Sanitary Landfill Development Faces Opposition in Bhagwanpur District नप ने फिर शुरू की सेनेटरी लैंडफिल के लिए भूमि की तलाश, Bhabua Hindi News - Hindustan
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नप ने फिर शुरू की सेनेटरी लैंडफिल के लिए भूमि की तलाश

भभगवानपुर में सेनेटरी लैंडफिल विकसित करने के लिए जमीन की तलाश की जा रही है। पहले जिला प्रशासन ने जमीन दी थी, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण काम शुरू नहीं हो सका। नगर परिषद अब शहर के पांच किमी. के...

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआFri, 18 April 2025 08:37 PM
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नप ने फिर शुरू की सेनेटरी लैंडफिल के लिए भूमि की तलाश

जिला प्रशासन ने भगवानपुर में उपलब्ध कराई थी जमीन, ग्रामीणों के विरोध के बाद नप शुरू नहीं करा सकी काम शहर के पांच किमी. के अंदर व आबादी से दूर जमीन में बनेगा सेनेटरी लैंडफिल शहर के आसपास जैविक खाद बाने के प्लांट को भी नगर परिषद करेगी स्थापित (पेज चार की लीड खबर) भभुआ, कार्यालय संवाददाता। नगर परिषद ने सेनेटरी लैंडफिल विकसित करने के लिए एक बार फिर जमीन की तलाश शुरू की है। वर्ष 2021 में नप प्रशासन ने ऐसा प्रयास किया था। जमीन खरीदने व लीज पर जमीन लेने की कोशिश हुई थी। लेकिन, जमीन नहीं मिल सकी। जिला प्रशासन ने पिछले भगवानपुर में करीब साढ़े तीन एकड़ जमीन उपलब्ध कराई। लेकिन, नगर परिषद द्वारा जब इसे स्थापित करने की दिशा में पहल शुरू की तो ग्रामीणों ने विरोध जताना शुरू कर दिया। रोड जाम भी किया। अब नगर परिषद शहर के पांच किमी. के अंदर लीज पर जमीन लेकर सेनेटरी लैंडफिल विकसित करने के प्रयास में जुटी है। जैविक खाद तैयार करने के प्लांट को भी स्थापित करेगी। तत्कालीन मुख्य सचिव ने वर्ष 2021 के फरवरी माह में शहर में सेनेटरी लैंडफिल विकसित करने का निर्देश दिया था। इस आशय का आदेश एनजीटी द्वारा पारित किया गया है। इसी आदेश का अनुपालन करने के लिए मुख्य सचिव ने निर्देश जारी किया था। लेकिन, एनजीटी के आदेश व मुख्य सचिव के निर्देश का अभी तक अनुपालन नहीं किया जा सका है। ऐसा भी नहीं है कि नगर परिषद ने इसके लिए कोशिश नहीं की। पांच एकड़ भूमि लीज पर लेने के लिए निविदा निकाली। इसके लिए व्यक्तिगत रूप से भी किसानों को जागरूक करने का काम किया। लेकिन, किसानों को लगा कि नप राशि कम दे रही है। इसलिए वह अपने जमीन सेनेटरी लैंडफिल विकसित करने के लिए नहीं दिए। जिले में हो रहे विकास तथा तकनीकी प्रगति के इस दौर में लोग पर्यावरण के प्रति सजग तो अवश्य हुए हैं, लेकिन अभी भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है। पर्यावरण से जुड़ा एक ऐसा ही गंभीर पहलू है ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन। ऐसी जगह पर सेनेटरी लैंडफिल विकसित होगा एनजीटी द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली 2016 में भी इसके क्रियान्वयन की बात कही गई थी। इस इकाई को स्थापित करने के लिए बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 99 के तहत भूमि की खरीदारी करनी है। इसके लिए जमीन वैसी जगह खरीद की जानी है, जहां आने-जाने के लिए 16 फीट चौड़ा रास्ता होगा। लीज पर ली जाने वाली जमीन के उपर से हाईटेंशन विद्युत तार न गुजरा हो। नदी, कुआं, नहर, आबादी, राजमार्ग आदि से 200 मीटर की दूरी पर इसे स्थापित किया जाना है। मानव, पशु, पक्षी के लिए घातक अनुपयोगी हो चुके इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों और इनसे निकलने वाले रसायन जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होते हैं को कचरा में फेंक दिया जाता है। ट्यूबलाइट, बल्ब, सीएफएल, खिलौनों की बैट्री, प्लास्टिक, लोहा जैसी चीजों को इस्तेमाल कर लोग उसे कूड़े के ढेर पर फेंक देते हैं, जिसमें कई प्रकार के विषैले पदार्थ पाए जाते हैं, जो पर्यावरण, मानव, पशु, पक्षी के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। भभुआ। कार्यालय संवाददाता वैज्ञानिक विधि से अलग होंगे कचरे नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि सेनेटरी लैंडफिल को विकसित कर शहर से निकलने वाले कचरे को वैज्ञानिक तरीके से अलग-अलग किया जाएगा। कचरे में अनुपयोगी ट्यूबलाइट, बल्ब, सीएफएल, शीशा, टीना, बैट्री, प्लास्टिक आदि मिलते हैं, जिसे पृथक-पृथक कर कुछ अपशिष्ट को उपयोगी बनाया जाएगा। सूखा व गीला कचरा से कम्पोस्ट खाद बनेगी। सेनेटरी लैंडफिल की चहारदीवारी, सौंदर्यीकरण, बैनर-होर्डिग्स लगाए जाने का प्लान बनाया गया था। कोट शहर के पांच किमी. के अंदर में पांच एक जमीन सेनेटरी लैंडफिल विकसित करने व 1.5 से 2.5 एकड़ जमीन की जरूरत है। इसके लिए लीज पर भूमि लेने की पहल शुरू की गई है। भू-स्वामी से आवेदन मांगे गए हैं। सशक्त स्थायी समिति मूल्य निर्धारण करेगी। संजय उपाध्याय, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद फोटो- 18 अप्रैल भभुआ- 3 कैप्शन- भभुआ शहर के वार्ड 18 में शुक्रवार को दिखता जमा कचरा।

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