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बोले अयोध्या:मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए कड़े कानून की आवश्यकता

Ayodhya News - अयोध्या के जिला महिला अस्पताल में 22 नियमित और 17 संविदा स्टाफ नर्स कार्यरत हैं। नर्सों ने गृह जनपद में स्थानांतरण, समान वेतन और अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। कोविड-19 के दौरान नर्सों ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, अयोध्याFri, 28 Feb 2025 04:55 PM
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बोले अयोध्या:मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए कड़े कानून की आवश्यकता

नम्बर गेम- -22 स्टॉफ नर्स नियमित कर्मचारी के रूप में जिला महिला अस्पताल अयोध्या में कार्यरत हैं।

-17 स्टॉफ नर्स संविदा और आउटसोर्स पर महिला अस्पताल में कार्यरत हैं।

-950 मरीज जिला अस्पताल में उपचार कराने आते हैं।

-212 बेड की जिला अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने की है व्यवस्था।

अयोध्या। सरकारी व निजी अस्पतालों में मरीजों की देखभाल से लेकर इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका स्टाफ नर्स की रहती है। कोलकाता की घटना के बाद महिला सुरक्षा को लेकर व्यापक स्तर पर चर्चा हो रही है। इस समय तीमारदार व अस्पताल के मेडिकल स्टाफ के बीच अक्सर विवाद होने के मामले सामने आते हैं। निजी व सरकारी अस्पतालों के मेडिकल स्टाफ इससे काफी परेशान रहते हैं। आईएमए ने कई बार विभिन्न माध्यमों से अस्पतालों में होने वाली घटनाओं की रोकथाम के लिए कड़े कानून की मांग की है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर इस समय सरकारी व प्रशासनिक स्तर पर कई कदम उठाये गये है। जिला व महिला अस्पताल की सुरक्षा को हाईटेक किया गया है।

आईएमए के सचिव डा. प्रवीण मौर्या ने बताया कि पन्द्रह से दस साल पहले चिकित्सक कम रहते थे। तब जनता अपने को दिखाने के लिए डाक्टर का कुछ भी सुनने को तैयार रहती थी। अब डाक्टर से अधिक हो गये है। जिससे कम्पटीशन बढ़ा है। हम इलाज कर दे, वह न कर पाये। इसके साथ में झोलाछाप भी मरीज को देख रहे है। झोलाझाप के द्वारा इलाज को लेकर बेईमानी किए जाने की सम्भावना रहती है। इन्हीं झोलाझाप के द्वारा गलत इलाज मिलने पर कई बार जनता के मन में इलाज को लेकर नकारात्मक भाव आ जाता है।

उन्होंने बताया कि हास्पिटल में चिकित्सक व मेडिकल स्टाफ एक कर्मचारी की तरह रहते है। लेकिन अगर कहीं प्रकरण आता है तो तीमारदार सबसे पहले इन्हीं को जिम्मेदार ठहराता है। इसकी एक बड़ी वजह तीमारदार का मेडिकल व इलाज को लेकर जागरुक न होना है। ज्यादातर केस में दूसरी जगह इलाज कराके गम्भीरावस्था में तीमारदार मरीज को लेकर अस्पताल आते है। जिसमें मरीज की हालत खराब होने की जिम्मेदारी तीमारदार की रहती है। तीमारदार बुखार होने पर पहले झोलाझाप को दिखाएगा, फिर मेडिकल स्टोर से दवाई लेने के बाद अस्पताल आएगा। जिसके बाद इलाज को लेकर दिक्कतें होती है, अगर तीमारदार समय अपने मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचे तो स्वतः विवाद की घटनाओं पर विराम लग जाएगा। इसके लिए सबसे ज्यादा जरुरी तीमारदारों को जागरुक रहना है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में होने वाली विवाद की घटनाओं को रोकने के लिए कड़ा कानून बनाने की आवश्यकता है। अभी जो कानून है, इनसे विवाद करने वाले बचकर निकल जाते है। जिसकी मांग लगातार आईएमए कर रहा है।

गृह जनपद में पोस्टिंग हो व 50 से अधिक की उम्र वालों का न हो स्थानांतरण

अयोध्या। सरकारी अस्पतालों में काम करने वाली नियमित, संविदा व आउटसोसिंग पर काम करने वाली स्टाफ नर्सो की सबसे प्रमुख मांग गृह जनपद में पोस्टिंग की सुविधा दिलाये जाने की है। इसको लेकर स्टाफ नर्स ने कई बार ज्ञापन दिया। अस्पतालों में काम करने वाली ज्यादातर स्टाफ नर्स अपने गृह जनपद को छोड़कर दूसरे जनपद में काम करती है। परिवार से दूर उनको रहना पड़ता है। स्टाफ नर्सो का कहना है कि एक महिला होने के कारण दूसरे जनपद में रहने को लेकर कई दिक्कतें सामने आती है। पारिवारिक जिम्मेदारियां भी रहती है। जिनका निर्वाहन ठीक तरीके से नहीं हो पाता है। इसके साथ में 50 साल की उम्र से ज्यादा होने के बाद स्थानांतरण नहीं होना चाहिए। इतनी उम्र तक नौकरी करने के बाद स्टाफ नर्स उस जगह पर अपना घर बना लेती है। इसके बाद स्थानांतरण होने पर स्टाफ नर्स व उनके परिजनों को दिक्कतें होती है।

एक समान वेतन दिए जाने की किया मांग

जिला महिला अस्पताल में इस समय 17 संविदा व 22 परमानेंट स्टाफ नर्स की नियुक्ति है। स्टाफ नर्सो का यह भी कहना है कि लम्बे समय से आउटसोर्सिंग व संविदा पर काम करने वाली स्टाफ नर्सो को परमानेंट किए जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। यदि किसी कारण से स्थायी होने की व्यवस्था न हो सके तो समान कार्य समान वेतन भी व्यवस्था हो। संविदा नर्सो का वेतन काफी कम है। स्वास्थ्य विभाग में काम करते हुए ज्यादातर की उम्र 40 के पार चली जाती है। ऐसे में दूसरी जगह नौकरी मिलने की सम्भावना नहीं रहती है। सरकार को इसकी ओर ध्यान देना चाहिए।

कोविड काल में स्टार्फ नर्सो ने किया था सराहनीय कार्य

कोविड काल में स्टाफ नर्सो ने सराहनीय कार्य किया था। इस महामारी के समय लोग एक दूसरे के पास आने से डरते थे। महिला अस्पताल में काम करने वाली स्टाफ नर्सो ने बताया कि कोविड काल के दौरान परिवार से दूर रहना पड़ता था। परिवार वाले दूर से भोजन दे देते थे। इसके बाद भी स्टाफ नर्सो ने मरीजों की देखभाल अपनी पूरी क्षमता से किया। महिला अस्पताल में कोविड से बीमार महिलाओं का प्रसव भी कराया गया। जिसके बाद तत्कालीन डीएम ने इसकी सराहना किया था। तीमारदार उस समय भगवान की नजर से देखते थे। कोविड काल के बाद आज भी तीमारदार उस समय किए गये कार्यो की सराहना करते है।

कोलकाता की घटना के बाद बढ़ी अस्पतालों की सुरक्षा

- कोलकाता की घटना के बाद अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गयी। इसको लेकर मेडिकल कालेज से लेकर जिला अस्पताल में प्रदर्शन हुआ था। अस्पतालों में काम करने वालों के लिए कड़े कानून की मांग लगातार की जाती रही है। जिसके बाद जिले के सरकारी अस्पतालों को सीसीटीवी कैमरों से लैस किया गया है। जिला व महिला अस्पताल में सुरक्षा को लेकर कंट्रोल रुम बनाया गया है। यहां के सुरक्षागार्डों को वॉकीटाकी से लैस किया गया है। कंट्रोल रुम से लगातार सुरक्षा व्यवस्था की मानीटरिंग होती रहती है।

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बोली स्टॉफ नर्स

स्टाफ नर्स को गृह जनपद में स्थान रिक्त होने पर पोस्टिंग दिए जाने की सुविधा देनी चाहिए। ज्यादातर स्टाफ नर्स की तैनाती गृह जनपद को छोड़कर दूसरे जनपद में होती है, जिसकी वजह से दूसरी जगह उन्हें अपने परिवार से अलग कमरा लेकर रहना पड़ता है। - पूनम गुप्ता

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50 साल के अधिक उम्र वाली स्टाफ नर्स का स्थानांतरण नहीं होना चाहिए। इस उम्र के बाद अगर किसी स्टाफ नर्स का स्थानांतरण होता है, तो उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अगर स्थानांतरण जरुरी हो, तो वह गृह जनपद में किया जाय - राजपति

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मेडिकल स्टाफ ज्यादातर महिलाओं के होने की वजह से वह अपने गृह जनपद में रहना चाहती है। दूसरे जनपद में पोस्टिंग होने की वजह से उनको कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जगह रिक्त होने पर गृह जनपद में रहने की व्यवस्था होनी चाहिए - पुष्पा वर्मा

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स्टाफ नर्स पद पर काम करने वाली कई महिलाओं का गृह जनपद काफी दूरी पर स्थित है। ज्यादातर स्टाफ नर्स को पोस्टिंग वाली जगह पर कमरा लेकर रहना पड़ता है। इससे पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वाहन करने में दिक्कतें आती है। - सुनीता त्रिपाठी

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संविदा व आउटसोसिंग कर्मचारी बड़ी संख्या में सरकारी अस्पतालों को अपनी सेवाएं दे रहे है। संविदा व आउटसोसिंग के आधार पर काम करने वाली स्टाफ नर्सो को एक समय के बाद परमानेंट किए जाने की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए। - अनामिका

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संविदा व आउटसोसिंग के अधार पर काम करने वाली स्टाफ नर्स की सैलरी नियमित कर्मचारियों की तुलना में काफी कम है। समान कार्य समान वेतन की मांग को लागू होना चाहिए। इसके लिए शासन स्तर पर चर्चा होनी चाहिए। - शशिकला

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सरकार को समय-समय स्टाफ नर्स का स्थान रिक्त होने पर वैकेन्सी निकलना चाहिए। इसमें संविदा व आउटसोसिंग के आधार पर नौकरी करने वाली स्टाफ नर्स को शामिल करे। जिससे उनकी दिक्कतें दूर हो सके

- कंचन पाण्डेय

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स्टाफ नर्स की प्रमुख मांगो में गृह जनपद में पोस्टिंग मिलना है। संविदा से लेकर नियमित स्टाफ नर्स की तैनाती दूसरे जनपदों में है। जिसकी वजह से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। समान कार्य, समान वेतन भी होना चाहिए। - स्नेहलता

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समान काम समान वेतन की मांग को सरकार लागू करे। संविदा व आउटसोर्सिंग कर्मचारी अपनी पूरी क्षमता से कार्य करते है। लेकिन उन्हें नियमित कर्मचारियों की भांति सुविधा नहीं मिल पाती है। सरकार को इसके उपर विचार करना चाहिए- नीलू चौधरी

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कुछ कर्मचारियों का गृह जनपद .दूसरे प्रदेश में है। उन्हें अपने गृह जनपद जाने में काफी दिक्कतें होती है। ऐसे कर्मचारी अपनी पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में चाहते है। जिससे वह अपने परिवार के पास आसानी से जा सके- विष्णु प्रसाद

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शिकायतें--

1. स्टाफ नर्स को गृह जनपद में पोस्टिंग की सुविधा नहीं है

2. संविदा स्टाफ नर्स का वेतन काफी कम है।

3. सरकारी व निजी अस्पतालों में पर्याप्त सुरक्षा न होने से अक्सर विवाद होता है

4. 50 साल की उम्र के बाद स्थानांतरण में दिक्कतें होती है

5. सुरक्षा को लेकर बने कानून पूरी तरह से प्रभावी नहीं है

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सुझाव--

1. बीमारी को लेकर लोगो में फैलाई जाय जागरुकता

2. समान कार्य, समान वेतन योजना को किया जाय लागू

3. हास्पिटल में विवाद करने वालों के लिए हो कड़ा कानून

4. गृह जनपद में पोस्टिंग होने की सरकार करे व्यवस्था

5. 50 साल की उम्र पार करने वाले स्टाफ नर्स का न हो स्थानांतरण

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बोले जिम्मेदार

महिलाओं की सुरक्षा के लिए सीएचसी स्तर पर सीसीटीवी कैमरे लगे है। सरकारी व्यवस्था के आधार पर सुरक्षागार्डो की तैनाती की गई है। अगर कहीं प्रकाश की व्यवस्था कम पायी जाती है, वहां महिलाओं का आवागमन ज्यादा है, तो उस जगह पर अच्छी प्रकाश की व्यवस्था करने के निर्देश जारी किए गये है। सभी सीएचसी व पीएचसी प्रभारियों को निर्देश दिए गये है कि जहां प्रसव होता है उन जगहों पर अराजक तत्व न पहुंच पाये, इसके लिए प्रभावी कार्रवाई की जाए। अस्पताल में विवाद की घटनाएं होने पर 112 व स्थानीय पुलिस को तुरंत मौके पर पहुंचने के लिए कहा गया है।

-- डा. पुष्पेन्द्र कुमार, सीएमओ

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प्रस्तुति- पवन कुमार मिश्रा, फोटो- रवीन्द्र प्रताप सिंह

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