बांके बिहारी मंदिर के लिए योगी सरकार ने ट्रस्ट बनाया, पदाधिकारी ही तय करेंगे कैसे होगी पूजा और व्यवस्था
वृंदावन के मशहूर ठाकुर जी बांके बिहारी मंदिर के लिए यूपी की योगी सरकार ने ट्रस्ट की स्थापना कर दी है। पिछले ही हफ्ते बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के लिए सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिली थी।

वृंदावन के श्री बांके बिहारी जी मंदिर के लिए सोमवार को यूपी सरकार ने ट्रस्ट की स्थापना कर दी। इसे लेकर बनाए गए बांंके बिहारी जी मंदिर न्यास अध्यादेश-2025 को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। विधायी विभाग ने इस अधिसूचना को जारी भी कर दिया है। इसी के साथ प्रदेश सरकार ने अयोध्या और काशी के बाद अब मथुरा-वृंदावन को संवारने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा दिया है।. बांके बिहारी मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए अब वहां कॉरिडोर भी बनाया जाने वाला है। नए ट्र्स्ट के पदाधिकारी ही अब वहां पर पूजा और अन्य व्यवस्थाओं का निर्धारण करेंगे।
ट्रस्ट में सभी न्यासियों की नियुक्ति प्रदेश सरकार करेगी। इसमें 11 न्यासी नामनिर्दिष्ट होंगे जबकि 7 न्यासी पदेन होंगे। नामनिर्दिष्ट न्यासियों में वैष्णव परंपराओं, संप्रदायों या पीठों से संबंधित 3 प्रतिष्ठित व्यक्ति, जिनमें संत, मुनि, गुरु, विद्वान, मठाधीश, महंत, आचार्य, स्वामी आदि शामिल हो सकेंगे। इनके अतिरिक्त सनातन धर्म की अन्य परंपराओं, संप्रदायों अथवा पीठों से संबंधित 3 प्रतिष्ठित व्यक्ति, जिनमें संत, मुनि, गुरु, विद्वान, मठाधीश, महंत, आचार्य, स्वामी आदि शामिल होंगे। सनातन धर्म की किसी भी शाखा या सम्प्रदाय से संबंधित ऐसे 3 प्रतिष्ठित व्यक्ति, जो किसी भी क्षेत्र-जैसे शिक्षाविद्, विद्वान, उद्यमी, वृत्तिक, समाजसेवी आदि-से हों लेकिन उनका दायरा केवल इतने तक ही न हो।
मंदिर में सेवारत गोस्वामी परंपरा से 2 सदस्य, जो स्वामी श्री हरिदास जी के वंशज हों - इनमें एक राज-भोग सेवायतों का प्रतिनिधित्व करेगा और दूसरा शयन-भोग सेवायतों का। पदेन न्यासियों की संख्या 7 से ज्यादा नहीं होगी। इसमें मथुरा के डीएम, मथुरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मथुरा-वृंदावन के नगर आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, धर्माथ कार्य विभाग का एक अधिकारी, श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, ट्रस्ट के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए नियुक्त कोई सदस्य इनमें शामिल होगा।
तीन साल होगा कार्यकाल, दो बार से ज्यादा नियुक्ति नहीं
नामनिर्दिष्ट न्यासियों का कार्यकाल तीन साल के लिए होगा और कोई भी न्यासी दो बार से ज्यादा नियुक्त नहीं किया जा सकेगा। हालांकि न्यासी कभी भी अपना त्यागपत्र दे सकते हैं। वहीं, पदेन न्यासी जब तक अपने पद पर रहेंगे, तब तक के लिए उनका कार्यकाल होगा। पदेन सदस्यों के पास न्यास में वोट करने का अधिकार नहीं होगा। किसी भी न्यास की बोर्ड बैठक में कम से कम सात सदस्यों का होना अनिवार्य होगा। इसमें पांच नामनिर्दिष्ट और दो पदेन सदस्य होने चाहिए।
गैर हिंदू को मनाही
सभी न्यासी हिंदू होंगे और सनातन धर्म को मानने वाले होंगे। किसी भी गैर हिंदू व्यक्ति को नामनिर्दिष्ट न्यासी के तौर पर नियुक्त नहीं किया जाएगा। अगर पदेन न्यासी भी हिंदू न हो या हिंदू परंपराओं में विश्वास न रखता हो तो उससे कनिष्ठ व्यक्ति को न्यासी के तौर पर नियुक्त किया जाएगा। इसके अलावा न्यायालय द्वारा अगर किसी को अपराधी ठहराया गया हो तो वह भी न्यासी नहीं बनाया जा सकेगा। किसी भी जाति या लिंग के आधार पर किसी की भी नियुक्ति की मनाही नहीं होगी।
20 लाख से ज्यादा संपत्ति खरीदने पर लेनी होगी सरकार से अनुमति
बीस लाख रुपये तक की चल और अचल संपत्ति खरीदने, किराए पर लेने या पट्टे पर लेने तक का अधिकार न्यास के पास होगा। हालांकि इससे ज्यादा खर्च करने के लिए न्यास को प्रदेश सरकार से अनुमति लेनी होगी।
रकम का होगा ऑडिट हर साल पास होगा बजट
न्यास को हर साल अपना बजट न्यास बोर्ड से पास करवाना अनिवार्य होगा। उसमें साल भर की प्रस्तावित कार्य योजनाएं और उसका खर्च शामिल होगा। इसके अलावा न्यास के खर्च और आय का पूरा ब्योरा ऑडिट भी करवाना अनिवार्य होगा। अर्चक और पुजारियों आदि का नियत वेतनमान तय करना और उनकी नियुक्ति करना न्यास की जिम्मेदारी होगी।
ऐसा होगा कॉरिडोर
जानकारों के अनुसार बांके बिहारी मंदिर के लिए तकरीबन 5 एकड़ क्षेत्रफल में कॉरिडोर विकसित किया जाएगा। कॉरिडोर के लिए मंदिर का फंड इस्तेमाल किया जाएगा। इस योजना पर तकरीबन 500 करोड़ रुपये का खर्च आने के अनुमान है। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कॉरिडोर बनाने की मंजूरी दे दी थी। कॉरिडोर इस लिहाज से भी अहम है क्योंकि वहां साल भर देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए चौड़ी सड़कें, पार्किंग स्थल, धर्मशालाएं और अस्पताल आदि विकसित किए जाएंगे। धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने बताया कि यमुना किनारे के हिस्से से लेकर मंदिर तक के पूरे हिस्से को विकसित करके श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं विकसित की जाएंगी। वहीं, मथुरा के डीएम सीपी सिंह ने बताया कि इस कॉरिडोर बनने के समय जितने भी लोग विस्थापित होंगे उन्हें उचित मुआवजा दिए जाने की व्यवस्था की जा रही है।