बंद कराने के बाद भी धधक रहे हैं अबैध ईंट भट्ठे
Deoria News - देवरिया में बंद किये जाने के बावजूद अबैध ईट भट्ठे चल रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कुछ भट्ठों को बंद कराया, लेकिन वे फिर से शुरू हो गए। 375 भट्ठों में से केवल 127 ने अनुमति ली है। अधिकारियों की...

देवरिया, निज संवाददाता। बंद कराने के बाद भी अबैध ईट भट्ठें धधक रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिले की टीम ने पखवाड़े भर पहले भटनी के महुरांव ईट भट्ठे को बंद कराया था, लेकिन तीसरे दिन से भट्ठा फिर चलने लगा। सदर और भाटपाररानी तहसील में भी बंद कराये गये ईट भट्ठे चल रहे हैं। पौने चार सौ भट्ठों में महज 127 ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सहमति लिया है। डीएम के पत्र लिखने के बाद भी अबैध ईट भट्ठों को बंद कराने में एसडीएम व एसओ रुचि नहीं ले रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी महज पत्र लिखकर कर खानापूर्ति कर रहा है। बंद कराने के निर्देश के बाद भी अबैध ईट भट्ठों के चलने से जिम्मेदार अफसरों पर सवाल उठने लगे हैं।
जिले में 375 ईट भट्ठें चल रहे हैं, इनमें से महज 127 भट्ठें ही उतर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सहमति पत्र लिये हैं, करीब ढ़ाई सौ ईट भट्ठें बिना सहमति पत्र के अबैध रूप से चल रहे हैं। जबकि एनजीटी के नियमानुसार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सहमति पत्र लेना अनिवार्य है। 5 सितंबर-23 को तत्कालीन डीएम ने सभी एसडीएम, एसओ को पत्र लिखकर अबैध रूप से चल रहे ईट भट्ठों को बंद कराने का निर्देश दिया था। लेकिन डीएम के पत्र के बाद भी एसडीएम व थानाध्यक्ष अपने क्षेत्र में चल रहे अबैध ईट भट्ठों को बंद कराने में रूचि नहीं लिये और भट्ठों ने अपना सीजन पूरा कर लिया।
2 फरवरी- 25 को डीएम दिव्या मित्तल ने एसपी, एडीएम वित्त एवं राजस्व, सभी एसडीएम व खनन अधिकारी को पत्र लिखकर अबैध चल रहे ईट भट्ठों को बंद कराने का निर्देश दिया, लेकिन जिम्मेदार अफसर ढ़ाई महीने बाद भी अबैध भट्ठों को बंद नहीं कराये। पखवाड़े भर पहले उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने फायर ब्रिग्रेड, पुलिस की मदद से भटनी के महुरांव में यादव ब्रिक फील्ड ईट भट्ठे को बंद कराया। साथ गयी फायर ब्रिगेड की टीम ने भट्ठें में पानी डाला, लेकिन दो दिन बाद फिर से भट्ठा धधकने लगा।
इसी तरह से सदर और भाटपार तहसील में भी पिछले माह कुछ अबैध भट़ठों को बंद करा गया था, लेकिन वह भी डंके की चोट पर चल रहे हैं। अबैध भट्ठों के खिलाफ कार्रवाई करने की जगह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन एक दूसरे को पत्र लिख रहे, जबकि इधर ईट बनाने का एक- एक दिन सीजन निकलता जा रहा है।
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