US Exempts Indian Pharma Products from Tariffs Relief for Uttarakhand Industry बोले देहरादून : उत्तराखंड के फार्मा उद्योग की ट्रंप के अगले कदम पर नजर, Dehradun Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttarakhand NewsDehradun NewsUS Exempts Indian Pharma Products from Tariffs Relief for Uttarakhand Industry

बोले देहरादून : उत्तराखंड के फार्मा उद्योग की ट्रंप के अगले कदम पर नजर

अमेरिका ने भारतीय दवा कंपनियों को रेसीप्रोकल टैरिफ से छूट दी है, जिससे उत्तराखंड के फार्मा उद्योग को राहत मिली है। हालांकि, भविष्य में टैरिफ लगाने की आशंका बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि...

Newswrap हिन्दुस्तान, देहरादूनSun, 6 April 2025 08:50 PM
share Share
Follow Us on
बोले देहरादून : उत्तराखंड के फार्मा उद्योग की ट्रंप के अगले कदम पर नजर

अमेरिका की ओर से फार्मा उत्पादों को रेसीप्रोकल टैरिफ से छूट के फैसले के बाद भारतीय दवा कंपनियों के साथ उत्तराखंड के फार्मा उद्योग को फिलहाल राहत मिल गई है। हालांकि, फार्मा सेक्टर को भविष्य में टैरिफ लगाए जाने की आशंका भी सता रही है।

वे फिलहाल ट्रंप के अगले कदम पर नजर रखे हुए हैं। फार्मा इंडस्ट्री से जुड़े लोग ट्रंप की नीति को अपने हिसाब से नफा-नुकसान के साथ जोड़कर देख रहे हैं। उनका मानना है कि शुरुआत में आर्थिकी प्रभावित होगी पर भविष्य में परिणाम अच्छे हो सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो अगर अमेरिका भविष्य में फार्मा प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगाता है तो इसका असर केवल भारतीय कंपनियों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अमेरिकियों को भी दवाओं के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान के ‘बोले देहरादून अभियान के तहत फार्मा सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों ने अमेरिकी टैरिफ से छूट के साथ ही भविष्य की आशंकाओं को लेकर खुलकर अपनी बात रखी। इस दौरान उनकी मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आईं। उनके अनुसार, फिलहाल जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ नहीं लगाए जाने से फार्मा सेक्टर को आगे भी मजबूती मिलने की संभावना है।

फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की ओर से अमेरिका को निर्यात की जाने वाली दवाएं मुख्य रूप से जेनेरिक फार्म्यूलेशन हैं। इन पर टैरिफ लगता तो अमेरिका में दवाइयों की कीमतों में वृद्धि हो सकती थी, जिस कारण वहां के नागरिकों पर आर्थिक बोझ बढ़ता। नतीजतन, फार्मा सेक्टर को टैरिफ से बाहर रखना अमेरिका के हित में है। विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ नीति में फार्मा उत्पादों को छूट मिलने से भारतीय दवा कंपनियों को भी राहत मिलेगी। इससे निवेशकों समेत फार्मा इंडस्ट्री का भरोसा और मजबूत हो सकेगा। उत्तराखंड की फार्मा कंपनियों पर पड़ सकता है दूरगामी असर: उत्तराखंड में फार्मा उद्योग महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यहां सेलाकुई, हरिद्वार और पंतनगर में बड़ी संख्या में फार्मा कंपनियां स्थित हैं। विशेषज्ञों की मानें, अगर टैरिफ लगाया गया तो उत्तराखंड की फार्मा कंपनियां खुद को प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेंगी। और, इससे सिर्फ अमेरिका ही नहीं, दूसरे देशों में निर्यात बढ़ाने में आसानी होगी। यहां के फार्मा सेक्टर के लिए वैश्विक बाजार में दूसरी कंपनियों के मुकाबले अपनी स्थिति बेहतर करने में मदद मिल सकेगी।

भारत के दवा उत्पादन में 20% तक है उत्तराखंड की हिस्सेदारी

ड्रग मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के मुताबिक, देश के दवा उत्पादन में उत्तराखंड की हिस्सेदारी करीब 20 फीसदी तक है। यहां की फार्मा यूनिटें एक साल में करीब एक हजार करोड़ से अधिक की दवाएं विदेशों में निर्यात करती हैं। इसमें से 500 करोड़ रुपये का दवा निर्यात सीधे अमेरिका को होता है। भविष्य में टैरिफ लगाए जाने पर इस सेक्टर पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ने की आशंका है। अमेरिका के टैरिफ से प्रभावित कंपनियां दूसरे देशों में कारोबार बढ़ाने पर फोकस करेंगी।

भारत-अमेरिका की साझेदारी का आधार है फार्मास्यूटिकल्स

भारत और अमेरिका के बीच मजबूत और बढ़ते द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते रहे हैं और ‘मिशन-पांच सौ की पहल के तहत कारोबार दोगुना करते हुए पांच सौ बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का साझा लक्ष्य भी रखा गया है। फार्मास्यूटिकल्स इस साझेदारी का आधार बना हुआ है। क्योंकि, भारत किफायती दवाओं की निरंतर सप्लाई करके अमेरिकी हेल्थ सर्विस ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है।

-सुनील उनियाल, अध्यक्ष-इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन

शंकाएं

1. अमेरिकी टैरिफ में बढ़ोतरी से फार्मा कंपनियों के शेयर में गिरावट जारी रह सकती है।

2. अमेरिकी की ओर से भविष्य में टैरिफ लगाए जाने के बाद फार्मा सेक्टर में नया निवेश करने से लोग कतरा सकते हैं।

3. फार्मा सेक्टर में बेराेजगारी की समस्या पैदा हो सकती है।

4. अमेरिका में दवाओं के रेट बढ़ेंगे और भारत में बनी दवाओं की बिक्री वहां घट सकती है।

5. अमेरिका में दवाओं के निर्यात में कंपनियों को परेशानी होगी।

सुझाव

1. भारतीय बाजार को उभारने के लिए पहले ही कदम उठाने होंगे।

2. निवेश को लेकर सरकार को स्पष्ट नीति पर अभी से मजबूत तरीके से काम करना होगा।

3. अगर बेरोजगारी जैसी स्थिति आई तो इससे निपटने की कार्य योजना अभी से बनानी होगी।

4. भारत को विश्व में नए दवा बाजार तलाशने होंगे और कम टैेरिफ वाले देशों संग रिश्ते बनाने होंगे।

5. अमेरिका में दवाएं निर्यात करने वाली कंपनियों के लिए स्पेशल पैकेज दिया जा सकता है।

अमेरिका के टैरिफ पर विशेषज्ञों ने फायदे और नुकसान गिनाए

फार्मा इंडस्ट्री में अभी है संशय की स्थिति अमेरिकी टैरिफ को लेकर फार्मा इंडस्ट्री में संशय की स्थिति है। यदि टैरिफ लगा तो उत्तराखंड का फार्मा उद्योग भी प्रभावित होगा। राज्यभर में फार्मा की 300 के करीब बड़ी यूनिटें हैं, जो 165 देशों में दवाएं निर्यात करती हैं। इसमें से एक दर्जन के करीब कंपनियां ऐसी भी हैं, जिनके पास अमेरिका में अपने उत्पाद बेचने का लाइसेंस (यूएसएफडीआई) है। जानकार कहते हैं कि भविष्य में अमेरिका के टैरिफ की वजह से वहां उत्पाद निर्यात करने वाली कंपनियों पर सीधा असर पड़ सकता है। दूसरे देशों में भी शिफ्ट हो सकता है कारोबारइन कंपनियों की सप्लाई अमेरिका के अलावा दुनिया के दूसरे देशों में भी है तो वो कारोबार दूसरे देशों में भी शिफ्ट कर सकती हैं। इसका असर यह हो सकता है कि कोई कंपनी अमेरिका में ही यूनिट को स्थापित कर दे। हालांकि, टैरिफ लागू होने की स्थिति में इस संदर्भ में कोई कदम उठाए जा सकते हैं।

फार्मा सेक्टर के लिए राहत देना अमेरिका की मजबूरी

अमेरिका ने भारत से आयातित दवाओं पर टैरिफ नहीं लगाने का फैसला इसलिए लिया है, क्योंकि वो खुद इन दवाओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन नहीं करता। भारत अमेरिका को जेेनेरिक दवाइयों की आपूर्ति में पहले पायदान पर है। ऐसे में अमेरिका का यह कदम वहां के नागरिकों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराए जाने की दिशा में रणनीतिक निर्णय माना जा रहा है। इससे भारत की फार्मा कंपनियों को अमेरिकी बाजार में स्थिति मजबूत करने का मौका मिलेगा। -आईपीएस चावला, उपाध्यक्ष-इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन एवं डेफोहिल फार्मा के मालिक

टैरिफ लगाए जाने से भी ज्यादा असर नहीं पड़ेगा

फार्मास्यूटिकल पर टैरिफ लगाए जाने से भारत की दवा कंपनियों पर असर जरूर पड़ता, लेकिन यह बहुत बड़ा असर नहीं होता। भारत हर साल अमेरिका को 7.6 बिलियन डॉलर की दवाएं निर्यात करता है और अमेरिका से सिर्फ 600 मिलियन डॉलर की दवाएं ही आयात करता है। अमेरिका ने पहले भी दवाओं के निर्यात पर टैरिफ नहीं लगाया है, जबकि भारत अमेरिकी दवाओं पर 10% टैरिफ लगाता है। अब अमेरिका टैरिफ लगा भी दे तो भारतीय कंपनियां कीमतें बढ़ा सकती हैं। उनके मुनाफे की संभावनाएं बनी रहेंगी।

-प्रमोद कलानी, अध्यक्ष-ड्रग मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन

टैरिफ लगा तो निवेश से कतरा सकते हैं निवेशक

उत्तराखंड के फार्मा सेक्टर से लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है। लेकिन, अमेरिका की ओर से टैरिफ लगाए जाने पर नया निवेश करने से लोग कतरा सकते हैं और इससे बेरोजगारी की समस्या भी पैदा हो सकती है। अगर टैरिफ नहीं लगता है तो निवेश बढ़ेगा और रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं। लेकिन, टैरिफ लगाए जाने पर इसका असर सीधे-सीधे अमेरिका नागरिकों पर भी पड़ेगा। उनको महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ सकती हैं। -राकेश भट्ट, प्लांट हेड-बायोलॉजी फार्मा

टैरिफ से अमेरिका में दवा के रेट बढ़ेंगे, कम बिकेगा माल

टैरिफ लगता तो अमेरिका में हमारी दवाइयों के दाम बढ़ जाएंगे, जिससे प्रतिस्पर्धा के साथ ही माल कम बिक सकता है। इसका असर फार्मा कंपनियों पर पड़ेगा। बेरोजगारी बढ़ने का खतरा पैदा हो जाएगा। हालांकि, इसका असर केवल भारत की फार्मा कंपनियों पर ही नहीं पड़ेगा, बल्कि अमेरिकियों को भी मंहगी दवाएं खरीदनी पड़ेंगी और अमेरिकी नागरिकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

-त्रिभुवन सेमवाल, प्रबंधक-यूनी मेडिको कंपनी

बोले कारोबारी

अमेरिका ने अभी तक भारत को फार्मा सेक्टर में टैरिफ से मुक्त रखा है। यह अमेरिका के साथ भारत के हित में भी है। अमेरिका आगे भी भारत को टैरिफ से मुक्त रख सकता है, जो उसकी मजबूरी भी है। क्योंकि, ट्रंप सरकार कभी यह नहीं चाहेगी कि उनके नागरिकों को पचास प्रतिशत से ज्यादा रेट पर दवाएं खरीदनी पड़े। इससे भारत को फायदा होगा। -धीरज वत्स, फार्मा कंसलटेंट

भारत को टैरिफ से मुक्त रखना स्वागतयोग्य कदम है। इससे भारत के साथ ही उत्तराखंड में फार्मा सेक्टर में रोजगार के माैके बढ़ेंगे। वैसे भी दूसरे देशों के मुकाबले अमेरिका ने काफी कम टैरिफ लगा रखा है। इससे चीन की मैन्युफैक्चरिंग भारत की तरफ शिफ्ट होगी। यह ‘आपदा में भारत के लिए ‘अवसर के समान होगा। -कपिल राठी, जनरल मैनेजर-ईस्ट अफ्रीकन

अमेरिका की ओर से फार्मा कंपनियों पर टैरिफ नहीं लगाए जाने से भारत को कई फायदे हैं। भारत अमेरिका की स्वास्थ्य प्रणाली में अहम भूमिका निभाता है। टैरिफ नहीं लगने से भारत की फार्मा कंपनियों को वहां के बाजार में अपनी पहुंच बढ़ाने के साथ निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। फार्मा उद्योग को प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने का मौका मिलेगा। -मनोज ममगाईं, मैनेजर-शेरोन दवा कंपनी

भारत अमेरिका को जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। भारत की दवाइयां दूसरे देशों से सस्ती हैं। फार्मा कंपनियों पर टैरिफ नहीं लगाए जाने के पीछे अमेरिका के अपने हित भी छुपे हुए हैं। लेकिन, भारत के साथ उत्तराखंड की फार्मा कंपनियों के लिए अपना निर्यात और व्यापार बढ़ाने का यह अच्छा मौका है। -राकेश प्रकाश श्रीवास्तव, एजीएम-बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड

उत्तराखंड में फार्मा उद्योग महत्वपूर्ण क्षेत्र है। टैरिफ न लगने से उत्तराखंड की फार्मा कंपनियों को विदेशों में उत्पाद निर्यात करने में आसानी होगी। साथ ही, उत्तराखंड की कंपनियों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में मदद मिल सकती है। फार्मा कंपनियां अपने उत्पादों को अधिक प्रभावी तरीके से बेच सकती हैं। -राकेश बट, डीजीएम बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड

फार्मा कंपनियों पर टैरिफ न लगाने का अमेरिका का निर्णय सही है। इससे उत्तराखंड की फार्मा कंपनियों को कई लाभ मिल सकते हैं। फार्मा कंपनियों का निवेश बढ़ सकता है। इससे उनके व्यवसाय में बढ़ोतरी होगी। और, स्थानीय निवासियों को रोजगार के अधिक अवसर मिल सकते हैं। -अशोक कुमार, मोदिक फार्मा कंपनी

फार्मा उद्योग पर टैरिफ न लगाने से पूरे देश के साथ ही उत्तराखंड की फार्मा कंपनियों को काफी लाभ होगा। इससे फार्मा कंपनियों को विदेश में व्यापार बढ़ाने में मदद मिलेगी। उत्तराखंड की फार्मा कंपनियों को अधिक राजस्व भी मिल सकता है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था में भी वृद्धि हो सकती है। -नरेंद्र बिष्ट, मैनेजर-आईपीसीए लैबोरेटरीज

हमने सुना है कि अमेरिका की ओर से दवाइयों पर टैरिफ नहीं लगाया गया है। भारत से अमेरिका को ही सत्तर हजार करोड़ रुपये की दवाइयां सप्लाई होती हैं। और, इससे भारत का निर्यात ही बढ़ेगा। इससे दवा कारोबारियों को फायदा ही होगा। -संजीव तनेजा, अध्यक्ष-होलसेल केमिस्ट एसोसिएशन देहरादून

अभी स्थिति स्पष्ट नहीं कही जा सकती है। अमेरिका से भारत में बहुत कम ही दवाएं आती हैं, जबकि यहां से अमेरिका को निर्यात ज्यादा होता है। इसके साथ् ही, कच्चा माल भी बहुत कम आता है। ऐसी स्थिति में बहुत असर नहीं पड़ेगा। -नवीन खुराना, अध्यक्ष-केमिस्ट एसोसिएशन देहरादून महानगर

फार्मा सेक्टर में टैरिफ लगेगा या नहीं। इस पर अभी असमंजस बना हुआ है। हालांकि, दस अप्रैल को स्थिति स्पष्ट हो सकती है। खबरों में कहा जा रहा है कि दवा कारोबार को इससे बाहर ही रखा जाएगा। दवा सेक्टर इससे बाहर रखा जाता है तो दिक्कत नहीं होगी। -मनीष नंदा, जिलाध्यक्ष-केमिस्ट एसोसिएशन देहरादून

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।