क्यों ‘मियांवाला’ का नाम बदलने पर नाराज हो गए राजपूत? बताई इसके पीछे की असली वजह
उत्तराखंड में पुष्कर धामी सरकार ने हाल ही में प्रदेश में 17 स्थानों के नाम बदलने पर अपनी मुहर लगाई है। अब इस पर एक नया विवाद भी शुरू हो गया है।

उत्तराखंड में पुष्कर धामी सरकार ने हाल ही में प्रदेश में 17 स्थानों के नाम बदलने पर अपनी मुहर लगाई है। अब इस पर एक नया विवाद भी शुरू हो गया है। देहरादून के मियांवाला में रहने वाले राजपूतों ने नाम बदलने पर एतराज जताया है। उनका कहना है कि यह उनके पूर्वजों को सम्मान में मिली उपाधि थी जिसे मुसलमानों वाला मियां समझकर बदल दिया गया है।
मियांवाला में राजपूत समुदाय के लोगों ने इसको लेकर एक बैठक भी की और जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री तक अपनी बात को पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि गलतफहमी की वजह से यहां का नाम मियांवाला से रामजीवाला किया गया है। मियांवाला नाम यहां के मूल निवासी राजपूत परिवारों को मिली मियां पदवी की वजह से पड़ा है। इन राजपूत परिवारों का टिहरी रिसासत से सीधा संबंध रहा है।
इतिहासकारों के मुताबिक टिहरी रियासत के 60 साल तक राजा रहे प्रदीप शाह का ससुराल हिमाचल प्रदेश की गुलेर रियासत में था। गुलेर और टिहरी रियासत के बीच यह संबंधों में सबसे मजबूत कड़ी थी। गुलेर रियासत के लोगों को मियां की सम्माजनक उपाधि दी गई थी। राजा के विवाह के साथ दुल्हन रानी की डोली के साथ-साथ गुलेर रियासत से मियां लोग यहां आए और टिहरी रियासत के राजाओं ने इन्हें अपनी रिश्तेदारी और सेवा के सम्मान में कई जागीरें प्रदान की। इन जागीरों में देहरादून की मियांवाला जागरी भी शामिल है।
इतिहासकारों के मुताबिक टिहरी गढ़वाल रियासत के 51वें राजा प्रदीप शाह(1709-1772) ने मियांवाला जागीर के रूप में गुलेरिया राजपूत लोगों को दी थीं। आज भी लोगों का दावा है कि देहरादून की मियांवाला जागीर का सीधा संबंध राजपूत परिवारों से हैं। इस संबंध में स्थानीय लोगों ने बैठक भी की है। जिसमें कहा गया कि अगर गलतफहमी की वजह से ऐसा हुआ है तो इसमें सुधार किया जाए। उन्होंने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा है।
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