गोल्फ सेट से अपार्टमेंट तक की खरीदारी...कंपनी फंड से जग्गी ब्रदर्स ने की मौज, अब सेबी का एक्शन
- जेनसोल को सबसे पहले 2019 में बीएसई एसएमई प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध किया गया था और उसके बाद साल 2023 में कंपनी बीएसई और एनएसई के मेनबोर्ड पर लिस्ट हुई। इस शेयर ने निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न दिया है।
बीते कुछ दिनों से जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड के शेयर में हलचल है। इस हलचल की वजह कंपनी पर सेबी की ओर से लिया गया एक्शन है। दरअसल, पूंजी बाजार नियामक सेबी ने फंड की हेराफेरी और कामकाज संबंधी खामियों के चलते जेनसोल इंजीनियरिंग और उसके प्रमोटर्स- अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी को अगले आदेश तक सेबी से प्रतिबंधित कर दिया। बता दें कि एक वक्त में अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी, दोनों भारत के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के पोस्टरबॉय थे। उन्होंने जेनसोल इंजीनियरिंग और ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी शुरू किए थे।
जून 2024 में शुरू हुई थी जांच
जून 2024 में सेबी को शेयर की कीमत में हेरफेर और जेनसोल से फंड डायवर्ट करने से संबंधित एक शिकायत मिली और उसके बाद मामले की जांच शुरू की गई। सेबी ने कहा कि प्रथम दृष्टया जांच में पता चला है कि जेनसोल के प्रमोटर निदेशकों द्वारा धोखाधड़ी से फंड का दुरुपयोग और डायवर्ट किया गया है। ये डायवर्ट किए गए फंड के प्रत्यक्ष लाभार्थी भी हैं। आरोप है कि कंपनी ने कथित तौर पर फर्जी डॉक्युमेंट पेश करते हुए सेबी, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों, ऋणदाताओं और निवेशकों को गुमराह करने का प्रयास किया था।
क्या है आरोप
सेबी का आरोप है कि प्रमोटरों ने संबंधित पक्षों को ऋण राशि का उपयोग किया और उसका उपयोग व्यक्तिगत खर्चों के लिए किया। सेबी के मुताबिक कंपनी के फंड को संबंधित पक्षों को भेजा गया और असंबद्ध खर्चों के लिए इस्तेमाल किया गया। ऐसा लग रहा था कि कंपनी के फंड प्रमोटरों के गुल्लक थे। सेबी के मुताबिक जेनसोल ने इरेडा से 71.41 करोड़ रुपये का ऋण लिया और अपने स्वयं के खाते से 26 करोड़ रुपये और जोड़े, जिससे कुल मिलाकर लगभग 97 करोड़ रुपये हो गए।
फंड किसे भेजा गया?
ईटी की खबर के मुताबिक कुछ दिनों बाद इन फंडों को गो-ऑटो को भेज दिया गया। यह एक कार डीलर है जो कंपनी को इलेक्ट्रिक व्हीकल प्रोवाइड करता है। उसी दिन, गो-ऑटो ने 50 करोड़ रुपये कैपब्रिज वेंचर्स को हस्तांतरित किए, जो कि जेनसोल के अपने प्रमोटरों द्वारा संचालित एक फर्म है।
कहां-कहां इस्तेमाल
सेबी ने पाया कि इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए ऋण के रूप में जेनसोल द्वारा लिए गए फंड का इस्तेमाल डीएलएफ गुड़गांव में एक अपार्टमेंट खरीदने के लिए किया गया था। यह एक ऐसी फर्म के नाम पर था, जहां जेनसोल के एमडी और उनके भाई नॉमिनी पार्टनर हैं। अनमोल सिंह जग्गी की मां जसमिंदर कौर द्वारा एडवांस बुकिंग के रूप में 5 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। यह भी जेनसोल से ही प्राप्त किया गया था।
जग्गी बंधुओं ने इरेडा और पावर फाइनेंस द्वारा जेनसोल को दिए गए लोन का उपयोग अन्य निजी खर्चों के लिए भी किया। इन दोनों भाईयों ने 26 लाख रुपये का टेलरमेड गोल्फ सेट खरीदा तो अशनीर ग्रोवर की कंपनी को भी पैसे दिए। इसमें अनमोल सिंह जग्गी शेयरधारक हैं। टाइटन कंपनी को लगभग 17 लाख रुपये, जो शायद घड़ियां या आभूषण खरीदने के लिए दिए गए। वहीं, मेकमाईट्रिप को 3 लाख रुपये और जग्गी बंधुओं की पत्नियों और मां को कैश ट्रांसफर किए गए।
कंपनी के बारे में
जेनसोल इंजीनियरिंग रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) सर्विसेज प्रोवाइड करने के व्यवसाय में लगी हुई है, जो मुख्य रूप से सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स पर ध्यान केंद्रित करती है। पिछले कुछ वर्षों में जेनसोल ने हैरान करने वाली ग्रोथ की है। कंपनी की बिक्री वित्त वर्ष 2017 में 61 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 1,152 करोड़ रुपये हो गई है। पिछले 12 महीने के आंकड़ों से पता चलता है कि इसकी बिक्री बढ़कर 1,297 करोड़ रुपये हो गई।
2019 में हुई थी लिस्टिंग
जेनसोल को सबसे पहले 2019 में बीएसई एसएमई प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध किया गया था और उसके बाद साल 2023 में कंपनी बीएसई और एनएसई के मेनबोर्ड पर लिस्ट हुई। इस शेयर ने निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न दिया है। पिछले साल जून के महीने में कंपनी के शेयर की कीमत 1126 रुपये प्रति शेयर के स्तर तक पहुंच गई थी। हालांकि, शेयर में बिकवाली का दौर लौटा और 16 अप्रैल 2025 को इसमें 5% का लोअर सर्किट लगा और 123 रुपये पर बंद हुआ।