राम भक्त रहे दक्षिण के संतों की अयोध्या राम मंदिर में लगेंगी प्रतिमा, तीनों की है बड़ी ख्याति
- दक्षिण भारतीय परम्परा के तीन अलग-अलग रामभक्त संतों की प्रतिमाओं की स्थापना भी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि परिसर में करने का निर्णय लिया गया है।

अयोध्या राम मंदिर को राष्ट्र मंदिर बनाने के संकल्प के साथ श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अपनी योजना पर आगे बढ़ रहा है। इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए ऐसे सामाजिक प्रतीकों का चुनाव किया जा रहा है जिनके गहरे निहितार्थ हैं। इसी कड़ी में दक्षिण भारतीय परम्परा के तीन अलग-अलग रामभक्त संतों की प्रतिमाओं की स्थापना भी श्रीराम जन्मभूमि परिसर में करने का निर्णय लिया गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय कहते है कि इन संतों में तमिलनाडु के त्याग राज, उड़ीसा के पुरन्दर दास के अलावा आंध्रप्रदेश के एक प्रमुख संत शामिल हैं और इनकी बड़ी ख्याति है।
इसी तरह से राम मंदिर के चार प्रवेश द्वारों का नामकरण रामानंदाचार्य के अलावा शंकराचार्य, रामानुजाचार्य व माध्वाचार्य के नाम पर किए जाने का निर्णय लिया गया है। तीर्थ क्षेत्र महासचिव ने कहा कि समय आने पर सम्बन्धित परम्परा के संतों के नामों को घोषित किया जाएगा।
तांबे की होगी गिलहरी
राम मंदिर परिसर में स्थित अंगद टीला पर गिलहरी की स्थापना होगी। इसके लिए तांबे से गिलहरी का निर्माण हो रहा है। तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय ने बताया कि गिलहरी को सम्मान जनक पर स्थापित किया जाएगा। गिलहरी के साथ श्रद्धालुगण सेल्फी ले सकेंगे।
सभी मंदिरों के शिखर पर कलश हो रहे स्थापित
राम मंदिर के शिखर का निर्माण अंतिम चरण में है। इसके उपरांत इस पर कलश की स्थापना कर ध्वज दंड लगाया जाएगा। इसके पहले राम मंदिर के पांचों मंडप पर कलश स्थापित करने का काम चल रहा है। वहीं परकोटे के सभी छह मंदिरों व सप्त मंडपम के मंदिरों पर भी कलश लगाए जा रहे हैं। तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय ने बताया कि मंदिर के शिखर पर लगाया जाने वाला ध्वज दंड करीब 45 फिट लंबा और पांच टन वजन का है। यह ध्वज सीबीआरआई ने परीक्षणों के बाद तैयार किया है।