Conspiracy of road accidents to get insurance claim 347 people filed fake cases this is how the fraud was caught इंश्योरेंस क्लेम लेने लिए सड़क हादसों की साजिश; 347 लोगों ने फर्जी केस कराए, ऐसे पकड़ी गई जालसाजी, Bihar Hindi News - Hindustan
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इंश्योरेंस क्लेम लेने लिए सड़क हादसों की साजिश; 347 लोगों ने फर्जी केस कराए, ऐसे पकड़ी गई जालसाजी

राज्यभर में अबतक ऐसे 347 मामले पकड़ में आए हैं। इसमें बीमा राशि के लिए मनगढंत केस किए गए। दोनों पक्षों ने आपस में सांठगांठ करके वकीलों के साथ मिलीभगत कर नॉन हिट एंड रन में केस दर्ज करवाया। जब जांच के दौरान ऐसे केस की सच्चाई सामने आयी, तो उसे खारिज कर दिया गया।

sandeep हिन्दुस्तान, मुख्य संवाददाता, पटनाMon, 5 May 2025 07:43 PM
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इंश्योरेंस क्लेम लेने लिए सड़क हादसों की साजिश; 347 लोगों ने फर्जी केस कराए, ऐसे पकड़ी गई जालसाजी

बीमा राशि लेने को लोग सड़क हादसे की साजिश तक रच रहे हैं। इसके बाद ट्रिब्यूनल में केस दर्ज कराते हैं और बीमा राशि लेने की कोशिश करते हैं। राज्यभर में अबतक ऐसे 347 मामले पकड़ में आए हैं। इसमें बीमा राशि के लिए मनगढंत केस किए गए। दोनों पक्षों ने आपस में सांठगांठ करके वकीलों के साथ मिलीभगत कर नॉन हिट एंड रन में केस दर्ज करवाया। जब जांच के दौरान ऐसे केस की सच्चाई सामने आयी, तो उसे खारिज कर दिया गया। नॉन हिट एंड रन यानी चालक भागने की बजाय जिम्मेदारीपूर्वक कार्य किया। घटनास्थल पर रुका और मदद की पेशकश की या संबंधित अधिकारियों को सूचित किया।

प्रमंडलों में स्थिति बिहार मोटरवाहन दुर्घटना दावा न्यायाधीकरण ने जांच में ऐसे कई फर्जी मामले जांच के दौरान पकड़े हैं। बता दें सड़क दुर्घटना के तहत दो तरह का बीमा राशि मिलने का प्रावधान परिवहन विभाग में हैं। हिट एंड रन का केस जिला परिवहन कार्यालय में दर्ज होता है और वहीं से बीमा राशि मिलती है। लेकिन नॉन हिट एंड रन का केस संबंधित जिला के प्रमंडल ट्रिब्यूनल में दर्ज होता है। इसके तहत ट्रिब्यूनल कार्यालय में दोनों पक्षों की बातें सुनी जाती हैं। अगर पीड़ित पक्ष तैयार नहीं होता है तो ऐसे में इंश्योरेंस कंपनी को पीड़ित द्वारा मांगी कर बीमा राशि देनी होती है। इसके लिए इंश्योरेंस कंपनी को ट्रिब्यूनल द्वारा 30 दिनों का समय दिया जाता है।

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दुर्घटना स्थल पर नहीं मिला हादसे का कोई प्रमाण

ट्रिब्यूनल में संबंधित केस की जांच में अधिकारी को शक हुआ। इसके बाद भौतिक जांच के बाद ही निर्णय लेने की बात कही गयी। संबंधित केस के वकील भौतिक जांच से बचने के लिए अलग-अलग बहाना बना रहे थे। स्थानीय लोगों से भी घटना की जानकारी ली गयी। इसके बाद संबंधित दुर्घटना स्थल पर किसी भी हादसे का प्रमाण नहीं मिला। ऐसे केस रोहतास, सहरसा, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी, गोपालगंज, वैशाली, मुजफ्फरपुर आदि जिलों में सबसे ज्यादा है।

न्यायाधीकरण में खुद कर सकते हैं ऑनलाइन केस

परिवहन विभाग ने सड़क दुर्घटना में पीड़ित को बीमा राशि समय से मिले, इसके लिए वर्ष 2023 में बिहार मोटरवाहन दुर्घटना दावा न्यायाधीकरण यानी ट्रिब्यूनल की स्थापना की। वर्तमान में नौ प्रमंडल में दस ट्रिब्यूनल चल रहे हैं। पटना प्रमंडल में दो ट्रिब्यूनल हैं। ट्रिब्यूनल में केस दर्ज करने के लिए किसी वकील की जरूरत नहीं है। आम लोग खुद भी ऑनलाइन या ऑफलाइन केस दर्ज कर सकते हैं।

केस एक- सहरसा के राजन पाठक (बदला हुआ नाम) ने मधेपुरा की मुख्य सड़क पर नॉन हिट एंड रन का केस ट्रिब्यूनल में दर्ज करवाया। 40 लाख रुपये देने का आदेश इंश्योरेंस कंपनी किया जाना था। इससे पहले जांच की गई तो पता चला कि जिस तिथि, समय और जगह का जिक्र केस में किया गया है, वहां पर सड़क दुर्घटना नहीं हुई थी। स्थानीय लोगों से पूछताछ के बाद पता चला कि यह फर्जी केस था। इसके बाद केस को बंद कर दिया गया।

केस दो- रोहतास जिले की पिंकी देवी (बदला हुआ नाम) ने सर्किट हाउस के पास सड़क पर नॉन हिट एंड रन का केस ट्रिब्यूनल में दर्ज कराया। जांच के दौरान देखा गया कि सर्किल हाउस के पास उस तिथि और समय पर सड़क दुर्घटना नहीं हुई है। इसके बाद पूछताछ के बाद सच्चाई सामने आयी। केस को बंद कर दिया गया। इसकी सूचना परिवहन विभाग को दी गयी।