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सरकारी स्कूल के बच्चों को नहीं मिला एमडीएम तो इन पर एक्शन, एस सिद्धार्थ का जिलाधिकारियों को पत्र

राज्य के सरकारी स्कूलों में बच्चों को टाइम पर मिड डे मील नहीं मिलने पर डीपीओ एमडीएम, जिला कार्यक्रम प्रबंधक एवं प्रखंड या जिला साधन सेवी पर भी एक्शन होगा। इस मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर आदेश दिया है।

sandeep लाइव हिन्दुस्तान, पटनाFri, 23 May 2025 04:02 PM
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सरकारी स्कूल के बच्चों को नहीं मिला एमडीएम तो इन पर एक्शन, एस सिद्धार्थ का जिलाधिकारियों को पत्र

बिहार के सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिड डे मिल सुनिश्चित कराने के लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने शुक्रवार को सभी डीएम और डीपीओ एमडीएम को अलग-अलग पत्र भेजा है। जिलाधिकारियों से कहा है कि राज्य खाद्य निगम के माध्यम से स्कूलों में समय पर चावल आवंटन सुनिश्चित कराएं। मध्याह्न भोजन योजना संचालन में अनियमिता होने पर डीपीओ एमडीएम, जिला कार्यक्रम प्रबंधक एवं प्रखंड या जिला साधन सेवी को भी दोषी मानते हुए कार्रवाई होगी।

अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में कहा कि एमडीएम संचालन को लेकर लगातार शिकायत मिल रही है। छात्रों की उपस्थिति में फर्जीवाड़ा, मध्याह्न भोजन निर्धारित मेन्यू के अनुसार नहीं दिया जाना, कई वजह से भोजन का संचालन बाधित रहता, केंद्रीयकृत रसोईघर के संबंध में मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता खराब रहने तथा छात्रों की संख्या की तुलना में कम मात्रा में भोजन की आपूर्ति करने के संबंध में शिकायतें मिलती हैं। ऐसी शिकायतें काफी खेदजनक हैं।

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एमडीएम की अनियमितता की शिकायत होने पर केवल प्रधानाध्यापक, प्रधान शिक्षक पर ही कार्रवाई होती है। केंद्रीय कृत रसोई घर के विपत्र की राशि में कटौती की जाती है। जबकि अनियमितता के लिए जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मध्याह्न भोजन) जिला कार्यक्रम प्रबंधक और प्रखंड, जिला साधनसेवी भी समान रूप से दोषी है। ऐसे में एमडीएम बाधित रहने पर यह अधिकारी भी समान रूप से दोषी हैं, इन पर कार्रवाई करें।

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आपको बता दें नई व्यवस्था के तहत पायलट स्कूलों में मिड डे मील की निगरानी और प्रबंधन की जिम्मेदारी प्रभारी शिक्षक को दी गई है। प्रभारी शिक्षक स्कूल शुरू होने के एक घंटे बाद विद्यार्थियों की उपस्थिति का फोटोग्राफ लेंगे और उसी के अनुसार रसोइयों को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराएंगे। साथ ही भोजन की गुणवत्ता और वितरण की निगरानी भी करेंगे। इस व्यवस्था की एक महीने तक समीक्षा की जाएगी। प्रोजेक्ट सफल रहने पर राज्यभर में इसे लागू किया जाएगा। इसकी शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 13 मई से हो चुकी है, जो 16 जून तक चलेगी।