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बोले मेरठ : उद्योगों को सहूलियत, फ्लैट रेट पर मिले बिजली

Meerut News - सैफी समाज के लोग लकड़ी और लोहे का काम करके अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं। उन्हें कुटीर उद्योग चलाने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे जीएसटी दर में कमी, बिजली की फ्लैट रेट और मशीनों...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठTue, 6 May 2025 11:33 AM
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बोले मेरठ : उद्योगों को सहूलियत, फ्लैट रेट पर मिले बिजली

मेरठ। सैफी समाज के लोग मुख्य रूप से लकड़ी एवं लोहे का काम करते हैं। कुटीर उद्योग चलाकर अपना और परिवार का जीवन यापन करने वाले सैफी समाज के लोगों का सामाजिक ताने-बाने के साथ ही समाज-सूबे के आर्थिक, सामाजिक निर्माण में अहम योगदान है। कुटीर उद्योग चलाने के लिए सैफी समाज के लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वह चाहते हैं कि लकड़ी और लोहे से जीएसटी दर कम हो। फ्लैट रेट पर बिजली मिले। ढाई फुट आरा मशीन को लाइसेंस मुक्त किया जाए। वन निगम की लकड़ी की नीलामी में और सरकारी विभागों में जितना लोहा, लकड़ी आदि का काम टेंडर से होता है उसमें समाज के लोगों को वरीयता मिले।

25 लाख तक का ऋण ब्याज मुक्त मिले, तो बात बनें। मुस्लिम लोहार एवं बढ़ई का पुश्तैनी कार्य करने वाले लोगों को सैफी एवं इनसे जुड़े सभी परिवार सैफी समाज (बिरादरी) कहलाता है। चूंकि लोहार एवं बढ़ई कारीगरों द्वारा सभी अलग-अलग प्रकार के औजार, कृषि यंत्र, जुगाड़ के साधन, पुराने युद्धों में काम आने वाले तलवार, बंदूक, तोपें ,भाले ,चाकू, तीर आदि हथियार बनाए जाते थे। इनको बनाने वाले सभी कारीगरों को लोहार, बढ़ई, खाती आदि नामों से पुकारा जाता था। मेरठ जनपद में सैफी समाज के लोगों की करीब चार लाख की आबादी है। शहर में सर्वाधिक आबादी दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में करीब 80 हजार से ज्यादा है और दूसरे नंबर पर शहर विधानसभा क्षेत्र में करीब 35 हजार के आसपास है। छह अप्रैल 1975 को सैफी समाज की स्थापना मानी जाती है। पढ़ लिखकर डिग्रियां हासिल कर चुके युवाओं की रोजगार के लिए शुरू होने वाली तलाश पूरी नहीं हो पा रहा। कई व्यवस्थाएं सैफी समाज के मेहनतकशों, कारीगरों की रीढ़ को कमजोर कर रही है। ढाई फुट तक की मशीन के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता होने से दुकान मे आरा मशीन से फर्नीचर एवं अन्य सामान बनाने के लिए कार्य नहीं कर सकते है। महंगी होती बिजली भी परेशान कर रहे है। बैंको से लोन आसानी से नहीं मिलता। केंद्र और प्रदेश सरकार से ब्याज मुक्त लोन और फ्लैट रेट पर बिजली की सुविधा चाहते है। लोहार-बढ़ई का काम करते हैं लोग सैफी समाज, जिसे सैफी या लोहार समाज भी कहा जाता है, उत्तर भारत में मुस्लिम लोहारों और बढ़ई का एक समुदाय है. यह समुदाय उत्तर प्रदेश, विशेष रूप से मेरठ में भी है। सैफी समाज के लोग लोहार और बढ़ई का काम करते हैं। सैफी समाज को लोहार, सैफी, देशवाल लोहार, या कभी-कभी मुस्लिम बरहाई के नाम से भी जाना जाता है। सैफी समाज का स्थापना दिवस मेरठ में भी मनाया जाता है। सैफी समाज सैफी निकाह मिन सुन्नति के माध्यम से निकाह करता है, जो अब तक सैकड़ों निकाह पूरे कर चुके हैं। सैफी समाज चला रहा जागरूकता की मुहिम सैफी समाज के लोग एकजुटता और सामाजिक कुरीतियों के खात्मे के लिए मुहिम चला रहे है। सैफी संघर्ष समिति के जरिए मेरठ से सैफी समाज के लोग पश्चिमी यूपी के साथ ही दूसरे राज्यों तक समाज के लोगों को एकजुट करने, बच्चों की शिक्षा पर जोर देने के लिए जागरूक करने में जुटे है। दहेजरहित शादियों के लिए भी मुहिम छेड़ी है। जागरूकता मुहिम में कहा जा रहा है कि सैफी समाज एक पढे़-लिखे लोगों का समाज है। हसीन अहमद सैफी कहते है कि समाज के लोगों को बच्चों की शिक्षा पर जोर देने के लिए जागरूक कर रहे है, ताकि समाज के बच्चे आगे बढ़कर देश का नाम रोशन कर सके। ऐसे हुआ सैफी समाज का नामकरण देश के हर कोने में सैफी समाज का नाम अलग-अलग तरह से रखा जाता था परंतु मार्च 1975 में गुलावठी में एक बहुत बड़ा महासम्मेलन हुआ जिसमें सैफी बिरादरी का संपूर्ण देश में, एक रूप में, पहचान के लिए, नाम रखना तय हुआ। इसी कड़ी में अथक प्रयासों के बाद छह अप्रैल 1975 को अमरोहा में सैफी समाज के महासम्मेलन में समाज का नाम सैफी रख दिया गया। भारत देश के कोने-कोने से बढ़ई व लोहार जाति के लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने नये समाज का गठन कर सैफी नाम पर मोहर लगा दी। यह सैफी समाज के लिए बेहद फख़्र का दिन था। छह अप्रैल को सैफी डे पूरे देश में फख़्र से मनाया जाता है। इस दिन समाज उत्थान के अनेक कार्य सभी शहरों में, सैफी समाज द्वारा किए जाते हैं। सैफी दिवस के दिन बड़े-बड़े प्रोग्राम होते हैं और बुजुर्गों ,गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद के कार्यक्रम किए जाते हैं। शिकायतें फ्लैट रेट पर बिजली का न मिलना और ढाई फुट तक की मशीन का लाइसेंस मुक्त न हो वन निगम की लकड़ी की नीलामी में विशेष वरीयता का नहीं मिलना शस्त्र विक्रेता तथा शस्त्र रिपेरिंग का लाइसेंस नहीं मिलना कामधेनु एवं मिनी कामधेनु योजना की तर्ज पर कोई योजना नहीं होना समाधान लोहे और लकड़ी पर जीएसटी की दर कम की जाए शिक्षा पर बढ़ते हुए आर्थिक बोझ को कम करने में सरकार सैफी समाज को विशेष छूट दें मलिन बस्तियों में स्वास्थ्य केंद्र खोले जाए, जिससे सबको लाभ मिल सके बच्चों के लिए यूपीएससी कोचिंग के लिए सेंटर खोला जाए

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