बारिश होने से ईट भट्ठे संचालकों की लाखों में हुई घटा
जमुई में बेमौसम बारिश ने ईंट उद्योग को भारी नुकसान पहुंचाया है। ईंट भट्ठा मालिकों को 40 से 45 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। बारिश के कारण कच्ची ईंटें गल गई हैं, जिससे उत्पादन में बाधा आई है। इस स्थिति...

जमुई । हिन्दुस्तान संवाददाता बारिश होने से सभी ईट संचालकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है।बारिश होने के कारण लघु उद्योग करने वाले ईट भट्ठे मालिक को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बारिश होने से जहां मालिक को परेशानी होती है वही काम करने वाले श्रमिक भी मौसम खराब होने से बैठ जाते हैं। बेमौसम बारिश से सिर्फ किसानों का नहीं, बल्कि ईंट उद्योग का भी भट्ठा बैठ गया है। इमारतों के लिए ईंटें बनाने वाले इस उद्योग की खुद की बुनियाद खतरे में पड़ती नजर आ रही है। पूरे भट्ठा उद्योग के सामने इस समय बड़ी मुश्किल पैदा हो गई है। क्योंकि बेमौसम बारिश के कारण कच्ची ईंटें गल गई हैं। नतीजा ईंट उद्योग पर संकट छा गया है। सीजन में इतनी क्षति से ईंट उद्योग संचालकों का हौसला टूट रहा है। बारिश के कारण न केवल भट्ठा मालिकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, बल्कि ग्राहकों के लिए भी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। क्योंकि इससे बाजार में उपलब्ध अच्छी गुणवत्ता वाली ईंटों के लिए उन्हें ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है। जिन जगहों पर भट्ठे मौजूद हैं। बारिश के कारण कच्चा ईंट गलने से हरेक ईंट भट्ठा मालिक को कम से कम 40 से 45 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। जिससे उबर पाना भट्ठा मालिकों के लिए आसान नहीं नजर आ रहा। छोटे भट्ठों पर एक साथ 4 से 5 लाख ईंटों का निर्माण होता है तो वहीं बड़े और मंझोले भट्ठों पर 6 से 10 लाख ईंटों का निर्माण होता है। इस आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि बारिश में एक ईंट भट्ठे पर औसतन 10 से 15 लाख कच्ची ईंटें गीली हो गईं। गुरुवार की बारिश ने जिले के 120 भट्ठा मालिक की परेशानी साफ दिखाई दे रही है। लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है आगे और कितने नुकसान होगी यह तो भगवान ही जानते हैं। नई स्थिति में ईंटे पकाने के लिए कोयले की भी अधिक खपत होगी। कोयले के दामों में भी अन्य सालों की अपेक्षा इस साल काफी इजाफा हुआ है। इससे बाजार में आने वाली नई ईंटों की कीमतें बढ़ने की संभावना है।
में 40-45 लाख ईंट गलने का अनुमान पिछले बारिश में था। शनिवार की रात से ही बारिश होने की वजह से इस बार की ईट गलने का अनुमान अभी पूरा का पूरा नहीं लगाया जा सकता है। भट्ठा संचालकों रामानंद सिंह, गुड्डू सिंह, विमल यादव, शेखर सिंह आदि ने बताया कि ईंट की पथाई काफी जोर शोर से चल रहा था। बारिश ने सब कुछ चौपट कर दिया है। ईंट भट्ठा मालिकों को कर्ज में डुबो दिया है। ऐसी स्थिति में ईंट भट्ठा उद्योग को रायल्टी एवं अन्य कर में छूट दी जानी चाहिए। बेमौसम बारिश से जमुई जिले में संचालित ईंट भट्ठे पर लाखों कच्चा ईंट गलने का अनुमान है। क्योंकि लाखों की संख्या में कच्ची ईटों को खुले में सूखने के लिए रखा गया था। सूखने के बाद उसे चेंबर में डालकर पकाया जाता है। लेकिन बेमौसम बारिश ने किए कराये पर पानी फेर दिया। बरसात के बाद इसी मौसम में नवंबर से जून तक कच्ची ईंटें तैयार होती हैं और पकाने के बाद उसकी बिक्री होती है। मजदूरी मद में काफी राशि का भुगतान मालिकों को करना पड़ता है। ऐसे में ईंटों के नुकसान होने से नए सिरे से ईंट का निर्माण एवं मजदूरी भुगतान के लिए राशि की व्यवस्था करना मुश्किल होता है। लेबर को छह महीने पहले लाखों रुपये एडवांस देने पड़ते हैं। कोरोना के शुरुआती समय से लगातार घाटे की स्थिति झेल रहे ईंट उद्योग की कमर टूट गई है।
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