Dalit state president, Rajput national president How PK is involved in caste vote politics in Bihar from OBC to Brahmins पीके की सोशल इंजीनियरिंग: दलित प्रदेश तो राजपूत राष्ट्रीय अध्यक्ष; OBC-ब्राह्मण को पहले कर चुके हैं सेट, Bihar Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsDalit state president, Rajput national president How PK is involved in caste vote politics in Bihar from OBC to Brahmins

पीके की सोशल इंजीनियरिंग: दलित प्रदेश तो राजपूत राष्ट्रीय अध्यक्ष; OBC-ब्राह्मण को पहले कर चुके हैं सेट

पूर्व केंद्रीय मंत्री RCP सिंह रविवार को प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में शामिल हो गए थे। उन्होंने अपनी पार्टी ‘आप सबकी आवाज’ का जन सुराज में विलय कर लिया है। पीके और सिंह, दोनों ही पहले जेडीयू में थे।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 19 May 2025 07:08 PM
share Share
Follow Us on
पीके की सोशल इंजीनियरिंग: दलित प्रदेश तो राजपूत राष्ट्रीय अध्यक्ष; OBC-ब्राह्मण को पहले कर चुके हैं सेट

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने राज्य के जातीय समीकरणों को साधना शुरू कर दिया है। वैसे, पीके कहते रहे हैं कि वह बिहार में जातिगत राजनीति के सिंडिकेट को तोड़ना चाहते हैं। वह कई मौकों पर कह चुके हैं कि जब दिल्ली में जात-पात की राजनीति का बंधन टूट सकता है तो बिहार में क्यों नहीं? और इसी के मद्देनजर पीके पिछले दो साल से सर्वसमाज को लेकर चलते रहे हैं। लेकिन, पिछले उपचुनाव में मिली हार के बाद उनकी रणनीति में बदलाव होता दिखा है।

राजपूत को बनाया राष्ट्रीय अध्यक्ष

अब पीके की राजनीति भी जातिगत समीकरण के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है। इसकी बानगी उनकी पार्टी जन सुराज में हुई हालिया नियुक्तियों से साफ झलकती है। आज पूर्णिया के पूर्व सांसद पप्पू सिंह को पीके ने पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया। सिंह राजपूत समुदाय से आते हैं। एक दिन पहले ही रविवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व नौकरशाह आरसीपी सिंह की पार्टी 'आसा' का भी पीके के जन सुराज में विलय हो चुका है। आरसीपी सिंह कुर्मी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और एक समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खासमखास रहे हैं। वह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

पीके खुद ब्राह्मण, प्रदेश अध्यक्ष दलित

पीके खुद ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। उन्होंने दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले मनोज भारती को पिछले साल ही 2 अक्टूबर को पार्टी के स्थापना दिवस पर जन सुराज का प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। मनोज भारती पूर्व राजनयिक हैं, जो चार देशों के राजदूत रह चुके हैं। इसके अलावा वह अशफाक अहमद को भी पार्टी में शामिल कर चुके हैं, जो मुस्लिम समुदाय से आते हैं। पिछले साल ही पीके ने पार्टी की लंबी-चौड़ी कार्यकारिणी बनाकर यह संकेत दे दिया था कि वह राज्य में भाजपा-जेडीयू और राजद का विकल्प बनने के लिए सभी जातियों को साथ लेकर चलने को तैयार हैं।

ये भी पढ़ें:कौन हैं उदय सिंह जिनको प्रशांत किशोर ने जन सुराज का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया
ये भी पढ़ें:पप्पू सिंह को जन सुराज पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया, प्रशांत किशोर का ऐलान
ये भी पढ़ें:जन सुराज अध्यक्ष बन सकते हैं पप्पू सिंह, एक के बाद एक बूस्टर डोज दे रहे पीके
ये भी पढ़ें:आरसीपी की 'आसा' प्रशांत किशोर की जन सुराज में विलीन, नीतीश के दो विरोधी एक हुए

पीके की टीम का जातीय गणित

पिछले साल पीके ने अपनी कार्यकारिणी में 125 लोगों को जगह दी थी। इनमें 25 अति पिछड़ा समाज से तो 27 पिछड़ा समुदाय से, 23 सामान्य वर्ग से, 20 दलित समुदाय से और 25 अल्पसंख्यक समाज से लोगों को जगह दी थी। इस टीम में 20 महिलाओं को भी जगह दी गई थी। अनुसूचित जनजाति समाज से भी तीन लोगों को शामिल किया गया था। मकसद साफ था कि पीके सर्व समाज को प्रतिनिधित्व देकर सभी का वोट हासिल करना चाहते हैं। बड़ी बात यह है कि इस टीम में पीके ने यादव जाति से 12 लोगों को जगह दी थी।

लालू के ‘माय’ पर भी नजर

दरअसल, पीके लालू यादव के माय समीकरण को तोड़ना चाहते हैं। इसीलिए उन्होंने माय यानी मुस्लिम और यादव समुदाय से कुल 37 लोगों को अपनी टीम में जगह दी थी। अब उन्होंने आरसीपी सिंह और पप्पू सिंह को जन सुराज में साथ लाकर जातीय राजनीति को नई धार देने की कोशिश की है। इसे परंपरागत जातीय वोट बैंक में सेंधमारी का पीके प्लान के रूप में देखा जा रहा है।