ये ‘मेडले पीआर’ क्या है? यूपी में पोस्टमार्टम और मेडिको लीगल रिपोर्ट का सिस्टम बदला; जानें डिटेल
नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर ने इस पोर्टल को विकसित किया है। इसके तहत पोस्टमार्टम या मेडिको लीगल के दौरान डॉक्टरों को हाथ से रिपोर्ट बनाने की जरूरत नहीं है। इनके लिए अलग से फारमेट बनाए गए हैं। डॉक्टर जांच के दौरान इसी को ऑनलाइन भरेंगे। रिपोर्ट तैयार होने के बाद ‘रीमार्क’ भी लिख सकते हैं।

उत्तर प्रदेश में अब पोस्टमार्टम और मेडिको लीगल रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सरकार ने इसके लिए नया ऑनलाइन सिस्टम ‘मेडले पीआर’ शुरू किया है। इसी नाम से पोर्टल भी बनाया गया है। डॉक्टर जांच के दौरान ही संबंधित की रिपोर्ट पोर्टल पर ही तैयार करेंगे। चंद मिनटों के बाद अधिकृत लोग इसे देख पाएंगे।
नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) ने इस पोर्टल को विकसित किया है। इसके तहत पोस्टमार्टम या मेडिको लीगल के दौरान डॉक्टरों को हाथ से रिपोर्ट बनाने की जरूरत नहीं है। इनके लिए अलग से फारमेट बनाए गए हैं। डॉक्टर जांच के दौरान इसी को ऑनलाइन भरेंगे। रिपोर्ट तैयार होने के बाद ‘रीमार्क’ भी लिख सकते हैं। इसके बाद इसे सबमिट कर दिया जाएगा। पोर्टल का एक्सेस स्वास्थ्य विभाग, पुलिस, न्यायालय और सरकारी जांच एजेंसियों पर होगा।
संबंधित व्यक्ति की आईडी के जरिए उसकी रिपोर्ट देखी जा सकती है। प्रदेशभर के जिलों में पीएम हाउस और मेडिको लीगल करने वाले सरकारी अस्पतालों में कम्प्यूटर और ब्राडबैंड कनेक्टिविटी कराई जा रही है। आगरा में भी इसे शुरू किया जा रहा है। दो से तीन दिन में यहां भी दोनों तरह की रिपोर्ट ऑनलाइन बनाई जाएंगी। पुलिस थाना इसे डाउनलोड कर व्यक्ति के परिजनों को प्रिंट आउट दे सकता है। इसमें दस्तखत आदि की जरूरत नहीं पड़ेगी।
जल्द निपटेंगे अदालती मामले
इसका सबसे बड़ा फायदा अदालती मामलों में होने वाला है। आम तौर पर अस्पतालों से रिपोर्ट पहले पुलिस विभाग को भेजी जाती है। डॉक्टर अपने दस्तखत करता है। इसके बाद पुलिस का संबंधित अधिकारी इसकी सुपुर्दगी मांगने वाले को देगा। इसमें काफी देर लगती है। कोर्ट में फरियादी सिर्फ केस आईडी बताएगा, न्यायालय ऑनलाइन इसे देख लेंगे।
हर महीने 240 से 300 पोस्टमार्टम
आगरा में एसएन मेडिकल कॉलेज परिसर में स्वास्थ्य विभाग का पोस्टमार्टम हाउस है। यहां एक दिन में औसतन 8 से 10 पोस्टमार्टम किए जाते हैं। इस हिसाब से एक महीने में 240 से 300 पीएम हो जाते हैं। अब 24 घंटे पीएम की कवायद भी शुरू हो गई है। जरूरत के हिसाब से पोस्टमार्टम वाले डॉक्टर मिल जाएं तो रात में भी रिपोर्ट मिलना शुरू हो जाएगा।
हैंड राइटिंग का पेच नहीं फंसेगा
कई बार पीएम या मेडिको लीगल रिपोर्ट में डॉक्टरों की हैंड राइटिंग (लिखाई) अस्पष्ट होती है। यह आसानी से समझ में नहीं आती। इससे फैसले लेने में दिक्कत हो सकती है। इसे समझने के लिए डॉक्टर को बुलाना पड़ता है। चूंकि रिपोर्ट टाइप करके बनाई जाएगी, इसलिए यह झंझट भी खत्म हो जाएगा। पुलिस और अदालतें इसे आसानी से समझ पाएंगे।
क्या बोले सीएमओ
आगरा के सीएमओ डॉ.अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि यह सिस्टम प्रदेशभर में शुरू किया जा रहा है। हम भी इसे जल्दी शुरू कर रहे हैं। पीएम हाउस पर इंटरनेट कनेक्टिविटी कराई गई है। डॉक्टर की मदद के लिए ऑपरेटर भी तैनात किया जाएगा। इससे कई स्तरों पर बड़ा फायदा मिलेगा।