Devotion and Selflessness Insights from the Manas Conference राम शब्द का तात्पर्य राष्ट्र का मंगल विधान है, Barabanki Hindi News - Hindustan
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राम शब्द का तात्पर्य राष्ट्र का मंगल विधान है

Barabanki News - हैदरगढ़ में आयोजित मानस सम्मेलन के पाँचवे दिन पंडित रामकिंकर मिश्र ने भक्ति के उच्च आदर्श पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जब संसार के नाते-रिश्ते छूट जाते हैं, तब भक्ति की पूर्णता होती है। भरत जी ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, बाराबंकीFri, 21 March 2025 04:51 PM
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राम शब्द का तात्पर्य राष्ट्र का मंगल विधान है

हैदरगढ़। मानस का मूल तत्व भक्ति है। भक्ति का उच्च आदर्श भरत के चरित्र में प्रतिबिम्बित होता है। यह बात मानस व्यास पंडित रामकिंकर मिश्र ने बहुता धाम में आयोजित मानस सम्मेलन के पाँचवें दिन कही। उन्होंने बताया कि जब संसार के नाते-रिश्ते व भोग वासना से सम्बन्ध छूट जाता है। मन क्षण भर के लिए भी भगवान से दूर नहीं जाता है। तब भक्ति की पूर्णता सिद्ध होती है। भरत जी अयोध्या जैसे विशाल साम्राज्य का परित्याग कर राम जी से मिलने व उन्हें वापस लाकर राज सिंहासन पर प्रतिष्ठित करने के लिए चित्रकूट की ओर प्रस्थान करते हैं। तुलसी की दृष्टि में जीव का हित संसार से प्रेम करने में नहीं है। अपितु राम से प्रेम करने में हैं। इसी कारण भरत जी गुरु वशिष्ठ की सभा में राजा बनने का प्रस्ताव अस्वीकार कर देते हैं। मानस विद्वान दिनेश दीनवन्धु ने कहा कि संसार साधन और परमात्मा साध्य है।इस संसार में जन्म लेने का एकही एकमात्र उद्देश्य है कि भौतिक पदार्थों का उतना ही उपयोग करें जिससे भगवत प्राप्ति की साधना में बाधा न पड़े। धर्म गुरु कैप्टन रामनरेश त्रिपाठी ने कहा कि राम शब्द का तात्पर्य राष्ट्र का मंगल विधान है।

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