वट वृक्ष की पूजा कर अखंड सुहाग का मांगा वरदान
गिरिडीह में वट सावित्री पूजा धूमधाम से मनाई गई। सुहागिन महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति की लंबी आयु की कामना की। शुभ मुहूर्त के बाद महिलाएं बड़े संख्या में बरगद वृक्ष के पास इकट्ठा हुईं। पूजा...

गिरिडीह, प्रतिनिधि। वट सावित्री पूजा सोमवार को अलग-अलग समय पर धूमधाम से मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा कर अखंड सुहाग का वरदान मांगा। शहर से लेकर गांव तक सुबह से ही बरगद वृक्ष के पास सुहागिन महिलाएं पहुंचने लगी थी। हालांकि शुभ मुहूर्त 10.54 के बाद रहने के कारण 11 बजे के बाद बरगद वृक्ष के पास ज्यादा भीड़ महिलाओं की जुटने लगी। ये भीड़ दोपहर 1 बजे के बाद तक रही। सुहागिनों ने अपने पति की लंबी आयु की कामना को लेकर वट सावित्री की पूजा की और कथा सुनी। मंगलवार सुबह लगभग 8.30 बजे तक वट सावित्री व्रत है।
इसे लेकर कई महिलाएं मंगलवार को भी वट सावित्री का व्रत करेंगी। हालांकि अधिकांश महिलाओं ने सोमवार को ही वट सावित्री की पूजा की। सोमवार अहले सुबह और पूर्वाह्न 11 बजे के बाद शहर के विभिन्न इलाकों में स्थित बरगद पेड़ के समीप महिलाएं पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंची और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की। महिलाएं सोलह श्रृंगार कर पूजा के लिए पहुंची थी। वट वृक्ष की परिक्रमा कर धागा बांधा और पति की लंबी उम्र की कामना की। इसके बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाया। इस दौरान सेल्फी का भी खूब ट्रेंड चला। बताया जाता है कि यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। हिंदू धर्म में महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा और स्वास्थ्य की कामना को लेकर कई व्रत रखती हैं, उनमें से एक प्रमुख व्रत है वट सावित्री पूजा। यह व्रत प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इसके पूर्व एक दिन व्रत करनेवाली महिलाएं नहाय खाय करती हैं। यह व्रत सती सावित्री से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री ने अपने पति के प्राण की रक्षा के लिए ब्रह्मा जी के विधान को ही बदल दिया था। अपने पतिव्रत धर्म और कठोर तपस्या से सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लौटा ली थी। कहा जाता है कि जो सुहागिन स्त्रियां इस व्रत को करती हैं उनके पति की आयु लंबी होती है।
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