglect बोले आगरा: सिर्फ ताज सरताज, बाकी सब बेकार, Agra Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttar-pradesh NewsAgra NewsAgra s Heritage Day Taj Mahal Overshadows Other Monuments Amid Neglect

बोले आगरा: सिर्फ ताज सरताज, बाकी सब बेकार

Agra News - आज विश्व विरासत दिवस पर आगरा के तीन विश्व धरोहर स्मारकों में ताजमहल सबसे अधिक चर्चा में है। आगरा किला और फतेहपुर सीकरी जैसे अन्य स्मारकों की उपेक्षा से ये धरोहरें संकट में हैं। संरक्षण और प्रचार की...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराFri, 18 April 2025 06:24 PM
share Share
Follow Us on
बोले आगरा: सिर्फ ताज सरताज, बाकी सब बेकार

आज विश्व विरासत दिवस है। आगरावासियों को इस बात का गर्व है, तो मलाल भी है। गर्व इस बात का कि उनके शहर में एक, दो नहीं बल्कि तीन विश्व विरासत स्मारक हैं। इन स्मारकों में अकेले ताज पर ही सबका फोकस रहता है। वहीं मलाल इस बात का कि बाकी धरोहरों को लेकर सभी विभाग उदासीन हैं। इसी के चलते धरोहरों को सहेजा और संवारा नहीं जा पा रहा है। वहीं प्राकृतिक आपदाओं के दौरान होने वाले नुकसान के बाद ये धरोहरें धीरे-धीरे अपनी पहचान खोती जा रही हैं। गाइडों द्वारा पर्यटकों को भले ही इन स्मारकों के बारे में जानकारी दी जाती हो, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव के अलावा संसाधनों की कमी के कारण वह भी पर्यटकों तक इन स्मारकों ले जाने में सफल नहीं हो पाते हैं।

कुछ दिनों पहले केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री द्वारा देश के उच्च सदन (लोकसभा) में एक प्रश्न के जवाब में कहा गया कि ताजमहल में पिछले वर्ष सबसे ज्यादा पर्यटक दीदार करने के लिए आए। ये तो अच्छी बात है, लेकिन आगरा किला, फतेहपुरसीकरी सहित एक दर्जन नामचीन स्मारक इन आंकड़ों में दहाई का अंक तक न छू पाए।

ये आंकड़े हर साल जारी होते हैं और ताजमहल अव्वल रहकर अन्य स्मारकों की बदनामी को छुपा ले जाता है। कारण, इसके लिए जिम्मेदार भी तो यही विभाग है। प्रचार-प्रसार का अभाव और धरोहरों का संरक्षण न करने से उनकी बदहाली को लेकर कभी चर्चा तक नहीं होती। इसका सीधा असर पर्यटन पर ही पड़ता है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के आंकड़ों पर गौर करें, तो ताजमहल के संरक्षण के लिए हर साल करोड़ों रुपये के टेंडर होते हैं। किला और फतेहपुरसीकरी के संरक्षण के लिए भी कुछ पैसा स्वीकृत हो जाता है, लेकिन अन्य स्मारकों के संरक्षण के लिए कार्य कराने का नंबर तक नहीं आ पाता है। यहां के चीनी का रोजा संरक्षण के अभाव में दम तोड़ रहा है।

यहां के परिसर में कंडे पाथे जा रहे हैं। यहां के स्मारक की नक्काशी अपना स्थान छोड़ चुकी है, लेकिन इस मुगलकालीन विरास्त को सहेजने और संवारने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने जरूरत ही नहीं समझी। एक बार संरक्षण कार्य कराने के लिए टेंडर हुआ, लेकिन हूबहू नक्काशी के स्थान पर सीधा प्लास्टर कर दिया गया, जिससे इसकी खूबसूरती हमेशा के लिए खत्म हो गई। ये हालत अकेले चीनी की रोजा की नहीं, बल्कि अन्य स्मारकों की भी है।

वहीं आंधी-तूफान आने के दौरान इन विरासतों का काफी नुकसान होता है। उस दौरान भी ताजमहल ही संरक्षण कराए जाने के लिए एएसआई की प्राथमिकता में रहता है। अन्य स्मारकों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए कोई कार्य नहीं होता है। यदि ज्यादा बड़ा नुकसान हो जाता है, तो उसमें कुछ कार्य कराकर कर्तव्य की इतिश्री कर ली जाती है।

इसको लेकर इन विरासतों के माध्यम से भारतीय संस्कृति, ऐतिहासिक महत्व को पर्यटकों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले सांस्कृतिक दूत यानि गाइड भी कम परेशान नहीं हैं। उनकी मानें तो धरोहरों को सहेजने और संवारने के नाम पर खानापूरी की जाती है। संसाधन और प्रचार-प्रसार के अभाव के कारण भी ये विरासतें धीरे-धीरे इतिहास के पन्नों में ही दफन होती जा रही हैं।

वहां तक ले जाने के कोई साधन न होने और ब्रोशर तक में कोई सामग्री न प्रकाशित करने से पर्यटक को कुछ भी बताना और समझाना व्यर्थ की बातें हैं। इसलिए वह भी ताजमहल, किला और फतेहपुरसीकरी ही पर्यटकों को भ्रमण कराने तक सीमित रखने को मजबूर हैं।

पथकर से वसूली करोड़ों में, संसाधन के नाम पर चुप्पी

हर वर्ष पर्यटकों से कई सौ करोड़ रुपये पथकर के रूप में लेने वाला आगरा विकास प्राधिकरण भी पर्यटकों को कोई सुविधाएं नहीं देता है। पर्यटक द्वारा खरीदी जाने वाली टिकट की रकम का आधा हिस्सा आगरा विकास प्राधिकरण पथकर के रूप में लेता है।

इस पथकर निधि से प्राधिकरण को पर्यटकों को सुविधाएं देनी होती हैं। इसमें स्मारकों तक जाने वाले मार्ग का निर्माण, पर्यटकों के लिए परिवहन सुविधाओं को बेहतर करना, स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था, बस स्टॉपों को बेहतर करना शामिल होता है, लेकिन ये भारी भरकम राशि इस पर खर्च नहीं की जाती है।

विभागों की उदासीनता, पर्यटन लॉबी भी कम जिम्मेदार नहीं

स्मारकों को सहेजने, संवारने में रुचि न लेने और प्रचार-प्रसार न करने के पीछे एक ओर जहां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और पर्यटन विभाग उदासीन हैं। वहीं पर्यटन ट्रेड से जुड़े लोग भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। सबके फोकस में केवल और केवल ताजमहल ही रहता है। यही नहीं दिल्ली बैठकर राज कर रही पर्यटन लॉबी ताज को छोड़कर अन्य विरासतों के प्रचार-प्रसार में रुचि ही नहीं लेती हैं।

इसका हश्र सबके सामने है। पर्यटक केवल ताज देखकर लौट जाता है। कुछ समय बचा तो आगरा किला या फतेहपुरसीकरी में से कोई एक स्मारक देख लेता है। अन्य स्मारकों के बारे में या तो कोई उन्हें बताता नहीं है या फिर उन स्मारकों तक जाने के पहुंच मार्ग और अन्य सुविधाएं न होने से गाइड ही ले जाने से बचते हैं।

पीने के पानी तक नहीं, गाइड खुद करते हैं इंतजाम

ताजमहल का दीदार करने के लिए सूदूर देशों से पर्यटक आते हैं, लेकिन यहां आकर उन्हें निराशा तो तब होती है जब कंठ को तर करने के लिए दो घूंट पानी तक का इंतजाम किसी विभाग द्वारा नहीं कराया जाता है। शिल्पग्राम वह स्थान है, जहां सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं। भारतीयों की संख्या भी काफी होती है।

यहां एक 10 हजार लीटर पानी की टंकी जरूर रखी है, लेकिन सफाई न होने के कारण लोग पानी पीते ही नहीं हैं। यहां पर्यटकों के पानी पीने के लिए गाइडों ने स्वयं के पैसे से घड़े रखवाए हैं। उनमें रोज ताजा पानी भरवाकर पर्यटकों को पिलाया जाता है।

स्मारकों में एंट्री फ्री पर पर्यटकों को और सुविधाएं नहीं

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने विश्व विरासत दिवस पर भले ही पर्यटकों की एंट्री फ्री कर दी है, लेकिन अन्य सुविधाओं को देने की कभी भी कोशिश नहीं की। पर्यटकों को विश्व विरासत दिवस पर यहां की धरोहरों का दीदार कराए जाने के लिए अलग से इंतजाम किए जाने चाहिए थे, लेकिन पर्यटन विभाग इसमें कोई रुचि नहीं दिखाता है।

ताजमहल का दीदार करने के लिए तो पर्यटक बिना प्रचार-प्रसार के भी बड़ी संख्या में आते हैं। पर्यटन विभाग बिना किसी प्रयास के लिए साल के अंत में जारी होने वाले इन्हीं आंकड़ों को अपनी उपलब्धि में शामिल कर लेता है।

पर्यटकों के बैठने की व्यवस्था नहीं है। गाइडों के लिए बैठने का स्थान दिया गया था, अब वहां तार लगाकर बंद कर दिया गया है। बिजली काट दी गई है। पंखे चल नहीं रहे हैं। इन्ही हालातों में काम करना होता है।

बलजीत सिंह

गाइड

मेहताब बाग ले भी जाएं तो कोई फायदा नहीं है। रास्ते में इतना जाम मिलता है कि पर्यटक परेशान हो जाता है। ताज के अलावा अन्य विरासतों को चाहते हुए भी नहीं दिखा पाते हैं। विभागों को इस दिशा में सोंचना होगा।

मोहन सिंह

गाइड

ताज के अलावा किसी स्मारक के बारे में पर्यटक को जानकारी नहीं होती है। हम लोग अपनी तरफ से जब चीनी का रोजा, सिकंदरा, बेबी ताज के बारे में बताते हैं। विभागों द्वारा कोई प्रचार-प्रसार नहीं होता है। सुविधाएं भी नहीं मिलती हैं।

नौशाद कुरैशी

गाइड

पर्यटन विभाग का फोकस केवल ताजमहल पर ही रहता है। इसमें ट्रेवल एजेंट से लेकर पर्यटन ट्रेड से जुड़े अन्य लोग भी शामिल रहते हैं। अन्य स्मारकों की साइट सीन के लिए प्रमोट नही करते हैं। जिससे हमारी विरासतों के बारे में पर्यटकों को जानकारी नहीं हो पाती है।

फुरकान अली

गाइड

स्थानीय स्तर पर जिम्मेदार विभागों द्वारा किसी तरह की पर्यटकों को सुविधा दिए जाने वाली योजनाएं ही नहीं लाई जाती हैं। स्मारकों तक जाने के लिए रास्तों में साइन बोर्ड तक नहीं लगाए गए हैं। पहुंच मार्ग भी खस्ताहाल है।

काली चरन यादव

गाइड

ताजमहल, फतेहपुरसीकरी, आगरा किला ही क्यों, अन्य स्मारकों का भी प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। शहर में जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होने चाहिए। इससे हम अपनी विरासतों के अलावा अपनी भारतीय संस्कृति के बारे में भी पर्यटकों को बता सकेंगे।

भारत पाराशर

गाइड

यमुना पर डैम बनना चाहिए। यहां जल क्रीड़ाएं हों। पर्यटकों को वोटिंग कराई जाए। इससे पर्यटक आकर्षित होगा। प्रचार-प्रसार के अभाव में पर्यटक केवल ताजमहल, किला देखकर ही लौट जाता है। अन्य स्मारकों को देखने नहीं जा पाता है।

राजेंद्र कुमार

गाइड

विरासतों को सहेजने का काम होना चाहिए। समय-समय पर उनका संरक्षण भी जरूरी है। इस ओर जिम्मेदार विभागों को ध्यान देना होगा। पर्यटक मेहमान है। इसलिए उसके स्वागत के लिए संबंधित विभागों को हर स्मारक के बाहर व्यवस्था करनी चाहिए।

अनमोल

गाइड

पर्यटकों का भारतीय रीत-रिवाज के अनुसार स्वागत करना चाहिए। हम लोग कोशिश करते हैं कि उनका अतिथि देवो भव: की भावना से स्वागत करें। भारतीय परिधानों को भी हम लोग उनके बीच प्रमोय करने की कोशिश करते हैं।

मनिंदर सिंह

गाइड

पर्यटक सुविधा केंद्र के बोर्ड तो लगा दिए गए हैं, लेकिन केंद्र पर पानी तक की सुविधा नहीं है। हम लोगों ने आपस में मिलकर घड़े रखवाए हैं। ताजा पानी भरवाकर पर्यटकों को पिलाते हैं। कम से कम ये काम तो संबंधित विभागों को करना ही चाहिए।

रोहन

गाइड

ई-रिक्शा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगना चाहिए। ये लोग पर्यटकों से मनमाने पैसे वसूलते हैं। साथ ही अमर विलास पर लगे बैरियर तक ही छोड़ते हैं। वहां से पर्यटक को पूर्वी गेट तक लगभग 200 मीटर पैदल ही चलना होता है। गर्मी में तो पर्यटक की हालात खराब हो जाती है।

मनीष श्रीवास्तव

गाइड

गाइड भले ही पर्यटकों को अपनी जानकारियों और आवभगत से खुश कर देता हो, लेकिन गाइडों को ताजमहल तक जाने के लिए भी हर चक्कर के पैसे खर्च करने पड़ते हैं। गोल्फ कार्ट से जाने पर हर चक्कर के 20 रुपये देने होते हैं। इस पर रोक लगनी चाहिए।

दिलीप

गाइड

परिवहन की उचित सुविधा न होने के कारण हम पर्यटकों को अन्य धरोहरों का दीदार कराने के लिए नहीं ले जा पाते हैं। मेहताब बाग जब-जब पर्यटकों को ले गए तो वह जाम के कारण परेशान हो गया। पर्यटन ने नाराजगी भी जताई।

रिजवान

गाइड

पर्यटन विभाग को चाहिए कि वह अन्य धरोहरों को भी प्रमोट करने के लिए प्रचार-प्रसार करे। इसके लिए उन स्मारकों तक जाने के लिए पर्यटकों को परिवहन की सुविधा नि:शुल्क देनी चाहिए। इससे भी पर्यटन पर खासा असर पड़ेगा।

जितेंद्र पाराशर

गाइड

कई धरोहरें तो ऐसी हैं, जहां के हालात काफी खराब हैं। एक तो पहुंच मार्ग सही नहीं है। दूसरे स्मारक की बिल्डिंग का संरक्षण न होने से वह पर्यटक को घुमाने लायक ही नहीं बची है। ऐसे में पर्यटक को वहां तक ले जाकर सबकी छवि पर बट्टा क्यों लगाया जाए।

शिमोन तस्कीम

पर्यटकों के बैठने के लिए कैनोपी लगाने की बात कही गई थी। वह लगी नहीं तो वैकल्पिक इंतजाम के तहत पर्यटक सुविधा केंद्र बनाया गया था। पंखे लगे हैं, लेकिन चलते नहीं। कारण यहां की बिजली ही काट दी गई है। केंद्र के बाहर तार लगाकर अंदर बैठने की मनाही है।

राज कुमार

स्टे गाइड

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।