पेयजल परियोजनाओं की निगरानी के लिए जिले में नोडल तैनात
Unnao News - पेयजल परियोजनाओं की निगरानी के लिए जिले में नोडल तैनात, पेयजल परियोजनाओं की निगरानी के लिए जिले में नोडल तैनात, पेयजल परियोजनाओं की निगरानी के लिए जिल

उन्नाव। गर्मियों में पेयजलापूर्ति व्यवस्था को सुचारू रखने के साथ ही इससे सम्बंधित योजनाओं की निगरानी के लिए शासन ने नोडल तैनात किए है। नमामि गंगे व जलजीवन मिशन के अलावा जिले से तमाम पेयजल सम्बंधी योजनाओं की रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजेंगे। समीक्षा कर जायजा भी लेंगे। इन पर गुणवत्ता जांचने, लक्ष्य के सापेक्ष कार्य पूरा न होने पर कड़ाई करने की जिम्मेदारी भी है। गौरतलब है कि जिले के भूगर्भीय जल में फ्लोराइड और आर्सेनिक की मात्रा अत्यधिक है। शहर में इसी वजह से अमृत योजना 2018 में लानी पड़ी। कई जांच में सामने आया कि गांवों में भी पानी पीने योग्य नहीं है, कई जगह पानी की किल्लत से लोग गांव से पलायन को गर्मियों के दिनों में मजबूर हो जाते है। इसी के बाद शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन योजना में जनपद को वर्ष 2022 में शामिल किया। अक्टूबर 2023 में काम शुरू हुआ।ग्रामीण क्षेत्रों में 1040 ग्राम पंचायतों और 1682 राजस्व ग्रामों में नल से हर घर जलापूर्ति देने की कवायद शुरू हुई और पाइपलाइन बिछाई जाने लगी। हालांकि इसमें भी मानक तार तार हुए। शासन ने पूर्व में रैंडम जांच कराकर इस पर नाराजागी जताई तो प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने पिछले हफ्ते जलनिगम समेत अन्य जुड़े विभाग के अफ़सरो के साथ बैठक कर समीक्षा की। उन्होंने साफ शब्दों में कहां था कि जिन जनपदों में पेयजल की परियोजनाओं प्रगति पर है, उनमें कोई खामियां नही मिलनी चाहिए। इसी के बाद उन्होंने अयोध्या में तैनात एडीएम को उन्नाव नमामि गंगे का प्रभारी यानी नोडल बनाते हुए निगरानी की जिम्मेदारी दी है। ये नोडल अधिकारी जिलों में जाकर गर्मियों के दृष्टिगत सभी परियोजनाओं का निरीक्षण करेंगे। साथ ही रैडमली (अकास्मिक) गांवों में जाकर जलापूर्ति की समीक्षा करेंगे और ग्रामीणों से जलापूर्ति का फीडबैक लेंगे। इन अधिकारियों की ड्यूटी होगी कि वे जिले के अधिशासी अभियंता और जलापूर्ति से जुड़े सभी अधिकारियों और एजेंसियों के साथ मिलकर गर्मियों के दौरान निर्बाध जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बैठकें भी करेंगे। इस पूरी प्रक्रिया की मॉनिटरिंग राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के मुख्यालय से होगी।
पुरानी बन्द पड़ी योजनाएं लापरवाही बयां करेंगी
जिले के लोग कई साल से शुद्ध पेयजल न मिलने की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसा इसलिए भी है, क्यों कि योजनाओं को धरातल पर उतारने के बाद उनकी अनदेखी होती रही। तभी तो 1981 व 2005 के बीच जिले में स्थापित की गईं 74 ग्रामीण पेयजल योजना में कई अपनी समयावधि पूरी करने के पहले ही दम तोड़ चुकी थी। अब समय पूरा हो चुका तो हालत यह है कि 74 में करीब 39 पेयजल योजनाओं ने पानी देना बंद कर दिया है, यानी इनकी टंकियां बनी है, कई समरसेबल हुए पर पानी की जगह नल खाली नजर आते है। ग्रामीणों का कहना है, की इन पुरानी योजनाओं में जिम्मेदारों ने पूर्व के वर्षो में खूब मनमानी की। लापरवाही हावी रही तो समय से पहले यह योजनाएं दम तोड़ती नजर आई। अब नोडल की तैनाती हुई है तो इनकी भी समीक्षा आवश्यक है।
अमृत बन गई अभिशाप....जांच जरूरी!
शहर के सभी 32 और शुक्लागंज के 28 वार्डों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से गंगा नदी से जल को शुद्ध करके हर घर में जलापूर्ति की जाएगी। गंगा बैराज के पास प्रतिदिन 150 एमएलडी पानी साफ करने की क्षमता का वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया है। हर वार्ड और गली में नई भूमिगत पाइप लाइनें बिछाकर घरों में कनेक्शन दिए जाने हैं। हालांकि इसमें भी अभी चालीस फीसद काम बमी है। शहर में 12 ओवर हेड टैंक (पानी की टंकी) और नौ भूमिगत टैंकों से पंप के जरिये जलापूर्ति की जाएगी, लेकिन कब इस पर कोई जवाब नहीं देता।
जलजीवन मिशन योजना पर एक नजर-
हर घर जल योजना पर 3.03 अरब रुपये होंगे खर्च।
02 वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट निर्माणाधीन है।
1040 ग्राम पंचायतों में जलापूर्ति होगी।
88 भूमिगत टैंक बनाए जा रहे है।
368 ओवर हेड टैंक बनाए जा रहे। 10,143 किलोमीटर पाइपलाइनें बिछाई जानी है।
जिले भर में 4,55,229 घरों में कनेक्शन देने का भी काम चल रहा।
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