Local Electric Businesses in Jamui Struggle Against E-Commerce Competition बोले जमुई : ऑनलाइन कीमतों के निर्धारण की ठोस व्यवस्था करे सरकार, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले जमुई : ऑनलाइन कीमतों के निर्धारण की ठोस व्यवस्था करे सरकार

जमुई जिले में पिछले कुछ वर्षों में कई बड़े शॉपिंग मॉल और इलेक्ट्रिक दुकानें खुली हैं, जिससे स्थानीय इलेक्ट्रिक व्यापारियों को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। ई-कॉमर्स कंपनियों के कारण...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरTue, 22 April 2025 11:21 PM
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बोले जमुई : ऑनलाइन कीमतों के निर्धारण की ठोस व्यवस्था करे सरकार

बीते कुछ वर्षों में जमुई जिले में कई बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल एवं इलेक्ट्रिक उपकरणों की बड़ी दुकानें खुल गई हैं। जिले भर में करीब हजार से अधिक इलेक्ट्रिक दुकान हैं। लेकिन ई-कॉमर्स और इलेक्ट्रिक उपकरणों के बड़े मॉल शहर में आने के बाद लोकल इलेक्ट्रिक व्यावसायियों की समस्या बढ़ गई है। सैकड़ों बिजली सामान के व्यापारियों का व्यवसाय इन दिनों संकट के दौर से गुजर रहा है। कई व्यापारी आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव के चलते गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। ग्राहकों के साथ संबंध बनाए रखने के लिए सामान उधार देना उनकी मजबूरी बन गई है। कई ग्राहक तो समय से भुगतान कर देते हैं, लेकिन अधिकतर लोग महीनों लगाकर किस्त में पैसा देते हैं। इससे मुनाफा के साथ उनकी पूंजी भी बाजार में फंस जाती है। इस कारण मोटे ब्याज पर बाजार या बैंक से लोन लेना पड़ता है। समय रहते समस्या का समाधान नहीं निकाला गया तो जिले के सैकड़ों आर्थिक संकट में फंस सकते हैं।

11 सौ से अधिक बिजली दुकानें हैं जिले में

03 सौ से अधिक दुकानें हैं सिर्फ जमुई मुख्यालय में

05 सौ से पांच हजार तक होती है प्रतिदिन आमदनी

जमुई जिलेभर में करीब 1100 से अधिक बिजली उपकरण संबंधित दुकानें हैं। शहर में ही 300 से अधिक दुकान हैं। इन दिनों इलेक्ट्रिक दुकानदारों का कारोबार संकट से जूझ रहा है। ई-कॉमर्स कंपनियों के बढ़ते दखल और अनियंत्रित छूट नीति ने स्थानीय दुकानदारों की कमर तोड़ दी है। इलेक्ट्रिक सामान के दुकानदार और व्यापारी अपनी हुनर, मेहनत और ग्राहक सेवा के दम पर सम्मानजनक जीवन जी रहे थे, आज आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। बिजली के तमाम उपकरण जैसे टीवी, कूलर, फ्रिज, वाशिंग मशीन, पंखा, लाइट्स, बिजली के तार एवं अन्य संबंधित उपकरण का अब ई-कॉमर्स एवं ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दुकानों से सस्ते भाव में आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं। इस कारण दुकानों से भीड़ घट रही है। अब लोगों के पास ऑनलाइन माध्यम से अनेक विकल्प हो गए हैं। इससे बाजार में बैठे दुकानदारों की बिक्री में भारी कमी आई है।

ऑनलाइन ट्रेडिंग पर सरकार बनाए सख्त कानून :

बिजली उपकरण के व्यापारियों का कहना है कि हम भी वोटर हैं, सरकार बनाने में भूमिका निभाते हैं। लेकिन विडंबना यह है कि सभी दल व्यापारियों की जगह ई-ट्रेडिंग कंपनियों को बढ़ावा देते हैं। दुनिया के कुछ देशों ने अपने कारोबारियों के हित की चिंता करते हुए ऑनलाइन ट्रेडिंग पर सख्ती की है। भारत सरकार को भी सख्त कदम उठाना चाहिए। वरना बाजार की रौनक खत्म हो जाएगी। संगठन के सदस्यों ने कहा कि ऑनलाइन व्यापार करने वाली कंपनियों के कारण परंपरागत बाजारों पर खासा असर पड़ा है। इससे प्रभावित होने वालों में से हम जैसे लोग भी हैं।

सामान का पैसा मिलने के बाद हो जीएसटी का भुगतान :

इलेक्ट्रिकल दुकानदारों के लिए जीएसटी का समय पर भुगतान भी एक चुनौती भरा कार्य है। इकारोबारी का कहना है कि व्यापारी एडवांस में बिल काट देते हैं लेकिन उनका समय पर भुगतान नहीं मिलता है। माह, छह माह, कभी-कभी तो दो-दो साल भुगतान नहीं होता। ऐसी स्थिति में जिन व्यापारियों ने जीएसटी का भुगतान कर दिया है उनको वापस किया जाए। इसका एक विकल्प यह भी हो सकता है कि हमारा जीएसटी तभी लिया जाए जब हमें भुगतान हो। व्यापारियों का कहना है कि निजी कंपनियां कारोबारी तो छोड़िए सरकारी विभागों से भी भुगतान के लिए चक्कर काटना पड़ता है। हमारी जेब से सरकार जीएसटी ले लेती है जबकि वास्तव में हमें भुगतान नहीं होता।

ऑनलाइन दाम कम होने से लागत मूल्य पर बेचना मजबूरी :

कई बार ग्राहक दुकान पर पहुंचकर बिजली के उपकरण को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मिल रहे भाव से तय कर के उसी रेट में सामान की मांग करते हैं। दुकानदारों का कहना है कि कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। उन्हें समझाना पड़ता है कि ऑनलाइन में कई चीजें नकली एवं अन्य मॉडल की होती हैं जो देखने में हुबहू दिखते हैं। इस कारण दोनों के दामों में कुछ अंतर होता है। कई बार तो पढ़े लिखे ग्राहक बातों को समझ कर सामान खरीद लेते हैं लेकिन अधिकतर लोग उसी रेट पर उस समान को खरीदने की चाहत रखते हैं। अगर मुनासिब हुआ तो उसी रेट के हिसाब से कुछ पैसे कम करना मजबूरी हो जाती है। बचत का मार्जिन बहुत कम हो जाता है और मजबूरन कारोबार चलाने के लिए कई बार लागत मूल्य पर सामान बेचना पड़ता है।

लोगों को दुकान से जोड़े रखना भी एक चुनौती :

शहर में सैकड़ों इलेक्ट्रिक दुकान एवं मॉल खुल जाने के कारण कंपिटीशन काफी बढ़ गया है। ऐसे में लोगों को दुकान के साथ जोड़े रखने के लिए कई बार मूल लागत पर भी समान की बिक्री मजबूरी होती है। उसके बावजूद ग्राहक के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखने के लिए कई बार उधारी देनी पड़ जाती है। कई ग्राहक तो समय पर पैसे दे देते हैं लेकिन अधिकतर महीनों रख लेते हैं। इस कारण मुनाफा तो छोड़िए, मूल पूंजी भी फंस जाती है। कई बार साहूकारों से मोटे ब्याज पर या बैंक से लोन लेना मजबूरी हो जाती है।

शिकायत

1. बाजार में बिकने वाले कई डुप्लीकेट उपकरण ऑनलाइन सस्ते दामों पर मिलने से परेशानी होती है।

2. बिल पहले काट दिया जाता है जबकि भुगतान का समय निश्चित नहीं होता। इससे व्यापारी जीएसटी तो भर देते हैं लेकिन उनका पैसा फंस जाता है।

3. व्यापारियों को दुकानों में सामान खरीदने और पूंजी लगाने के लिए महंगे ब्याज पर लोन लेना पड़ता है।

4. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आधुनिक इलेक्ट्रिकल उपकरण मिलने से दुकानों पर भीड़ कम हो रही है।

सुझाव

1. सरकार को ऑनलाइन में मिलने वाले डुप्लीकेट उपकरणों की बिक्री पर सख्त होना चाहिए।

2. जब तक व्यापारियों को भुगतान न हो जाए, तब तक जीएसटी जमा नहीं कराया जाए। इससे व्यापारियों की पूंजी नहीं फंसेगी और कारोबार आसान होगा।

3. व्यापारियों के लिए सस्ते ब्याज पर लोन मिले तो सामान और पूंजी लगाने में सहूलियत होगी।

4. ऑनलाइन एवं ई-ट्रेडिंग कंपनियों पर आधुनिक उपकरणों की बिक्री को लेकर भारत सरकार को ऐसे कानून बनाने की जरूरत है जिससे दुकानों का कारोबार भी चलता रहे।

सुनें हमारी बात

खुदरा कारोबारी किसी तरह खुद को बचाए हुए हैं। सरकारी संरक्षण और प्रोत्साहन की जरूरत है।

-सौरभ कुमार

सरकार ने कहा था कि वैट सहित दो साल की समय सीमा तक नोटिस नहीं आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

-राजू कुमार

जीएसटी विभाग को व्यापारियों की पीड़ा जानने के लिए उनसे नियमित संवाद करना चाहिए।

-बबलू सिंह

जो व्यापारी सरकार को जितना जीएसटी दे, उसे उसका दो प्रतिशत वापस मिलना चाहिए।

-सोनू सिंह

कॉरपोरेट और छोटे, मध्यम कारोबारियों में सरकार को फर्क समझते हुए नियम बनाने चाहिए।

-मिथुन कुमार

ई-कॉमर्स कंपनियां हमारे व्यवसाय को निगल रही हैं। उन पर अंकुश समय की मांग है।

-रोशन सिंह

मानवीय भूलों पर भी जीएसटी विभाग जुर्माने लगा रहा है, यह गलत और अनैतिक है।

-चंदन यादव

45 दिन में बिल का भुगतान करने की बाध्यता बड़ी समस्या है। व्यापारी के हित में सरकार समाधान दे।

-दीपक कुमार

व्यापारियों की पूंजी टूट रही है, जो सबसे बड़ी पीड़ा है। ई-कॉमर्स पर तत्काल अंकुश लगे।

-मनोज कुमार

जीएसटी पोर्टल की विसंगति का खामियाजा व्यापारियों को भुगतना पड़ता है। विभाग को दिक्कत समझनी चाहिए।

-नीरज कुमार

ई-कॉमर्स कंपनियों के कारण रिटेल में 60 प्रतिशत से ज्यादा कारोबार कम हो गया है। सरकार ध्यान दे।

-बिकेश कुमार

ऑनलाइन व्यापार करने वाली कंपनियां हमारे व्यापार को बहुत नुकसान पहुंचा रही हैं। कोई उपाय हो।

-सौरभ वाजपेयी

पूंजी लगाने के लिए बैंक से लोन लेने की प्रक्रिया को सरकार आसान बनाए।

-शाकू अंसारी

व्यापार के लिए बैंकों से मिलने वाले लोन पर ब्याज की दर कम की जाए।

-राजू राम

व्यापारियों के परिवारों को भी पीएम आरोग्य योजना का लाभ मिले, तो आर्थिक बचत होगी।

-जितेंद्र कुमार शर्मा

ऑनलाइन और ऑफलाइन सामन की एक जैसा कीमत तय करने जैसे नियमों को सरकार लागू करे।

-मिथुन कुमार

बोले अधिकारी

सभी व्यवसायियों को मुख्यमंत्री उद्यमी योजना, बिहार लघु उद्यमी योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम एवं औपचारीकरण योजना के माध्यम से मिलने वाले आवेदन पर लाभ दिया जा रहा है। किसी भी व्यवसाय को कर रहे व्यावसायियों को उनके विस्तार के लिए 50 लाख रुपए तक ऋण की सुविधा दी जा रही है। इसमें 35% तक की सब्सिडी मिलती है। योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है।

-मितेश कुमार शांडिल्य, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र, जमुई

बोले जमुई फालोअप

मांस-मछली विक्रेताओं को नहीं मिली स्थायी जगह

जमुई। जमुई को जिला बने हुए 24 ‌वर्ष से अधिक हो चुके हैं, लेकिन अबतक सब्जी, मांस-मछली विक्रेताओं को लिए वेंडिंग जोन नहीं बन पाया है। हिन्दुस्तान द्वारा चलाए जा रहे बोले जमुई मुहिम के तहत 4 मार्च को मछली व्यवसायियों की समस्या का प्रकाशन किया गया था। उनकी प्रमुख मांग थी कि उनलोगों के लिए शहर में अलग से स्थान चिह्नित की जाए ताकि वे अपने व्यवसाय को बिना किसी बाधा के चला सकें। उनलोगों ने बताया कि आए दिन सड़क किनारे अतिक्रमण को लेकर उनकी दुकानें हटा दी जाती हैं। इससे उन्हें आर्थिक व मानसिक परेशानी झेलनी पड़ती है। व्यवासयियों ने प्रशासन से गुहार लगाते हुए वेंडिंग जोन की निर्माण जल्द से जल्द कराने की मांग की है।

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