मौसम के बदलते तेवर में धान की सीधी बुआई एक बेहतर विकल्प
बिहार के किसानों ने जलवायु परिवर्तन के कारण धान की पारंपरिक खेती में बदलाव किया है। किसानों का कहना है कि कम बारिश और श्रमिकों की कमी के चलते धान रोपाई में कठिनाइयाँ आ रही हैं। बीएओ सुभाष प्रसाद ने...

प्रतापगंज, निज प्रतिनिधि। एक समय था जब बिहार के किसानों के लिए मुख्य फसल धान की खेती मानी जाती थी। लेकिन जैसे-जैसे मौसम का मिजाज जलवायु परिवर्तन के साथ बदलता गया किसान भी अपने खेतों में फसल लगाने में परिवर्तन करते जा रहे हैं। इस संदर्भ में समृद्ध किसान सियाराम यादव, सदानन्द गोईत, रणजीत सिंह आदि बताते हैं कि पहले खरीफ मौसम में राज्य में अधिकांश खेतों में किसान धान की फसल लगाते थे। लेकिन विगत के वर्षों में बारिश कम होने पर या आवश्यकतानुसार समय पर वर्षा नहीं होने पर धान की रोपाई समय से नहीं हो पाती है। साथ ही कृषि मजदूरों के पलायन होने से भी किसानों को धान रोपाई के समय काफी समस्या का सामना करना पड़ता है।
बताया कि धान रोपाई के बाद भी निकौनी, कटनी और उसे तैयार करने में मजदूरों की जरूरत पड़ती है। यही कारण है कि किसान धान की खेती करना धीरे धीरे कम करते जा रहे हैं। इस संदर्भ में बीएओ सुभाष प्रसाद जीरो टिलेज या सीड ड्रील द्वारा धान की सीधी बुआई का महत्व बताते हैं। इस तकनीक से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के साथ उत्पादन लागत भी घटाते हुए किसान अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि धान की सीधी बुआई संसाधन संरक्षित खेती की एक तकनीक है। जिसमें 20 प्रतिशत जल तथा श्रम की बचत होती है। बताया कि धान की सीधी बुआई की सफलता के लिए सही विधि एंव सही समय से बुआई करनी चाहिए। सीधी बुआई के लिए जमीन का चुनाव: बीएओ ने बताया कि धान की सीधी बुआई करने के लिए केवल मध्यम एंव निचली जमीन जहां सिंचाई की सुविधा उपल्बध करनी चाहिए। अगर खेत में नमी की कमी रहने पर एक हल्की सिंचाई देना चाहिये। बताया कि धान की सीधी बुआई के लिए लेजर लेवलर द्वारा भूमि का समतलीकरण करना आवश्यक है। यह बीज की समान गहराई, फसल के अच्छे जमाव, विकास खरपतवार नियंत्रण एंव जल के समान वितरण में सहायक होता है। धान किस्मों का सही चुनाव: बीएओ ने बताया कि अल्प अवधि एंव मध्यम अवधि वाली धान की किस्म यथा प्रभात, राजेन्द्र भगवती, सरोज, पूसा 834, नरेन्द्र 97, एंव नीजी कम्पनियों का हाईव्रीड सीड जो 90 -95 दिनों से लेकर 115-120 दिनों में तैयार हो जाता है, का चयन करना चाहिये। बुआई का समय: बीएओ ने बताया इन किस्मों के बुआई का समय 15 जून से 10 जुलाई तक है। उन्होंने बताया कि धान की बाली जब सुनहरे रंग की हो जाय एंव बाली झुक जाये तो किसान भाई को समझना चाहिये कि उसमें दैहिक परिपक्वता आ गई है। ऐसी परिस्थिति में फसल कटनी के बाद दाना झाड़कर अच्छी तरह सुखाकर भंडारण करना चाहिए। बताया कि सामान्यतः खरीफ में रोपाई किया धान जितना समय लेता है उसकी अपेक्षा सीधा धान बुआई वाला पौधा 8 से 10 दिन पहले पक कर तैयार हो जाता है।
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