सेल इंडिया, बाय चाइना की चर्चा पकड़ रही जोर, 1 ही दिन में ₹10016 करोड़ निकाल लिए विदेशी निवेशक
FPI Selloff: विदेशी निवेशकों ने मंगलवार (20 मई) को भारतीय शेयर बाजार से 10,016 करोड़ रुपये निकाल लिए। यह फरवरी के बाद से सबसे बड़ी एक दिन की निकासी है।

कुछ दिनों से लगातार खरीदारी कर रहे विदेशी निवेशकों ने मंगलवार (20 मई) को भारतीय शेयर बाजार से 10,016 करोड़ रुपये निकाल लिए। यह फरवरी के बाद से सबसे बड़ी एक दिन की निकासी है। हालांकि, घरेलू निवेशकों ने बाजार को संभालने की कोशिश की और 6,738 करोड़ रुपये लगाए।
क्यों हुई विदेशियों की बिकवाली?
ग्लोबल मार्केट में नकारात्मक रुझान और घरेलू स्तर पर नई ट्रिगर्स की कमी के चलते विदेशी निवेशक मुनाफा वसूलने लगे। इससे पहले 1 से 16 मई के बीच उन्होंने 23,778 करोड़ रुपये लगाए थे और अप्रैल में भी 4,243 करोड़ रुपये का निवेश किया था। पर अब मूडीज ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग AAA से घटाकर AA1 कर दी है, जिससे वहां के बॉन्ड पर रिटर्न बढ़ गया। यही नहीं, ग्लोबल ट्रेड को लेकर चिंताएं भी निवेशकों के मन में घर कर गई हैं।
क्या चीन की ओर भाग रहे हैं निवेशक?
"सेल इंडिया, बाय चाइना" की चर्चा फिर जोर पकड़ रही है। अमेरिका-चीन ट्रेड ट्रूस के बाद चीन के शेयर भारत के मुकाबले सस्ते लगने लगे हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर दोनों देशों के बीच स्थायी समझौता होता है, तो विदेशी पूंजी भारत से हटकर चीन की ओर जा सकती है। चीन ने भी अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कदम बढ़ाए हैं। मंगलवार को उसने लोन प्राइम रेट (LPR) 10 बेसिस पॉइंट्स काट दिया, जो अक्टूबर के बाद पहली बार हुआ है। साथ ही, बैंकों के लिए रिजर्व रिक्वायरमेंट्स भी घटाई गई हैं।
भारतीय बाजार के लिए खतरा?
गेओजिट फाइनेंशियल के डॉ वीके विजयकुमार कहते हैं, "अचानक विदेशी निवेशकों का इतना बड़ा पलायन चिंताजनक है। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो बाजार पर दबाव पड़ सकता है। इसकी वजहें कई हैं। अमेरिकी बॉन्ड पर बढ़ता रिटर्न, जापानी बॉन्ड की यील्ड में उछाल, भारत में कोविड के मामले, और इजराइल-ईरान तनाव की अफवाहें। निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए।"
पिछले महीनों का हाल: सितंबर में रिकॉर्ड ऊंचाई छूने के बाद विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर से फरवरी 2025 तक 3 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। मार्च में उन्होंने फिर से निवेश शुरू किया, क्योंकि भारतीय शेयर सस्ते लग रहे थे और अमेरिका के साथ ट्रेड डील की उम्मीद थी, लेकिन अब फिर से रुख बदल गया है।