निजीकरण की प्रक्रिया के बीच पीएम मोदी के हाथों शिलान्यास क्यों? संघर्ष समिति ने उठाया सवाल
एक तरफ पूर्वांचल विद्युत वितरण के क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को 500 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास करेंगे तो दूसरी तरफ निजीकरण की प्रक्रिया चल रही है। इसे लेकर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने सवाल उठाया है। पूछा है कि जब निजीकरण करना है तो नई योजना क्यों शुरू हो रही।

बिजली कंपनियों के निजीकरण का विरोध कर रही विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने गुरुवार को सवाल उठाया कि वाराणसी में शुक्रवार को प्रधानमंत्री द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में सैकड़ों करोड़ रुपए की नई बिजली परियोजनाओं का शिलान्यास हो रहा है तो निजीकरण की प्रक्रिया क्यों चल रही है। इसके साथ ही मांग की कि ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट घोटाला सामने आने के बाद निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाये। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन के झूठे शपथ पत्र और तमाम फर्जी दस्तावेजों के उजागर होने के बाद संघर्ष समिति के इस आरोप की पुष्टि हो गई है कि निजीकरण की सारी प्रक्रिया में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। संघर्ष समिति ने बड़े पैमाने पर निजी घरानों से ऊर्जा निगमों में निदेशक बनाए जाने पर सवाल खड़ा करते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि 11 अप्रैल को वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम विशेषता वाराणसी नगर में बिजली व्यवस्था के सुधार के लिये 500 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास किया जाने वाला है। यह सब धनराशि सरकारी क्षेत्र में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में खर्च की जायेगी। संघर्ष समिति ने कहा कि आरडीएसएस स्कीम लागू होने के बाद लगातार बिजली व्यवस्था में सुधार हो रहा है और हानियां कम हो रही हैं। अब 500 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाएं सरकारी क्षेत्र में विद्युत वितरण निगम के लिए स्वीकृत की जा रही हैं। इस धनराशि से बिजली व्यवस्था में और सुधार होगा। ऐसी स्थिति में व्यापक सुधार के बाद बिजली व्यवस्था निजी क्षेत्र को देने का क्या औचित्य है।
ऊर्जा निगमों के लिए निदेशकों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर निजी घरानों से लाकर निदेशक नियुक्त किए जाने पर भी सवाल खड़ा करते हुए संघर्ष समिति ने कहा कि इससे और स्पष्ट हो जाता है कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन और उत्तर प्रदेश शासन में बैठे हुए उच्च अधिकारी निजी घरानों से मिले हुए हैं और निजी कंपनियों को मदद करने के लिए ही निजी घरानों से निदेशक नियुक्त किए गए हैं।