समग्र चिकित्सा के महत्व से योग में बढ़ रहा है लोगों की रुचि
गुठनी के सिद्ध गुफा योगाश्रम में अष्टांग योग का प्रशिक्षण दिया जाता है। यहाँ के महन्थ रघुनाथ दास बताते हैं कि युवा पीढ़ी योग में रुचि दिखा रही है और विभिन्न स्थानों से यहां प्रशिक्षण लेने आ रहे हैं।...

गुठनी, एक संवाददाता। गुठनी - दरौली की सीमा पर स्थित सिद्ध गुफा योगाश्रम अपने योग कला के लिए आज भी विख्यात है। यहां अष्टांग योग आसन, प्रणाम, यम, नियम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, और समाधि शामिल हैं। चकरी योगाश्रम के महन्थ रघुनाथ दास ने बताया कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के महत्व से युवाओं में योग के प्रति रुचि बढ़ती जा रही है। इसके लिए युवा पीढ़ी प्रयागराज, बनारस, बलिया, गोरखपुर, सिवान, छपरा, गोपालगंज, असम, मध्यप्रदेश, मथुरा, काशी, हरिद्वार, से आकर महीनों तक योग का प्रशिक्षण लेते हैं। जिनमे अधिक वे युवा शामिल है। जो शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। और उनका ध्येय योग को शिक्षा में शामिल करना है। इन आसनों का दिया जाता है प्रशिक्षण चकरी योगाश्रम में योग के विभिन्न आसनों का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस संबंध में योगाश्रम के महन्थ रघुनाथ दास के अनुसार कुल 84 आसन होते है। जिनमे मुख्यतः मकरासन, पद्मासन, मुद्रासन, तरासन, त्रिकाशन, बृश्चिक आसन, शामिल हैं। जिनमे कई आसन काफी कठिन होते हैं। उसके लिए नियमित योग्य का प्रशिक्षण लेना पड़ता है। जबकि प्राणायाम में रेचक, भांबरी, कुम्भर, पूरक, उज्जायी, शिवली, शामिल है। गुरुकुल के शिष्यों को दिया जाता है नियमित प्रशिक्षण चकरी सिद्ध गुफा योगाश्रम के महन्थ रघुनाथ दास ने बताया कि आश्रम में बने गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्रों को योग का निरंतर अभ्यास करवाया जाता हैं। उनका कहना था कि इस दौरान छात्रों को योग का नियमित अभ्यास, योग की शिक्षा, योग की जानकारी, योग का फल, योग का प्रामणिकता पर भी गहनता से चर्चा किया जाता है। और उनसे इसकी जानकारी दी जाती है। इसमे ओंकार दुबे, नितेश्वर पांडेय, ज्ञान पांडेय, सुबोध यादव, छोटू दुबे, सुरेश दुबे, नितयांग भारती, गौरांग भारती शामिल हैं।
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