GB Pant University Develops High-Yield Barley Variety UPB 1106 for Northeast India उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए विकसित की जौं की नई प्रजाति, Rudrapur Hindi News - Hindustan
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उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए विकसित की जौं की नई प्रजाति

जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय ने 'यूपीबी 1106' नामक नई जौ की किस्म विकसित की है। यह किस्म पूर्वोत्तर राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज पूर्ववर्ती किस्मों से 19.94% अधिक है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, रुद्रपुरSat, 24 May 2025 08:06 PM
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उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए विकसित की जौं की नई प्रजाति

पंतनगर, संवाददाता। जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय ने देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए जौं की एक नई उच्च उत्पादकता वाली किस्म 'यूपीबी 1106' (पंत जौं 1106) विकसित की है। इस किस्म का औपचारिक विमोचन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की केंद्रीय उप समिति ने किया। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम सहित पूर्वोत्तर राज्यों के मैदानी इलाकों में इसकी खेती के लिए अधिसूचना जारी की है। इस प्रजाति को अखिल भारतीय समन्वित गेहूं एवं जौं अनुसंधान परियोजना के तहत विकसित किया गया है। गेहूं एवं जौं शोध परियोजना के समन्वयक डॉ. जेपी जायसवाल ने बताया कि इस किस्म को विकसित करने में लगभग 12 वर्षों का समय लगा।

पंत जौं 1106 ने देशभर के विभिन्न परीक्षण केंद्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। यह किस्म पूर्ववर्ती लोकप्रिय किस्मों एचयूबी 113 और डीडब्ल्यूआरबी 137 की तुलना में क्रमशः 19.94 प्रतिशत और 10.32 प्रतिशत अधिक उपज देने में सक्षम पाई गई है। यह भूरे व पीले रतुआ और झुलसा रोग के प्रति प्रतिरोधक है। साथ ही लॉजिंग टॉलरेंस जैसी वांछनीय विशेषता भी इसमें मौजूद है। गुणवत्ता के लिहाज से भी यह किस्म सराहनीय है। इसमें 12.3 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा पाई गई है, जो अन्य किस्मों की तुलना में अधिक है। इसके अलावा यह किस्म जौं के पोषक तत्वों, विशेषकर बीटा-ग्लूकन की भरपूर उपस्थिति के कारण स्वास्थ्यवर्धक भी है। इस किस्म का विकास विश्वविद्यालय के आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के वैज्ञानिक डॉ. जेपी जायसवाल, डॉ. स्वाति एवं डॉ. अनिल कुमार की टीम ने किया है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान, निदेशक शोध डॉ. एएस नैन और अधिष्ठाता कृषि डॉ. सुभाष चंद्रा ने वैज्ञानिकों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

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