लखनऊ में खनन करा रहे बाहरी जिलों के गिरोह
Lucknow News - डीएम ने बांदा में ठेकेदारों द्वारा परमिट से दलाली करने की जांच शुरू की है। प्रशासन ने कलेक्ट्रेट में खनन अनुभाग पर सीसी कैमरे लगाने का निर्देश दिया है। कई ठेकों को निरस्त किया जा सकता है और विभागीय...

डीएम ने कराई जांच, बांदा के ठेकेदार ले रहे परमिट विभागों से अनुमतियां लेकर कर रहे बड़े पैमाने पर दलाली कलेक्ट्रेट के खनन अनुभाग पर सीसी कैमरे लगाने का निर्देश खनन के कई ठेके निरस्त हो सकते हैं, बड़े स्तर पर जांच लखनऊ प्रमुख संवाददाता लखनऊ में खनन माफिया के गिरोह काम कर रहे हैं। इसका पता डीएम की प्रारम्भिक जांच में लगा। शक है कि कई और जिलों में गिरोह सक्रिय हैं। डीएम ने इस मामले में शासन को भी सूचना दी है ताकि खनन अनुज्ञा पत्र के लिए विभागीय पोर्टल पर आए आवेदनों की जांच हो सके। लखनऊ में खनन के लिए बांदा के शख्स ने पर्यावरण अनुमति मांगी तो राजफाश हुआ।
यूपी में अवैध खनन में सबसे ज्यादा बांदा के ही माफियाओं के नाम सामने आए हैं ऐसे में प्रशासन से शासन तक अधिकारी सतर्क हो गए हैं। कलेक्ट्रेट में खनन अनुभाग में सीसी कैमरे लगाने के निर्देश दिए गए हैं। इन कैमरों की मदद से ऐसे लोगों को चिह्नित किया जाएगा जो बार-बार अनुमति के लिए पहुंच रहे हैं। खनन गिरोह विभागीय सेटिंग से अनुमतियां लेकर दूसरे को बेच दे रहे हैं। एक खनन की अनुमति लेता है और दूसरा ईसी यानी पर्यावरण प्रमाणपत्र। लखनऊ में खनन के लिए यहां के एक शख्स ने आवेदन किया, अनुमति मिलने के बाद पर्यावरण सर्टिफिकेट बांदा के शख्स का मिला तो डीएम विशाख जी को खटका। इसके बाद एक दिन पहले कैसरबाग में मुकदमा दर्ज करा दिया गया था। रायबरेली रोड बीबीएयू के पास शहीदनगर में रहने वाले अश्वनी प्रताप सिंह ने 24 फरवरी को यूपी माइन मित्रा पोर्टल पर मिट्टी खनन की अनुमति का आवेदन किया। इसमें सरसंडा गांव में ढाई मीटर तक मिट्टी खनन की अनुमति मांगी थी। वहीं बांदा जिले के नरैनी में रहने वाले दिलीप कुमार ने 30 नवंबर 2024 को उसी गांव में स्वच्छता प्रमाण पत्र का आवेदन किया था। कितनी अनुमतियों में दो लोग शामिल डीएम की ओर से यह जांच कराई जा रही है कि ऐसी कितनी अनुमतियां हैं जिनमें दो लोग शामिल हैं। ऐसी अनुमतियों को निरस्त किया जाएगा। साथ ही मुकदमा भी दर्ज होगा। साथ ही इसका भी पता लगाया जा रहा है कि खनन के इस खेल में विभागीय स्तर पर तो मिलीभगत नहीं है। जिम्मेदार कर्मचारी और अधिकारियों को चिह्नित किया जा रहा ताकि उन पर कार्रवाई की जा सके।
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