आंधी में ओएचई पर गिरी डाल, तीन ट्रेनों का परिचालन बाधित
झंझारपुर-लौकहा रेलखंड पर रविवार रात आई आंधी-तूफान ने भारी नुकसान पहुंचाया। ओवर हेड इलेक्ट्रिक लाइन पर पेड़ की डालियां गिरीं, जिससे ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ। कई ट्रेनें, जैसे गरीबरथ स्पेशल और...

झंझारपुर। रविवार देर रात आयी आंधी-तूफान ने झंझारपुर-लौकहा रेलखंड पर भारी नुकसान पहुंचा। ओवर हेड इलेक्ट्रिक (ओएचई) लाइन पर छह सात जगहों पर पेड़ की डालियां टूट कर गिर गया। वहीं, चंदेश्वर स्थान के पास एक पेड़ की मोटी डाली टूट कर रेल लाइन के ऊपर से गुजर रही इलेक्ट्रिक तार पर गिर गया। इसके चलते न केवल झंझारपुर-लौकहा बल्कि सहरसा-सकरी रेलखंड में ट्रेनों का परिचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ। जिसमें रविवार रात सहरसा से खुलकर दल्लिी के आनंद विहार टर्मिनल तक जाने वाली ट्रेन नम्बर 05577 गरीबरथ स्पेशल का परिचालन पर भी असर पड़ा है। यह ट्रेन रात में झंझारपुर स्टेशन पर करीब डेढ़ घंटा तक खड़ी रही। फिर सकरी तक कॉशन से चलाई गई। इसके अलावा रात में ही लहेरियासराय से सहरसा के बीच चलने वाली ट्रेन नम्बर 63379 पैसेंजर गाड़ी करीब तीन घंटा लेट से चली। वंही झंझारपुर से लौकहा के बीच चलने वाली 55503 पैसेंजर ट्रेन भी झंझारपुर से डेढ़ घंटा देरी से खुली।
झंझारपुर-लौकहा रेलखंड के पीडब्लूआई अरुण कुमार मंडल ने बताया कि रविवार को रात के करीब साढ़े 10 बजे के बाद झंझारपुर-सकरी और झंझारपुर-लौकहा के बीच रेल लाइन के ऊपर से गुजर रही ओवर हेड इलेक्ट्रिक तार में बिजली आपूर्ति बंद हो गया। सकरी में स्थित मेन पावर हाउस में इलेक्ट्रिक ट्रिप कर गया है। रात में ही दोनों रेलखंड में सर्च अभियान चलाया गया तो झंझारपुर-वाचस्पति नगर के बीच छह सात जगहों पर ओवर हेड इलेक्ट्रिक लाइन पर पेड़ की डालियां टूट कर गिरा हुआ था। घटनास्थल पर तुरंत रेलवे कर्मचारियों और तकनीकी टीम ने पहुंचकर ओएचई लाइन से पेड़ को हटाने और क्षतग्रिस्त तारों की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया। इस दौरान, प्रभावित रेलखंड पर ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह से ठप रही। जिसमें गरीबरथ स्पेशल सहित तीन ट्रेनों के परिचालन प्रभावित हुए। इस अभियान में टीआरडी के एसएसई राकेश कुमार व आरपीएफ के प्रभारी अरबिंद कुमार, एसआई विकास कुमार भी मौजूद रहे। मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद रेल परिचालन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। रेल अधिकारियों ने बताया कि भवष्यि में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में पेड़ों की नियमित कटाई और ओएचई लाइनों की निगरानी और तेज की जाएगी।
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