लापरवाही या साजिश: जंग खा रहे जब्त विदेशी हथियार,1 की कीमत 12-15 लाख; क्रिमिनल को मिलेगा लाभ
थानों में बेल्जियम का माउजर, चेक गणराज्य की सीजेड पिस्टल, ग्लॉक पिस्टल, जर्मनी मेड एल-लामा पिस्टल समेत कई विदेशी हथियार जब्त हैं। इन की कीमत 12 से 15 लाख रुपये बताई जाती है।

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में थानों के मालखानों में रख-रखाव का प्रबंधन ठीक नहीं होने के कारण जब्त हुए विदेशी पिस्टल जंग खा रहे हैं। थानों में बेल्जियम का माउजर, चेक गणराज्य की सीजेड पिस्टल, ग्लॉक पिस्टल, जर्मनी मेड एल-लामा पिस्टल समेत कई विदेशी हथियार जब्त हैं। इन की कीमत 12 से 15 लाख रुपये बताई जाती है। कानून के जानकारों का मानना है कि इसका फायदा उन बदमाशों-अपराधियों को मिलेगा जिनसे ये हथियार जब्त किए गए हैं।
नगर थाने की पुलिस ने बालिका गृह कांड के दौरान वर्ष 2018 में ब्रजेश ठाकुर को गिरफ्तार किया था। इस दौरान उसकी बेल्जियम निर्मित माउजर पिस्टल भी पुलिस ने जब्त की थी। इसे अब तक नगर थाने के मालखाना में रखा गया है। हालांकि, रख-रखाव प्रबंधन ठीक नहीं रहने से इसमें जंग लग गया है। नगर थाने की पुलिस ने 2022 में ऑस्ट्रिया निर्मित ग्लॉक पिस्टल भी जब्त की थी। तीन आरोपितों की गिरफ्तारी भी हुई थी। इसका केस न्यायालय में लंबित है। ग्लॉक पिस्टल में भी जंग लग रहा है।
मुशहरी पुलिस ने बीते साल गोविंद को चेक गणराज्य निर्मित सीजेड पिस्टल के साथ गिरफ्तार किया था। मालखाना में डब्बे में बंदकर पिस्टल रखी गई है। सदर थाने की पुलिस ने बीते 15 मई को जर्मनी मेड एल लामा पिस्टल जब्त की थी। इसे भी बक्से में बंद करके रखा गया है। जिले में औसतन हर माह 10 हथियार और 25 से 30 गालियां जब्त हो रही हैं। सैकड़ों हथियार मालखाना में जमा हैं, किस केस का कौन हथियार किसके चार्ज में है, इसका स्पष्ट लेखा-जोखा भी अधिकतर थानों में नहीं है।
मालखाने के चार्ज के विवाद में सामान के रख-रखाव का प्रबंधन अटका है। मालखाने की साफ-सफाई भी कई थानों में वर्षों से नहीं कराई गई है। एक ही थाने के मालखाने का चार्ज कई-कई अधिकारियों के पास है। कई अधिकारी मालखाने का चार्ज लेकर जिले से स्थानांतरित भी हो चुके हैं।
तत्कालीन आईजी ने हथियारों से बनवाया था कृषि उपकरण
तत्कालीन आईजी गुप्तेश्वर पांडेय ने जब्त हथियारों का बड़े पैमाने पर कृषि यंत्र बनवाया था। हसिया, खुरपा, हल आदि बनवाकर किसानों के बीच बांटे गए थे। कोर्ट से फैसले के बाद थाना के मालखाना में रखे गए हथियारों का कृषि यंत्र बनवाया गया था। आईजी के इस निर्णय की काफी चर्चा हुई थी।
ट्रायल अवधि तक सुरक्षित रखना है हथियार
वरीय अधिवक्ता संगीता शाही ने बताया कि कोर्ट में ट्रायल अवधि में हथियार को सुरक्षित व सही हालत में रखना है। कोर्ट से मांग होने पर उसे समय पर न्यायालय में पहुंचाने की जिम्मेवारी भी पुलिस पर है। यदि ट्रायल के दौरान जब्त हथियार सही हालत में पेश नहीं होने का सीधा लाभ आरोपितों को मिलता है।
वरीय अधिवक्ता शरद सिन्हा ने बताया कि कई कांडों में पुलिस जब्त हथियार पेश नहीं कर पाई और आरोपितों को इसका लाभ मिला। कोर्ट के फैसले के बाद हथियार के संबंध में निर्णय लेने के लिए प्रशासन स्वतंत्र है।
बोले एसएसपी
थानों के निरीक्षण के दौरान वरीय अधिकारी मालखाने का भी निरीक्षण करते हैं। इस क्रम में जब्त हथियार व अन्य प्रदर्शों के रख-रखाव को लेकर भी निर्देश दिए जाते हैं। हाल में कई थानों के मालखाने के चार्ज का मामला सामने आया है। इसको लेकर निर्देश भी दिए गए हैं। -सुशील कुमार, एसएसपी