Trump s Reciprocal Tariff Policy Disrupts Global Trade and Impacts Indian Exports बोले देहरादून : ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से खतरे के साथ बाजार में मजबूती के अवसर, Dehradun Hindi News - Hindustan
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बोले देहरादून : ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से खतरे के साथ बाजार में मजबूती के अवसर

डोनाल्ड ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी से भारतीय निर्यात पर बड़ा असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे प्रतिस्पर्धा में कमी आएगी। यह भारत की जीडीपी,...

Newswrap हिन्दुस्तान, देहरादूनSat, 5 April 2025 10:26 PM
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बोले देहरादून : ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से खतरे के साथ बाजार में मजबूती के अवसर

डोनाल्ड ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी से वैश्विक व्यापार में हलचल मची हुई है। डॉ. गजेंद्र सिंह के अनुसार, यह नीति भारतीय निर्यात को प्रभावित कर सकती है, जिससे भारतीय बाजार में अस्थिरता और रुपये में भी गिरावट हो सकती है। अमेरिका भारतीय उत्पादों के लिए प्रमुख निर्यात बाजार है, लेकिन इस नीति से उनके महंगे होने से प्रतिस्पर्धा कम हो सकती है। यह भारत की जीडीपी, रोजगार और उद्योगों पर दबाव डाल सकता है। हालांकि, यह भारत को अपने निर्यात पोर्टफोलियो को विविध बनाने का अवसर भी प्रदान करता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर वैश्विक व्यापार के केंद्र में हैं। उनकी हालिया घोषणा रेसिप्रोकल ट्रैरिफ पॉलिसी न केवल अमेरिका की वाणिज्यिक दिशा को पलटने का संकेत दे रही है, बल्कि कई देशों की अर्थव्यवस्था को झकझोरने का दम भी रखती है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान के ‘बोले देहरादून अभियान के तहत दून विवि के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के एचओडी और ओकलैंड विवि यूएसए के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. गजेंद्र सिंह से बात की।

डॉ. गजेंद्र के अनुसार, भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह नीति न्याय संगत नहीं है। यह भारतीय निर्यात को प्रभावित कर सकता है। डॉ. सिंह के अनुसार भारतीय बाजार की मौजूदा स्थिति में यह नीति हलचल पैदा कर रही है। सेंसेक्स और निफ्टी जैसे सूचकांक में अस्थिरता बढ़ी है और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक सतर्क हो गए हैं।

डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट दर्ज हो रही है, जिससे आयात महंगा और मुद्रास्फीति की आशंका प्रबल हो रही है। सबसे बड़ा झटका निर्यात पर पड़ने वाला है। अमेरिका भारत के लिए एक प्रमुख निर्यात बाजार है, विशेषकर ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल, स्टील और टेक्नोलॉजी सेवाओं के क्षेत्र में। रेसिप्रोकल ट्रैफिक भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे, जिससे प्रतिस्पर्धा घटेगी और निर्यात में गिरावट आ सकती है। इससे भारत की जीडीपी, रोजगार और उद्योगों पर दबाव पड़ सकता है। लेकिन सवाल ये है कि क्या यह केवल एक खतरा है या आने वाली मजबूती की परीक्षा है। भारत अब वैश्विक अर्थव्यवस्था का केवल भागीदार नहीं, बल्कि एक उभरती शक्ति है। यह संकट भारत को आत्मविश्लेषण का अवसर देता है। क्या हम सिर्फ अमेरिकी बाजार पर निर्भर रह सकते हैं। ऐसा नहीं है। यह वह क्षण है जब भारत को अपने निर्यात पोर्टफोलियो को विविध बनाना होगा, एशिया, अफ्रीका और यूरोप जैसे अन्य बाजारों में प्रवेश को मज़बूत करना होगा।

वैकल्पिक नीति पर करना होगा काम

भारत को टैरिफ के प्रभावों को लेकर सभी वैकल्पिक नीतियों पर काम करना होगा। देश के घरेलू उद्योग इस अस्थिरता में कमजोर न पड़ जाएं, इसको लेकर भी सरकारी भरोसे की जरूरत है। सरकार को यह दिखाना चाहिए कि वह घेरलू उद्योगों को अमेरिकी टैरिफ के संकट से बचाने के लिए काम कर रहा है। साथ ही अंतिम निष्कर्ष पर अभ्ज्ञी नहीं पहुंचाना चाहिए। इसके लिए इंतजार करना जरूरी होगा। कुछ इंतजार के बाद कहां किस पर कैसे असर पड़ रहा है, उस हिसाब से नीतियां बनाई जानी चाहिए।

अभी नजर आ रहा अल्पकालिक असर

बोले देहरादून में दून विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने कहा कि अभी जिस तरह से हम ट्रंप के टैरिफ को देख रहे हैं, हकीकत में भारत पर उसका उतना ज्यादा नहीं पड़ेगा। अभी यह शुरूआत में इन्हें अलग-अलग चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है। इसलिए बाजार में भी अफरा-तफरी का माहौल है। इस पूरे मामले में दीर्घकालीन परिणामों पर जाना होगा और उसका इंतजार करना भी जरूरी है। कहीं ऐसा न हो कि इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था ही ज्यादा प्रभावित हो जाए।

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की असली परीक्षा शुरू

देहरादून। सरकार के लिए यह नीति रणनीतिक सुधारों का आह्वान है। 'मेक इन इंडिया', 'आत्मनिर्भर भारत' और पीएलआई स्कीम जैसे कदम अब केवल नारे नहीं, बल्कि जीवंत आर्थिक ढांचे बनने चाहिए।

भारत को ऐसे उत्पाद और सेवाएं विकसित करनी होंगी जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिक सकें, चाहे टैरिफ कितना भी हो। भविष्य में इस नीति का प्रभाव केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक भी होगा। यदि अमेरिका की यह नीति आक्रामक रूप लेती है, तो भारत को न केवल व्यापार नीति में बदलाव करना होगा, बल्कि वाणिज्यिक कूटनीति को भी सुदृढ़ करना होगा। क्षेत्रीय व्यापार समझौतों, मुक्त व्यापार संधियों और बहुपक्षीय मंचों पर भारत को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी।

टैरिफ की आशंकाओं के बीच अवसर तलाशने का मौका

देहरादून, वरिष्ठ संवाददाता। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रैरिफ से खुद अमेरिका सहित दुनिया भर के तमाम देशों के स्टाक मार्केट पर काफी बुरा असर पड़ा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। ऐसे में हर छोटे बड़े शहर और आम से खास आदमी इससे कहीं ना कही प्रभावित हुआ है। हालांकि ये अभी इस ट्रैरिफ के शुरुआती असर हैं। लेकिन आने वाले समय में ये कितना असर दुनिया सहित भारतीय बाजार और अर्थ व्यवस्था पर डाल सकता है, इसे लेकर विशेषज्ञों के साथ ही मैनेजमेंट के छात्र भी सतर्क हैं। हिन्दुस्तान ने अपने बोले देहरादून अभियान के तहत ट्रंप सरकार के ट्रैरिफ के प्रभावों को लेकर दून विश्वविद्यालय के स्कूल आफ मैनेजमेंट के शिक्षकों और छात्रों से बातचीत की। इसमें यह बात सभी ने स्वीकार की कि इससे भारतीय निर्यात पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।

अमेरिका में भारतीय सामान की कीमतों में होगी बढ़ोतरी

देहरादून। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर लगाए जाने वाले आयात शुल्क को पहले 26 प्रतिशत, फिर 27 प्रतिशत किया। जिसके बाद इसे 27 प्रतिशत से घटाकर अब वर्तमान में 26 प्रतिशत तक कर दिया गया है। ट्रैरिफ के बाद अमेरिका में भारतीय सामान की कीमतें बढ़ जाएंगी। ऐसे में वहां के बाजारों में लोकल सहित अन्य देशों के सामान से प्रतिस्पर्धा करना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि भारत अमेरिका के बड़े निर्यातकों में से एक है। हालांकि इससे भारतीय कंपनियों को अपने सामान की गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी करनी होगी। क्योंकि रेट बढ़ने पर गुणवत्ता नहीं बढ़ी तो सामान बिकना मुश्किल हो जाएगा। फिलहाल भारतीय निर्यातक कंपनियों के सामने यह चुनौती का दौर है।

बोले विशेषज्ञ

इस वक्त अगर भारत मजबूती से खड़ा रहा तो उसको फायदा हो सकता है। यह समय भारत के लिए एक चेतावनी है। लेकिन इससे भी ज़्यादा यह एक अवसर है। यदि हम इस चुनौती को दूरदृष्टि, सुधार और रणनीतिक सोच से देखें, तो यह संकट हमें और अधिक आत्मनिर्भर, लचीला और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बना सकता है। एक मजबूत भारत वही है जो दबाव में टूटता नहीं, बल्कि नए आकार में ढलता है।

-प्रोफेसर डॉ. गजेंद्र सिंह, एचओडी, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, दून विश्वविद्यालय

सुझाव

1. भारत को अपने निर्यात वाले सामान की गुणवत्ता विश्व स्तरीय करनी होगी।

2. भारत को अमेरिका में निर्यात होने वाली वस्तुओं के लिए दूसरा कोई निर्यातक देश तलाशना होगा।

3. भारत को न केवल व्यापारिक बल्कि वाणिज्यिक कूटनीति को भी मजबूत करना होगा।

4. घरेलू बाजार को उभारने के लिए सरकार तत्काल कदम उठाए।

5. भारत सरकार को पारंपरिक मित्र राष्ट्रों के साथ व्यापार के लिए तालमेल बढ़ाना होगा।

शिकायतें

1. अमेरिकी ट्रैरिफ बढ़ने से भारतीय सामान के दाम ज्यादा होने से अमेरिका में बिकना मुश्किल होगा।

2. अमेरिका से निर्यात कम होने की वजह से भारत में रोजगार के अवसर भी कम हो जाएंगे।

3. अमेरिका आने वाले समय में इस नीति को आक्रामक तरीके से और मजबूत बना सकता है।

4. टैरिफ से भारत का घरेलू बाजार काफी प्रभावित हो जाएगा।

5. वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की पहुंच पहले के मुकाबले कम हो जाएगी।

उम्मीद है भारत सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी

भारत सरकार से उम्मीद है कि वह रेसिप्रोकल ट्रैरिफ पॉलिसी के प्रभावों को कम करने के लिए कुछ कदम उठाएगी। फिलहाल, इसका असर बाजार पर सतही रूप से दिखाई दे रहा है, लेकिन शेयर बाजार की अस्थिरता से साफ है कि कंपनियों के लिए आने वाले समय में चुनौतियां बढ़ सकती हैं। जैसे ही यह टैरिफ लागू होगा, इसका व्यापक प्रभाव व्यापार और अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। यह स्थिति सरकार के लिए एक चुनौती हो सकती है, लेकिन उम्मीद है कि वह उचित उपायों से इस संकट को हल करने में सक्षम होगी। भारत सरकार को भी अपने हितों को देखते हुए वैश्विक बाजार की मांग के अनुरूप पॉलिसी बनानी चाहिए। इससे बाजार में अपनी मजबूती बनाने का अवसर मिलेगा।

बोले छात्र-

टैरिफ को बढ़ाकर अमेरिकी सरकार भारत पर दबाव डालना चाह रही है। ऐसा नहीं होना चाहिए इससे इंफ्लेशन बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था में भी भी बहुत फेरबदल देखने को मिल सकता है। -सिमरन

अमेरिका ने भारत पर जो टैरिफ लगाया है। यह भारत के लिए एक सुनहरा अवसर भी साबित हो सकता है। इससे भारत अपने उत्पादों को प्रमोट कर सकेगा। इसे नए एक अवसर के तौर पर देखें। - संचित

टैरिफ के बढ़ने से यहां की लोकल कंपनी को फायदा हो सकता है। सामान को बाहर से मंगाने के बजाय यहीं के उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा। मेक इन इंडिया पॉलिसी के दूरगामी परिणाम दिखेंगे। - अमन नेगी

अमेरिका ने भारत के अलावा दक्षिण कोरिया, म्यांमार और थाईलैंड जैसे अन्य देशों में भी टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की है। यह एकतरफा नहीं होगा। इससे अन्य देश भी प्रभावित होंगे। - साहिल नेगी

अमेरिका की घोषणा के बाद से भारत में बहुत बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इससे भारत को तभी फायदा होगा। जब वह अपने मेक इन इंडिया को जमीनी स्तर पर प्रमोट करेगा। - अरनव सिंह

भारत के अभी भी बहुत से सेक्टर है जहां पर यह टैरिफ लागू नहीं होगा। भारत उस सेक्टर में अभी भी बहुत काम करके अपनी स्थिति को मजबूत कर सकता है। इसे अवसर के तौर पर भी देखें। - अनुराग घिल्डियाल

अमेरिका को 2026 में अपने लोन देने हैं। इसके लिए ही उसने टैरिफ की दर में इजाफा किया है। भविष्य में इसमें और भी बदलाव देखे जा सकते हैं। अमेरिका की हर नीति में अपने लाभ निहित हैं। - निशिता पांथरी

अमेरिका ने केवल भारत पर ही टैरिफ नहीं लगाया अन्य देशों पर भी लगाया है। इसका मुख्य कारण अगले साल उनके सारे लोन मेच्योर हो रहे हैं। इसके लिए उन्हें रुपये के स्त्रोत की बहुत जरूरत है। - सचिन नौटियाल

अपने लोन को चुकाने के लिए अमेरिका की ओर से टैरिफ लगाया जा रहा है। अमेरिका सरकार ने अपने टैरिफ नहीं बढ़ाए तो उनके पास रुपयों की कमी आ जाएगी। - सुरुचि

अमेरिका ने अपने देश को देखते हुए सही कदम उठाया है। भारत के लिए भले ही यह चिंताजनक हालात हो सकते हैं, इससे भारत पर ज्यादा प्रभाव नहीं बढ़ेगा। - गौरव सेमवाल

अभी अर्थव्यवस्था में अस्थिरता नजर आ रही है। लेकिन भारत पर अमेरिका के इस फैसले से ज्यादा कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। विशेषज्ञों का ऐसा मानना है। - दीपशिखा शर्मा

भारत में लगने वाले टैरिफ को देखा जाए और चीन-वियतनाम को देखा जाए तो भारत पर लगने वाला टैरिफ बहुत कम है। ऐसे में भारत को फायदा उठना चाहिए। - अंतरा ठाकुर

कई ऐसे सेक्टर हैं, जो टैरिफ से बाहर हैं। फार्मास्यूटिकल सेक्टर को भी इस दायरे में लाने की बात कही जा रही है, जहां टैरिफ प्रभावी नहीं है, वहां मजबूती दिखानी होगी। - सृष्टि

अमेरिका और भारत के बीच लंबे समय सामारिक और या व्यापारिक रिश्ते मजबूत रहें हैं। टैरिफ के बाद दोनों देशों के रिश्ते कैसे होंगे यह सब भारत सरकार पर निर्भर है। - निकिता

अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ का व्यापक असर रहेगा। यह यहां के उत्पादन, रोजगार, निर्यात, आयात के साथ ही अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर डालेगा। - अक्षित उनियाल

टैरिफ के बढ़ने से यहां की लोकल कंपनी को फायदा हो सकता है। इसिलए भारत सरकार भी बाजार की मांग के अनुरूप अपनी वैश्विक बाजार पॉलिसी बनाए। - सुरभि काला

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