बोले बस्ती : एनजीओ को मिले अनुदान तो बढ़ जाए मदद का दायरा
Basti News - बस्ती में सामाजिक कार्यों में योगदान देने वाली महिलाओं को भेदभाव और चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वे रक्तदान, स्वास्थ्य शिविर, और पर्यावरण संरक्षण में बढ़-चढ़कर भाग ले रही हैं। क्लब की सदस्याएं...
Basti News : सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़कर योगदान देने वाली महिलाओं के सामने भेद-भाव की चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं। पर्यावरण संरक्षण की बात हो या रक्तदान की या फिर शिविरों की, इन सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी पिछले एक दशक में बढ़ी है। सामाजिक सेवा से उन्हें संतुष्टि तो मिल रही है, लेकिन कमतर आंकने की धारणा से महिलाएं निराश और हतोत्साहित होती हैं। उनकी क्षमताओं पर लोग सवाल उठाते रहते हैं या फिर उन्हें समान मौके नहीं मिलते। महिलाओं को बड़े मंचों पर अपनी गैरमौजूदगी अखरती है। उनके साथ भेदभाव किया जाता है। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में महिलाओं ने खुलकर अपनी पीड़ा बंया की।
आधी आबादी अमूमन घर की ड्योढ़ी में ही कैद रहती है। उनके कंधे पर घर-परिवार संभालने की जिम्मेदारी रहती है लेकिन, शहर की कई ऐसी भी महिलाएं हैं, जो अपने परिवार की देखभाल के साथ ही दूसरों के लिए भी मददगार साबित हो रही हैं। इन महिलाओं ने न सिर्फ हौसले के दम पर समाज के उन परिवार की मदद कर पहचान बनाई है, बल्कि समाजसेवा में भी निस्वार्थ भाव से जुटी हुई हैं। घर की आंगन को सजाकर महकाने वाली महिलाएं अब बाहर निकलकर पौधरोपण कर रही हैं। हर व्यक्ति को जीवन में एक पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक कर रही हैं तो कभी मलिन बस्तियों में स्वास्थ्य शिविर लगाकर उनकी सेहत की जांच कराने के साथ ही उन्हें योजनाओं की जानकारी देती हैं। इसके अलावा उनकी पूरी कोशिश रहती है कि अन्य महिलाओं को अपने साथ लेकर उन्हें भी स्वावलंबी बनाएं। शहर में इनरह्लील क्लब बस्ती मिडटाउन महिला शाखा से 100 से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं। इनमें ज्यादातर महिलाएं कारोबारी परिवार से हैं। कुछ महिलाएं आर्थिक रूप से संपन्न न होने के बाद भी समाजसेवा के क्षेत्र में काम कर रही हैं। कोरोना काल के दौरान जब लोग लॉकडाउन के कारण घरों में कैद थे तो क्लब की सदस्यों और संगठन से जुड़ी महिलाओं ने उनकी मदद का जिम्मा उठाया था। उस वक्त गरीब परिवार के घरों में राशन इत्यादि की व्यवस्थाएं करने के साथ ही महिलाओं में सैनेटरी पैड, मास्क आदि का वितरण किया। भोजन तक परोसा। समाजसेवा में जुड़ी महिलाओं का कहना है कि परिवार की देखभाल के साथ ही वे समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं। इस दौरान उनके सामने सबसे बड़ी समस्या धन की आती है। एनजीओ तो उनका है, लेकिन सरकार से फंड नहीं मिलता। इससे वे कई मामलों में मदद करने से भी चूक जातीं हैं। अनुदान की व्यवस्था हो तो इन संगठनों का दायरा बढ़ेगा, इससे मदद के अवसर और मिलेंगे। महिला शाखा की मीतू अग्रवाल का कहना है कि अक्सर सोशल मीडिया पर लोग मदद की गुहार लगाते हैं। किसी को ऑपरेशन तो किसी को अन्य इलाज के लिए मदद की आवश्यकता होती है। क्षमता के अनुसार मदद की जाती है लेकिन लाखों रुपये खर्च कर किसी की मदद करने की स्थिति नहीं है। अगर सरकार से उन्हें भी फंड मिले तो वे मदद करने के साथ-साथ कई महिलाओं को स्वावलंबी भी बना सकती हैं। फिर भी महिलाओं को सिलाई मशीन, अन्य स्वरोजगार से जोड़ने की मुहिम चल रही है। योजनाओं का धरातल पर नहीं हो रहा क्रियान्वयन रश्मि अग्रवाल का कहना है कि कोरोना काल से हम सभी नर सेवा नारायण सेवा मानकर मदद करने उतरे हैं। फंड की कमी महसूस होती है। चाहकर भी कुछ लोगों की मदद नहीं कर पाते। वहीं संगठन की महिलाओं का कहना है कि महिलाओं के स्वावलंबन को संचालित योजनाओं का धरातल पर क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। अगर फंड मिले तो हम आगे भी बढ़ाएंगे और रोजगार से भी जोड़ेंगे। महिलाओं का कहना है कि सकरी गलियों से निजात मिले। पिंक बूथ हर वार्ड में हो। सम्मान के लिए अलग से कोई सरकारी समिति बने। सुरक्षा के साथ स्वालंबन के लिए कुछ अलग से प्रयास किया जाना चाहिए। गरीब कन्यायों की शादियों में दिया जाता है पूरा सामान इनरह्वील क्लब की सदस्य कला अग्रवाल ने बताया कि हम लोगों को जानकारी होती है कि किसी गरीब लड़की की शादी है और उसके घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है तो हम सभी क्लब की सदस्य खुद पैसा एकत्रित करके लड़की के लिए चुनरी, साड़ियां, बर्तन, पंखा, बेड सहित उसके जरूरत की हर सामान उपलब्ध कराने का पूरा प्रयास करते हैं। पूरा सामान खरीदकर लड़की के घर जाकर लड़की को देते हैं। शादी में रहते भी हैं। निराश्रित महिलाओं को सिलाई मशीन उपलब्ध करते हैं, जिससे उनका जीवन ठीक ढंग से व्यतीत हो सके। ठंड के दिनों में गरीब महिलाओं व पुरुषों को कंबल वितरित करते हैं जिससे वो लोग कड़ाके की ठंड से बच सके। यात्रियों के बैठने के लिए टीन शेड का निर्माण कराया गया। रेलवे स्टेशन पर अस्पताल में व्हील चेयर दिया गया, जिससे दिव्याग जनों को आने-जाने में असुविधा नहीं हो। इसके साथ ही हम लोग अक्सर निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन करते हैं जिसमें सभी तरह की जांच, चिकित्सकों का परामर्श और दवाओं का वितरण भी किया जाता है। हम लोगों की तरफ से प्रतिवर्ष पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए पौधरोपण भी किया जाता है। पौधों को संरिक्षत करने का भी पूरा प्रयास किया जाता है। रक्तदान कर दूसरों की जान बचाती हैं महिलाएं बस्ती। घर में चौका-बर्तन से लेकर परिवार संभालने वाली महिलाएं भी बाहर निकलकर समाज के साथ कदमताल कर रही हैं। अब तो वे अनछुए क्षेत्रों में भी हाथ बंटा रही हैं। पहले रक्तदान करने को लेकर महिलाओं में अलग धारणा थी, लेकिन अब दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए वे भी पीछे नहीं हैं। अन्य महिलाओं को भी वे रक्तदान के लिए प्रेरित कर रही हैं। एक फोन पर महिलाएं रक्तदान के लिए तैयार हो जाती हैं। इनरह्वील क्लब बस्ती से जुड़ी महिलाएं और अन्य महिलाएं मिलकर रक्तदान के लिए ऐसा अलख जगाई है कि दूसरी महिलाएं भी रक्तदान के लिए जागरूक हो गई हैं। इसी का परिणाम है कि जब इन महिलाओं को पता चलता है कि मेडिकल कॉलेज कैली, जिला अस्पताल या फिर संचालित सेवा ब्लड बैंक समेत चार अन्य निजी ब्लड बैंको में जाकर भर्ती मरीज के लिए खून की व्यवस्था करवाती हैं। आवश्यता है तो वे सीधे परिजनों से संपर्क कर ब्लड बैंक पहुंचकर रक्तदान करती हैं। इससे न सिर्फ लोगों की जान के साथ परिवार उजड़ने से बच रहा है, ब्लकि ये महिलाएं समाज के आइने में नजीर बन रहीं। क्लब की महिलाओं ने रक्तदान के फायदे गिनाकर अन्य महिलाओं को भी इसके प्रति जागरूक किया है। इन महिला रक्तदाताओं में कुछ ऐसी भी हैं, जो नियमित अंतराल पर रक्तदान करती चली आ रही हैं। समाज के गरीबों की मदद करना है क्लब का उद्देश्य बस्ती। इनरह्वील क्लब की अध्यक्ष कला अग्रवाल ने बताया कि क्लब की तरफ से जीजीआईसी स्कूल के बाहर एक हैंडपंप लगवाया गया है और वही बगल में एक पीपल का पेड़ है जिसका चबूतरा राहगीरों के बैठने के लिए ठीक करवाया गया है। सभी पदाधिकारी के साथ उड़ान स्कूल जो निश्शुल्क चलाया जा रहा है वहां पर मौजूद बच्चों के साथ बातचीत किया गया। उन्हें हम लोगों ने कापी और कलर वितरित किया। स्कूल की एक छात्रा ने सिलाई का प्रशिक्षण लिया था। आगे उसकी जीविका चलाने के लिए एक सिलाई मशीन भी दिलवाई गई। बच्चों ने ड्राइंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया इसके लिए उन्हें पुरस्कार भी दिया गया। क्लब की अध्यक्ष कला ने बताया कि पुरानी बस्ती में क्लब के सदस्यों के सहयोग से उड़ान स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी करवाया जाता है। जिसमें बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली छात्राओं को पुरस्कृत भी किया जाता है। यहां बराबर कोई न कोई इवेंट करवाया जाता है जिससे बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारा जा सके। कुछ बालिकाओ ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि इतना ही नहीं बस्ती जनपद में एक का बच्चा है वह थैलेसीमिया बीमारी से ग्रसित है जिसकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है। क्लब ने अपना हाथ बढ़ाया और 18600 की धनराशि उन्हें मदद के लिए दी। विद्यालय परिसर में एक कन्या के विवाह के लिए भी कुछ सामग्री क्लब के सदस्यों की मदद से कुछ एकत्रित की गई और उसे गरीब कन्या की किया गया। एक व्यक्ति को सिलाई मशीन भी दिया गया जिससे वह अपनी बीबी के साथ सुचारू रूप से घर का खर्च चला सके। इस तरह के सहयोग में क्लब की अन्य सदस्य भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया लेती हैं। हुआ। किसी भी सामाजिक सहयोग के समय क्लब की चंदा, संगीता, अनीता, कृष्णा, आभा, दीपा, शिवांगी, प्रतिमा, दीपिका, कमल, सरिता, सविता, सीमा, साधना, तूलिका, आशा और क्लब के अन्य सभी सदस्य मौजूद रहते हैं। बताया कि अभी (चापाकल) लगवाया गया। वहां पेड़ की छांव तले हैंडपंप लगवाए हैं जिससे ऑटो और रिक्शा चालक वहां पानी पी सके। वहां काफी मजदूर काम करते हैं जैसे हैंड पंप लगने से बहुत आराम हो गया है। क्लब की अध्यक्ष कला अग्रवाल ने कहा गर्मी के मौसम में राहगीर को पानी आसानी से मिल पाएगा और विश्राम करने में थोड़ी आसानी हो जाएगी । शिकायतें - शहर के मुकाबले गांव में आज भी जागरूकता की कमी है। इस वजह से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। - सामाजिक सेवा से जुड़ी महिलाओं के सामने परिवार संभालने के साथ-साथ सामाजिक कार्य करने में दिक्कत होती है। - महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए सरकार की ओर से संचालित योजनाओं का धरातल पर क्रियान्वयन नहीं होने से उसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। - बड़े मंचों पर महिलाओं के साथ आज भी भेदभाव किया जाता है। समाज के लिए योगदान देने के बाद भी महिलाएं सम्मान से वंचित रह जा रही हैं। यह भेदभाव रुके। - घर-परिवार चलाने के साथ ही समाजसेवा में पीछे नहीं हैं। सहयोग मांगने पर कुछ लोग नजरअंदाज करते हैं। सुझाव -समाज के जरूरतमंद और आर्थिक रूप से कमजोर की मदद में जुटी महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं किया जाए। - सरकार की ओर से एनजीओ को फंड दिलाने का प्रयास किया जाना चाहिए। इससे क्लब के लोग इलाज आदि में जरूरतमंदों की वे भी मदद कर सकें। - महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का काम एनजीओ को ही मिले। इससे अन्य महिलाओं को अपने साथ जोड़कर उन्हें आगे बढ़ाना आसान होगा। - आर्थिक रूप से कमजोरों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जाए। इसकी मॉनीटरिंग के लिए संबंधित विभाग के कर्मचारी को नोडल बनाया जाए। - समाजसेवा को जाति-धर्म से जोड़कर न देखा जाए व राजनीति का जरिया भी न समझा जाए। बोलीं संगठन सदस्य सामाजिक संगठनों ने पुरानी बस्ती क्षेत्र की समस्याओं को भी बार-बार उठाया है। इस क्षेत्र की सड़क संकरी है। इस कारण आवागमन में कठिनाई होती है। पारुल अधिकतर महिलाएं घर में रहती हैं। उनके घरों के सामने गंदगी का अंबार लगा रहता है। इस मुद्दे को लेकर जागरूकता फैलाई जाती है। फिर भी सफाई को नपा को कहना पड़ता है। आभा सिंघल महिला संगठनों को दूसरे की सहायता करने के लिए समाज से भी सहयोग मिलना चाहिए। ऐसी कुछ व्यवस्था हो कि जन सामान्य से धन मिले और उससे जरूरतमंदों की मदद की जा सके। अनीता अग्रवाल महिला सामाजिक संगठनों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं, लेकिन उन्हें आज भी कमतर आंका जाता है। महिलाओं और उनके संगठन को समाज में उचित सम्मान मिलनी चाहिए। संगीता अग्रवाल महिला संगठनों ने कई गरीब परिवारों को शादी विवाह व अन्य मांगलिक कार्यों में सहयोग करते हैं। इस काम में समाज की भी भागीदारी होनी चाहिए। सविता गरीब बच्चों को महिला संगठन पहचान करते हैं। छात्राओं के फीस से लेकर कॉपी-किताब तक की मदद की जाती है। इस काम का दायरा बढ़ाने को फंड की आवश्यकता पड़ती है। आशा अग्रवाल समय-समय पर महिलाएं रक्तदान करती हैं। पौधरोपण के साथ अन्य सामाजिक काम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती है। इसके लिए उन्हें सम्मान मिलना चाहिए। कमल गाडिया कई सामाजिक संगठनों ने स्कूलों से लेकर अन्य जरूरी जगहों पर पेयजल की व्यवस्था कराई है। गांवों में साफ-सफाई के लिए जागरूक किया जाता है। प्रतिमा जायसवाल हम इनरह्वील की सदस्य गरीबों के लिए काम करते हैं। इसके लिए हम किसी से मदद नहीं मांगते हम लोग अपने घर के खर्च से कटौती करके असमर्थ लोगों की सेवा में लगे रहते हैं। शिवांगी पांडेय सामाजिक संगठनों के प्रति सरकार का रवैया स्पष्ट नहीं है। चिकित्सा क्षेत्र हो या फिर समाज सेवा का अन्य क्षेत्र में महिलाएं कदमताल कर रहीं, लेकिन सम्मान से वंचित हैं। उमा अग्रवाल कठिन समय में महिलाएं घर से निकलकर अपना योगदान समाजसेवा में कर रही। फिर, भी हक देने में कोताही बरती जाती है। उन्हें समानता का अधिकार दिया जाए। साधना गोयल घर की ड्योढ़ी से निकलकर कीमती समय देने वाली महिलाओं के प्रति धारणा बदलनी चाहिए। बैंकों के साथ सरकार जो फंड जनहित में देती है उसमें संगठनों की हिस्सेदारी तय हो। रिंकी सालवानी न्यायालय रोड पर कहीं भी महिला यूरिनल की व्यवस्था नहीं है। इसलिए कचहरी में आने वाली महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सीमा गुप्ता हमारे क्लब का सबसे पहला उद्देश्य यही रहता है कि हम लोग समाज के लिए कुछ बेहतर कर सकें। गरीबों के लिए उनके जरूरत की सामान पहुंचा सकें। कला अग्रवाल सरकारी योजनाएं हो या फिर अन्य कार्यक्रम सब में महिला संगठनों की भागीदारी रहती है। जब हक की बात आती है तो इन महिलाओं के नाम तक नहीं लिए जाते। चन्दामातन हेलिया रक्तदान हो, हेल्थ शिविर हो या फिर लोगों के फिटनेस की बात चाहे हो पर्यावरण हर क्षेत्र में महिलाएं अब आगे आकर इसमें योगदान दे रही हैं। सरिता रूंगटा बोले जिम्मेदार पंजीकृत संस्थाओं को सरकार के नियमानुसार विभिन्न प्रोजेक्टों के सापेक्ष काम दिए जाते हैं। स्वयं सेवी संस्थाएं किसी जनउपयोगी कार्य के सापेक्ष प्रोजेक्ट बनाकर दाखिल करती हैं तो उसे संबंधित विभाग को स्वीकृति के साथ भेज दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर प्रशासन महिला संगठनों से विभिन्न मुद्दों पर सहयोग लेता रहता है। उनकी अगुवाई में जागरूकता के कार्यक्रमों तक को चलाया जाता है। मतदाता जागरूकता, जनसंख्या नियंत्रण, यातायात नियमों का पालन, कुरीतियों के शमन, नशा मुक्ति, दहेज निषेध सहित कई बिन्दुओं पर सहयोग लिया जाता है और आगे भी जागरूकता कार्यक्रमों में सहयोग लिया जाता रहेगा। रवीश गुप्ता, जिलाधिकारी, बस्ती विभिन्न महिला क्लबों इनरह्वील, मारवाणी महिला क्लब आदि के माध्यम से दिव्यांगजनों, दिव्यांग बच्चों की शिक्षा, गरीबों के परिवार को रोटी व कपड़ा, गरीब बच्चियों की शिक्षा और उनके विवाह आदि में मदद की जाती है। पौधरोपण से लेकर रक्तदान तक करने के लिए हम महिलाएं अपने संगठन के माध्यम से आगे आ रही हैं। इस काम में कुछ मोड़ ऐसे आते हैं, जहां पर प्रशासनिक और वाह्य आर्थिक सहायता की जरूरत महसूस होती है। ऐसे जगहों पर सहयोग मिले तो कार्य को संचालित करने में और आसानी होगी। सुजाता गिरोत्र, समाजसेविका
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।