बिहार में महिला पर्सनल हेल्थ पर यूनिसेफ की रिपोर्ट चिंताजनक, पीरियड में 42 फीसदी अपनाती हैं सेफ तरीके
सूबे में 42 फीसदी महिलाएं ही माहवारी के दौरान स्वच्छ तरीकों का उपयोग करती हैं। 15-19 साल की 42 फीसदी और 20-24 साल की 41 फीसदी युवतियां ही सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं।

बिहार में 42 फीसदी महिलाएं अब भी माहवारी के दौरान स्वच्छ तरीकों का उपयोग नहीं करती हैं। नेशनल हेल्थ फैमिली सर्वे व यूनिसेफ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बिहार शिक्षा परियोजना (बीईपी) ने स्कूल स्तर पर माहवारी स्वच्छता अभियान की शुरुआत की है। बीईपी ने सभी जिलों को भेजे निर्देश में इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि सूबे में 58 फीसदी महिलाएं माहवारी के दौरान स्वच्छ तरीकों का उपयोग नहीं करती हैं। ऐसे में अब भी इस दिशा में काम करने की जरूरत है।
28 मई को इसबार माहवारी स्वच्छता प्रबंधन दिवस पर स्कूल से लेकर संगठन स्तर पर माहवारी हितैषी दुनिया बनाने को अभियान चलाया जाएगा। राज्य परियोजना निदेशक अजय पांडेय ने यूनिसेफ के आंकड़ों को इसमें दिया है। बताया गया है कि जनगणना 2011 के अनुसार बिहार में जनसंख्या का 22.74 फीसदी हिस्सा किशोर वर्ग का है। इसमें 46 फीसदी किशोरियां हैं। बताया है कि कंट्री लैंडस्केप एनालाइसिस की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में 71 फीसदी लड़कियों को पहले पीरियड की जानकारी नहीं होती है।
महिलाएं अपने जीवन के 2100 दिन माहवारी में बिताती हैं। राज्य परियोजना निदेशक ने निर्देश दिया है कि स्कूलों में केवल लड़कियां ही नहीं, लड़कों को भी इससे संबंधित शिक्षा दी जाएगी, ताकि कई तरह की भ्रांतियों को तोड़ा जा सके। स्कूलों में माहवारी स्वच्छता प्रबंधन कक्षा चलेगी, जिसमें सभी बच्चों को इससे संबंधित जानकारी दी जाएगी।
15-19 साल की 42 फीसदी युवतियां ही करती हैं सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि 15-19 साल की 42 फीसदी और 20-24 साल की 41 फीसदी युवतियां ही सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं। स्वच्छ तरीके वाले में यह आंकड़ा 59 और 58 फीसदी का है। ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में इस आयु वर्ग को देखें तो इसमें काफी अंतर आ जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में 38 तो शहरी में 59 फीसदी आधी आबादी सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग करती हैं। स्वच्छ तरीके वाले में शहरी में 74 तो ग्रामीण में 56 फीसदी का आंकड़ा है। 10 से 11 साल की 52 फीसदी बच्चियां सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं। स्वच्छ तरीके के उपयोग वाले में 10-11 साल की 72 फीसदी, 12 और इससे अधिक वाले में 82 फीसदी बच्चियां हैं।
रेड डॉट चैलेंज में किशोरियां ही नहीं, महिलाएं भी होंगी शामिल
विभाग ने निर्देश दिया है कि 28 मई को स्कूलों में किशोरियों के बीच रेड डॉट चैलेंज कराया जाएगा। इसके साथ ही जीविका से जुड़ी महिलाएं भी इस चैलेंज में भाग लेंगी, ताकि इससे जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ कर सभी संवेदनशील बन सकें। इसमें सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर भी अपलोड करेंगे। स्कूलों में चले रेड डॉट चैलेंज को विभाग के पोर्टल पर भी अपलोड किया जाएगा।
माहवारी स्वच्छता संबंधी पॉडकास्ट का होगा निर्माण
अभियान के तहत माहवारी स्वच्छता संबंधी पॉडकास्ट का भी निर्माण किया जाएगा। विभाग ने निर्देश दिया है कि इन सभी गतिविधियों को शुरू कर विभाग के पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। सभी स्कूल में इसके लिए दो-दो शिक्षक नामित होंगे।