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विजय केडिया की चेतावनी, अभी भी कई 'जेनसोल' डूबोएंगे पैसे, इन 10 बड़े संकेतों से पहचानें

  • शेयर मार्केट के दिग्गज निवेशक विजय केडिया ने कहा है कि अभी भी कई कंपनियां ऐसी हैं, जो जेनसोल इंजीनियरिंग की तरह निवेशकों का पैसा डुबो सकती हैं।

Drigraj Madheshia लाइव हिन्दुस्तानThu, 17 April 2025 09:22 AM
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विजय केडिया की चेतावनी, अभी भी कई 'जेनसोल' डूबोएंगे पैसे, इन 10 बड़े संकेतों से पहचानें

शेयर मार्केट के दिग्गज निवेशक विजय केडिया ने कहा है कि अभी भी कई कंपनियां ऐसी हैं, जो जेनसोल इंजीनियरिंग की तरह निवेशकों का पैसा डुबो सकती हैं। केडिया के मुताबिक, ऐसी कंपनियों में पहले से ही कुछ संकेत (रेड फ्लैग्स) दिखाई देते हैं, जिन्हें पहचानकर निवेशक बड़े नुकसान से बच सकते हैं। उन्होंने निवेशकों को सावधान रहने की सलाह दी है। केडिया ने कहा, "अभी भी कई 'जेनसोल' अलमारी में छुपे हुए हैं, जो समय आने पर गिरेंगे। उम्मीद है, तब तक बहुत देर नहीं हो चुकी होगी।"

बता दें जून 2024 में सेबी के पास जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी, जिसमें शेयर की कीमतों में हेराफेरी और कंपनी के फंड्स के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया गया था। सेबी की जांच में पता चला कि प्रमोटर-निदेशक अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने कंपनी के पैसे को अपने फायदे के लिए गलत तरीके से इस्तेमाल किया, जैसे कंपनी उनकी अपनी दुकान हो। पिछले 6 महीने में जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयर में 85% की गिरावट आई है।

केडिया के 10 रेड फ्लैग्स

1. झूठे दावे और अधिक मीडिया कवरेज: जो कंपनियां हर छोटी खबर को बड़ा बनाकर मीडिया और सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं, उन पर भरोसा न करें।

2. बार-बार पैसा उगाहना: अगर कोई कंपनी बार-बार फंड जुटाती है, लेकिन पैसे के इस्तेमाल का साफ पता नहीं चलता, तो संदेह करें।

3. बिना मतलब के नए धंधे: जो कंपनियां ट्रेंड देखकर अचानक बिलकुल अलग बिजनेस में कूद जाती हैं, वो जोखिम भरी हो सकती हैं।

4. झूठी इनोवेशन की बातें: "AI-Powered", "डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी", "नेक्स्ट-जेन" जैसे शब्दों का अधिक इस्तेमाल करने वाली कंपनियों पर भरोसा न करें, अगर उनके पास असली प्रोडक्ट नहीं है।

5. प्रमोटर्स की शानो-शौकत : अगर प्रमोटर्स की लाइफस्टाइल कंपनी के परफॉर्मेंस से मेल नहीं खाती, तो यह बड़ा संकेत है।

6. प्रमोटर प्लेजिंग ज्यादा होना: अगर प्रमोटर्स ने अपने शेयर गिरवी रखे हैं, तो यह कंपनी की मुश्किलों का संकेत हो सकता है।

7. की-पर्सन का बार-बार बदलना: अगर CFO, ऑडिटर्स या टॉप मैनेजमेंट के लोग बार-बार कंपनी छोड़ रहे हैं, तो समझ लें कि कुछ गड़बड़ है।

8. रिलेटेड-पार्टी ट्रांजैक्शन: अगर कंपनी अपने प्रमोटर्स या उनके रिश्तेदारों की दूसरी कंपनियों के साथ अधिक डील करती है तो सावधान हो जाएं।

9. फाइनेंशियल्स में गड़बड़ी: अगर बैलेंस शीट या प्रॉफिट-लॉस अकाउंट में अजीब-अजीब चीजें दिखें तो उस कंपनी से दूर रहें।

10. SEBI या रेगुलेटर्स की जांच: अगर किसी कंपनी पर SEBI या किसी रेगुलेटरी बॉडी की नजर है तो उसमें निवेश करने से पहले 100 बार सोचें।

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