यूपी सर्वाधिक एक्सप्रेसवे वाला राज्य बना, औद्योगिक गजिविधियों में आया भारी उछाल
Lucknow News - लखनऊ, विशेष संवाददाता आठ सालों में राज्य में एक्सप्रेसवे का निर्माण की ढेरों परियोजनाएं

लखनऊ, विशेष संवाददाता आठ सालों में राज्य में एक्सप्रेसवे का निर्माण की ढेरों परियोजनाएं परवान चढ़ी। अब स्थिति यह है कि गंगा एक्सप्रेसवे बनने के बाद यूपी की देश के एक्सप्रेसवे में हिस्सेदारी 55 प्रतिशत हो जाएगी। यही नहीं राज्य की औद्योगिक गतिविधियों में उछाल आया है और इस कारण निवेश नया अध्याय लिखा गया।
गंगा एक्सप्रेसवे का 77 प्रतिशत काम पूरा हो गया है और इसके अक्तूबर तक चालू हो जाने की उम्मीद है। इसी गंगा एक्सप्रेसवे का विस्तार मेरठ से हरिद्वार तक होना है और प्रयागराज से वाराणसी होते हुए नया एक्सप्रेसवे विन्ध्य एक्सप्रेसवे बनना है। चंदौली से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को जोड़ने का लिंक एक्सप्रेसवे बनेगा।
चित्रकूट लिंक एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को प्रयागराज से जोड़ेगा। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ने वाला लिंक एक्सप्रेसवे के लिए शुरुआती तैयारी हो रही है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे व आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे से जोड़ने वाला लिंक एक्सप्रेसवे व जेवर एयरपोर्ट लिंक एक्सप्रेसवे का निर्माण प्रक्रिया शुरू हो गई है। यमुना एक्सप्रेसवे से ही बांके बिहारी मंदिर तक एक नया मिनी लिंक एक्सप्रेसवे बनेगा। वर्तमान में 4 एक्सप्रेसवे यमुना एक्सप्रेसवे, लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे व पूर्वांचल एक्सप्रेसवे चालू हैं। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे भी लगभग तैयार हो गया है। गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण तेजी से हो रहा है।
यूपी में हो जाएंगे पांच अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे
इस समय जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर तेजी से काम चल रहा है। गौतमबुद्धनगर के जेवर में विश्वस्तरीय अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का शीघ्र ही संचालन हो जाने से प्रदेश में 5 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे हो जाएंगे। अभी लखनऊ, अयोध्या, कुशीनगर व वाराणसी में अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट चालू हैं। 16 घरेलू हवाई अड्डों के साथ 21 एयरपोर्ट वाला राज्य बनने की ओर अग्रसर है। असल में 8 साल में उत्तर प्रदेश ‘बीमारू से ‘ब्रेक-थ्रू प्रदेश बनकर देश की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन व फेवर्ड डेस्टिनेशन बनकर उभरा। यह योगी सरकार की सार्थक नीतियों और सशक्त कार्यप्रणाली के कारण ही संभव हो सका। एक्सप्रेसवे, हवाई अड्डों और डिजिटल कनेक्टिविटी ने राज्य को निवेश के लिए आकर्षक बनाया। पर्यटन, नवीकरणीय ऊर्जा, एआई, इलेक्ट्रॉनिक मैनुफैक्चरिंग, स्टार्टअप जैसे क्षेत्रों में भी अभूतपूर्व प्रगति हुई।
जीआईसी व जीबीसी ने लिखा निवेश का नया अध्याय
योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में निवेश को आकर्षित करने के लिए वैश्विक मंच तैयार किया। प्रदेश में वर्ष 2018 में पहली बार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईसी) का आयोजन किया। फरवरी 2023 में आयोजित ‘यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 इस दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ। निवेश प्रस्तावों धरातल पर उतारने के लिए सरकार ने ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (जीबीसी) की शुरुआत भी की गई। वर्ष 2018 से अब तक चार जीबीसी आयोजित हो चुकी हैं, जिनमें करोड़ों रुपये की परियोजनाओं को धरातल पर उतारने में मदद मिली।
प्रधानमंत्री मित्र योजना के अंतर्गत लखनऊ-हरदोई में मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल एवं अपैरल पार्क, हरदोई व कानपुर में मेगा लेदर क्लस्टर, गोरखपुर में प्लास्टिक पार्क, कन्नौज में परफ्यूम पार्क तथा गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर नगर, गोरखपुर व हापुड़ में केमिकल और फार्मा पार्क निर्माणाधीन हैं।
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