सहकारी समितियों को मिले केंद्रीय सेवा नियमावली का लाभ
सहकारी समितियों के सचिवों ने कृषि सहकारी ऋण समिति की सेवा नियमावली 2024 को लागू नहीं करने की मांग की। उनका कहना है कि यह कर्मचारियों के हित में नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा और कहा कि...

सहकारी समितियों के सचिवों ने बहुउद्देशीय प्रारंभिक कृषि सहकारी ऋण समिति कर्मचारी केंद्रीयत सेवा नियमावली 2024 को लागू नहीं करने की मांग की है। कहा कि राज्य कैबिनेट की बैठक में 15 अप्रैल को इस पर चर्चा हुई है। यह कर्मचारियों के हित में नहीं है। मंगलवार को सहकारी समितियों के सचिवों ने उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। कहा कि प्रारंभिक ऋण सहकारी समितियों के कैडर सचिव, जनपद के सहकारी समितियों के पैक्स कर्मचारी प्रदेश में सहकारिता आंदोलन के त्रिस्तरीय ढांचे की रीढ़ हैं। प्रारंभिक कृषि ऋण सहकारी समितियां कृषकों के अंशधन को एकत्रित करती हैं। न्याय पंचायत स्तर पर लघु किसानों, बीपीएल परिवारों को अल्प संसाधनों से कृषि की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए ऋण देती हैं। दीन दयाल उपाध्याय किसान कल्याण योजना का लाभ भी उन्हें मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियां राजकीय सहायता नहीं ले रही हैं। वित्तीय स्थिति के अनुसार कर्माचारियों को वेतन, भत्ते दे रही है। वर्ष 1983 से यहां की समितियों में स्टाफिग पैर्टन लागू है। समिति संचालक मंडल को पूर्व में अधिनियम, नियमावली व समिति पंजीकृत उपविधियों से प्राप्त अधिकार हैं। कर्मचारियों की भर्ती, नियुक्ति, दंड, वेतन भत्ते, अवकाश, प्रशिक्षण, पदोन्निति, सेवा समाप्ति, अनुशासनात्मक कार्रवाई,सेवाच्युति तथा अन्य अधिकारों को समाप्त कर दिया है। जो लोकतांत्रिक प्रबंध व्यवस्था के विरूद्ध है ।
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