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आगरा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में तीन जिलों का कचरा झट से होगा गायब, बनेगी 35 मेगावाट बिजली

आगरा नगर निगम ने शहर को कचरे को निस्तारित करने और इस कचरे से बिजली बनाने के लिए वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का काम तेज करा दिया है। निगम के अधिकारियों के मुताबिक 2026 में यह प्लांट चालू हो जाएगा और करीब 35 मेगावाट बिजली पैदा होगी।

Srishti Kunj नीरज शर्मा, आगराWed, 21 May 2025 09:07 AM
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आगरा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में तीन जिलों का कचरा झट से होगा गायब, बनेगी 35 मेगावाट बिजली

आगरा नगर निगम ने शहर को कचरे को निस्तारित करने और इस कचरे से बिजली बनाने के लिए वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का काम तेज करा दिया है। निगम के अधिकारियों के मुताबिक 2026 में यह प्लांट चालू हो जाएगा और करीब 35 मेगावाट बिजली पैदा होगी। प्लांट के बनने के न केवल आगरा का कचरा झट से निस्तारित होगा, बल्कि आसपास के जिलों के कचरे को भी यहां निस्तारित कर दिया जाएगा। प्लांट की क्षमता बढ़ने पर आगरा के साथ-साथ फिरोजाबाद और मथुरा तक का कचरा यहां जलाया जा सकेगा।

नगर निगम का कुबेरपुर में खत्ताघर है। इस खत्ताघर पर ही वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने का प्रस्ताव पास हुआ है। टीटीजेड से भी अनुमति मिल चुकी है। पहले आगरा में प्रस्तावित इस प्लांट से करीब 10 मेगावाट बिजली पैदा करने की योजना थी। बाद में इसे बढ़ाकर पहले 15 मेगावाट किया और उसके बाद दोगुने से अधिक यानी 35 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता वाला प्लांट लगाने का प्रस्ताव पास हुआ। 10 मेगावाट बिजली उत्पादन करने के लिए करीब 500 मीट्रिक टन कचरा इस प्लांट में जलाया जाता है, लेकिन अब 35 मेगावाट बिजली बनेगी, तो यहां करीब 2800-3000 मीट्रिक टन कचरे की जरूरत होगी।

आगरा में प्रतिदिन करीब 750-800 मीट्रिक टन कचरा पैदा होता है। इसमें करीब 400 मीट्रिक टन सूखा, 300 मीट्रिक टन गीला और करीब 50 मीट्रिक टन सिल्ट निकलती है। इस लिहाज से आगरा में निकलने वाला कचरा प्लांट के लिए पर्याप्त नहीं है। इसलिए प्लांट संचालन के लिए फिरोजाबाद और मथुरा तक का कचरा लाकर यहां जलाया जा सकता है। कचरा निस्तारण के लिए नगर निगम मथुरा और फिरोजाबाद ‌निगम के साथ भी अनुबंध कर सकता है। अच्छी बात यह है कि प्लांट बनने से न केवल बिजली पैदा होगी, बल्कि तीन जिलों का कचरा भी झट से गायब हो जाएगा। प्लांट करीब 11 एकड़ भूमि पर बनाया जाएगा। प्लांट का काम 2026 तक पूर्ण कर लिया जाएगा।

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1.25 लाख मीट्रिक टन का बन गया था पहाड़

कुबेरपुर खत्ताघर पर करीब 1.25 लाख मीट्रिक टन कचरे का पहाड़ बन गया था। इससे भूजल दूषित और आए दिन लगने वाली आग और उठने वाली बदबू से आसपास का पर्यावरण प्रदूषित हो रहा था। लोग काफी परेशान थे। जब यह मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में पहुंचा तो एनजीटी ने नगर निगम को इस कचरे के पहाड़ को निस्तारित करने के निर्देश दिए थे। साथ ही नगर निगम पर जुर्माना भी लगाया गया था। तब जाकर निगम ने कचरे के पहाड़ को काफी हद तक समाप्त कर दिया है।

तीन से पांच एमएलडी पानी की होगी जरूरत

प्लांट से बिजली उत्पादन के लिए पानी की जरूरत होगी। निगम के तकनीकी जानकारों के मुताबिक यहां आने वाले ज्वलनशील कचरे को एक वेल में डाला जाएगा। वहां से कचरा जलेगा। कचरे के जलने से बायलर में जमा पानी गरम होगा और उससे भाप पैदा होगी। भाप की शक्ति से ऊर्जा पैदा करने वाली टरबाइन चलेंगी। तब बिजली पैदा होगी। इसलिए यहां तीन से पांच एमएलडी पानी की जरूरत होगी। पानी की आपूर्ति के लिए वाटर वर्क्स तक एक पाइप लाइन बिछाई जाएगी।

आम के आम गुठलियों के दाम

वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से नगर निगम की न केवल आय होगी, बल्कि कूड़े का निस्तारण पर होने पर खर्च भी बचेगा। साथ ही बिजली मिलेगी, वह भी मुफ्त। नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक यहां उत्पन्न हुई बिजली यूपी पावर कारपोरेशन को बेची जाएगी। जिससे नगर निगम का विद्युत खर्चा काफी हद तक निकल आएगा। निगम के अधिकारियों के मुताबिक कचरे से बिजली बनाने के प्लांट देश में सफलता से काम कर रहे हैं। बताया जाता है कि बंगलुरू नगर निगम शहर में लगी स्ट्रीट लाइटों का खर्च वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के माध्यम से निकालता है। अन्य जिलों के कचरे के निस्तारण भी नगर निगम को फायदा होगा।

एनजीटी ने भी उठाया सख्त कदम नगर निगम के वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के निर्माण पर पिछले चार वर्ष से सरगर्मी चल रही है, लेकिन निर्माण अभी तक नहीं हो पाया है। कोविड के चलते प्लांट निर्माण में दो वर्ष की देरी हो चुकी है। पर्यावरणविद् शरद गुप्ता ने कचरा निस्तारण के लेकर नेशलन ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने भी नगर निगम को सख्त निर्देश दिए हैं। इसी वजह से निगम के अधिकारी अब प्लांट के निर्माण में कोई हीलाहवाली नहीं चाहते हैं।

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