रॉयल्टी मिलने की शर्त पर इलाहाबाद आए थे कविगुरु
Prayagraj News - प्रयागराज में कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती हर वर्ष वैशाख माह की 25वीं तिथि को मनाई जाती है। 1908 में, जब उन्हें बंगला पुस्तकों की रॉयल्टी नहीं मिली, तो रामानंद चटर्जी ने उन्हें इंडियन प्रेस से...

प्रयागराज, संवाददाता। बंगाली समाज कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती प्रत्येक वर्ष वैशाख माह की 25वीं तिथि को मनाता है। शुक्रवार को जयंती समारोह आयोजित होगा लेकिन कविगुरु का इस शहर से बहुत ही गहरा नाता वर्ष 1908 में जुड़ा था जब उन्हें पश्चिम बंगाल के प्रतिष्ठित प्रकाश वोगों समाज ने बंगला पुस्तकों के प्रकाशन पर रॉयल्टी देने से इनकार कर दिया था। तब केपी इंटर कॉलेज के पहले प्रधानाचार्य व कविगुरु के अभिन्न मित्र रामानंद चटर्जी ने उनकी मुलाकात इंडियन प्रेस के संस्थापक बाबू चिंतामणि घोष से कराने और रॉयल्टी दिलाने का वादा किया। यहां आने पर प्रेस के संस्थापक के साथ कविगुरु की मुलाकात हुई और उन्होंने अपनी बंगला पुस्तकों को प्रकाशित कराने के लिए 25 फीसदी रॉयल्टी की मांग की।
संस्थापक के प्रपौत्र अरिंदम घोष बताते हैं कि रॉयल्टी को लेकर एक समझौते पर करार हुआ कि प्रत्येक छमाही पर आधी रॉयल्टी दी जाए। दूसरी बार समझौते पर करार करने के लिए कविगुरु वर्ष 1914 में आए थे। यह सिलसिला वर्ष 1923 तक चलता रहा। इस 16 वर्षों के दौरान इंडियन प्रेस से कविगुरु की बंगला साहित्य की कुल 87 पुस्तकों का प्रकाशन हुआ था। वर्ष 1923 के बाद रॉयल्टी नहीं दी गई, इसकी वजह यह रही कि कविगुरु ने विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना बंगाल में की थी। प्रेस के संस्थापक के प्रपौत्र ने बताया कि परदादा ने कविगुरु को सलाह दी कि खुद के प्रकाशन गृह से आपको ज्यादा रॉयल्टी मिल सकती है। इसके बाद 25 फीसदी रॉयल्टी का समझौता कभी नहीं हुआ।
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