आम आदमी पर कम होगा टैक्स का बोझ, जीएसटी में कटौती से खपत बढ़ाने की तैयारी
- GST Rate: केंद्र सरकार आम आदमी पर टैक्स का बोझ करने की दिशा में काम कर रही है।सरकार खाने-पीने व आवश्यकता की वस्तुओं को पांच फीसदी की GST के दायरे में लाने पर कर रही विचार।

केंद्र सरकार आम आदमी पर टैक्स का बोझ करने की दिशा में काम कर रही है। इसके लिए जीएसटी रेट्स को पहले से कम किया जाएगा। सरकार ने आंतरिक रूप से जीएसटी को कम करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। जीएसटी रेट्स में कटौती करने से जहां आम आदमी की जेब पर भार कम होगा तो वहीं सरकार को बाजार में खपत एवं मांग बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इससे अर्थव्यवस्था को गति भी प्रदान की जा सकेगी।
सूत्र बताते हैं कि जीएसटी काउंसिल द्वारा सुझाए गए विशेष दर स्लैब को भी सरकार लाने के पक्ष में दिखाई नहीं देती है क्योंकि, इससे जहां जीएसटी की दरें बढ़ने से वस्तुओं की कीमतें महंगी होगी तो वहीं इससे जीएसटी अदा करने की प्रक्रिया भी जटिल होगी। काउंसिल ने महंगी घड़ियों, ब्रांडेड कपड़े, महंगे हैंडबैग जैसे उत्पादों पर जीएसटी का नया स्लैब बनाने का सुझाव दिया था, जिस पर 35 प्रतिशत कर लगाने की बात कही गई, लेकिन अब इसको लेकर सरकार का नजरिया अलग है।
सरकार का मानना है कि इससे रेवेन्यू कलेक्शन बढ़ाने की जगह कम हो सकता है क्योंकि उससे खरीदारी पर असर पड़ेगा और बाजार में मांग भी प्रभावित होगी। मौजूदा वक्त में सरकार चाहती है कि अर्थव्यवस्था में तेजी आए। इसके लिए भले ही राजस्व कलेक्शन में थोड़ी बहुत कम भी आए तो उसके लिए सरकार तैयार है।
चरणबद्ध तरीके से हो सकती है कटौती
जानकार मानते हैं कि सरकार जीएसटी को कम करने के लिए चरणबद्ध तरीके से कटौती करेगी, जिससे जीएसटी कलेक्शन में कोई खास बड़ी कमी न आए। सूत्रों का कहना है कि सरकार खाने-पीने जैसे आवश्यक वस्तुओं पर 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी के स्लैब में लाने का ऐलान कर सकती है। इससे आम लोगों को खासी राहत मिलेगी। इसी तरह से 18 फीसदी के स्लैब में शामिल वस्तुओं को 12 फीसदी के स्लैब में ला सकती है लेकिन इस पर एक साथ फैसला नहीं होगा। उसकी जगह पर दो-चार महीने के अंतराल पर कटौती किए जाने की संभावना है।
राज्यों का भी रखा जाएगा ख्याल
जीएसटी राजस्व का एक हिस्सा राज्य सरकारों के पास भी जाता है। इसलिए नई प्रस्तावित कटौती में यह ध्यान रखा जाएगा कि राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति पर भी ज्यादा असर न पड़े। हालांकि कुछ श्रेणी में राज्य सरकारें भी जीएसटी में कटौती के पक्ष में है। जैसे स्वास्थ्य व जीवन बीमा प्रीमियम पर 18 फीसदी जीएसटी है।
पश्चिमी बंगाल समेत कई अन्य राज्य चाहते हैं कि इसे पूरी तरह से हटा दिया जाए। यह मामला जीएसटी काउंसिल के सामने भी विचाराधीन है। अब संभावना है कि सरकार इसे पांच या 12 प्रतिशत के स्लैब में शामिल कर सकती है। हालांकि बीमा कंपनियां चाहती हैं कि सरकार 12 फीसदी की दर से स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर जीएसटी ले। इस मुद्दे पर भी वार्ता चल रही है।
जीएसटी काउंसिल की बैठक में होगा फैसला
जीएसटी दरों से जुड़े अहम फैसले जीएसटी काउंसिल की बैठक में होने है। संभावना जताई जा रही है कि काउंसिल की बैठक अप्रैल के अंत में या फिर मई की शुरूआत में हो सकती है।